भक्ति की उड़ान के लिए सेवा और प्रेम की जरूरत : संत कंवर हुजूर
जागरण संवाददाता, भिवानी : सेवा भक्ति का विशुद्ध रूप है। जैसे पक्षी को उड़ान भरने के लिए दो पंख
जागरण संवाददाता, भिवानी : सेवा भक्ति का विशुद्ध रूप है। जैसे पक्षी को उड़ान भरने के लिए दो पंखों की जरूरत वैसे ही भक्ति की उड़ान के लिए सेवा और प्रेम की जरूरत है। सेवा मनुष्य को बाहर और भीतर दोनों तरफ से मांजती है। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहब महाराज ने भिवानी के रोहतक रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को फरमाया। संत कंवर महाराज ने कहा कि सेवा नि:स्वार्थ भाव से होनी चाहिए। अपने सुख आराम को त्याग कर की गई सेवा भक्ति सबसे बड़ी होती है। सेवा में प्रेम की परख होती है। गुरु दरबार की सेवा से बड़ा कुछ भी नहीं है। सेवा में ना चतुराई की जरूरत है ना बुद्धि की। उन्होंने कहा कि मन और शरीर अगर पवित्र हो गए तो समझो आपको परमात्मा मिल गए। किसी पात्र को अगर बाहर से ही साफ करते रहे तो भी काम नही चलेगा उसे भीतर से भी साफ करना पड़ेगा। तन की पवित्रता सेवा से है और मन की पवित्रता दान से है। जो सेवा नहीं कर सकता वो भक्ति भी नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि परमात्मा के मिलन में दो तरह के बंधन बांधा बनते हैं। जगत के मोटे बंधनों को हम गुरु भक्ति से काट सकते हैं। संगत की सेवा करने वाले तो सब से बड़ा लाभ उठाते हैं, क्योंकि वो सबसे अपने लिए शुभकामना लेते हैं। उन्होंने कहा कि चावल के दाने पर छिलके का कोई वजूद नहीं है फिर भी वो होता है, क्योंकि छिलका नहीं होगा तो चावल का बीज पैदा नहीं होगा। चावल को पकाने के लिए छिलका उतारते हैं । इसी प्रकार इंसान पर मोह माया का छिलका चढ़ा है, यहीं वजह है कि वो बार बार इस संसार में पैदा होता है। गुरु यही छिलका उतारता है और आने व जाने से छुटकारा दिलाता है। तुलसीदास जी भी रामायण में यही बखान करते हैं कि जो परमात्मा से बढ़कर गुरु को मानते हैं, उनकी सेवा करते हैं वो इस भवसागर से पार हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस संसार को हर किसी ने अपने अनुभव से जाना है। जिसने इसे दुख के रूप में देखा उसने इसे दुख सागर बताया और जिसने इसे सुख समझ कर भोगा उसने इसे सुख सागर बताया।
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अवतरण दिवस पर सत्संग आज
राधास्वामी सत्संग दिनोद के सचिव ने 1 मार्च को होने वाले सत्संग संबंधी सूचना देते हुए बताया कि 2 मार्च को होली का त्योहार होने के कारण गुरु महाराज जी के अवतरण दिवस का सत्संग एक दिन पूर्व आयोजित होगा। सत्संग के अवसर पर रक्तदान शिविर लगाया जाएगा, जिसमें 100 यूनिट रक्त एकत्रित किया जाएगा। सत्संग से पूर्व गुरु महाराज ने पुस्तक रूहानी सफर का विमोचन भी करेंगे।