मानव को दुखों के संसार से बाहर निकालने आते हैं संत कंवर हुजूर
जागरण संवाददाता भिवानी जब भगवान से रूहों ने अर्ज की कि उन्हें इस दुखसागर से बाहर निका
जागरण संवाददाता, भिवानी : जब भगवान से रूहों ने अर्ज की कि उन्हें इस दु:खसागर से बाहर निकालो, तब उन्होंने संतों को इस जगत में भेजा। सभी संत एक घर से ही आते हैं। उनका सांसारिक नाम चाहे कुछ भी रखा हो, लेकिन उनका लक्ष्य मानव का कल्याण ही है। यह प्रवचन राधा स्वामी दिनोद के परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में संगत को संबोधित करते हुए दिए।
उन्होंने कहा कि जो बुराई से अच्छाई निकाले,जो झूठ से सत्य निकाले जो गुरु के वचन पर टीके वो गुरमुख है। सत्संगी होने के नाते आपसे समाज को बहुत अपेक्षाएं हैं। आप अपना आपा गुरु को सौंप दो आपका कल्याण निश्चित है। भक्त प्रह्लाद ने अपना आपा सौंपा था। इतिहास साक्षी है कि होलिका जल गयी, लेकिन प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ। सतगुरु के शरण में रहो काल आपका कुछ नही बिगाड़ सकता। उन्होंने फरमाया कि काम, क्रोध, लोभ, मोह अहंकार ही इस जीव के सबसे बड़े दुश्मन हैं। जीवन में ऐसे रहो जैसे दूब रहती है। बड़ी से बड़ी आंधी में भी दूब का कुछ नहीं बिगड़ता।
उन्होंने कहा कि इंसान अन्य जीवों से जुदा इसलिए भी है कि वो अपने कल्याण का मार्ग संत सतगुरु की शरण में जा कर करवा सकता है। जैसे आपके ख्याल हैं, वैसी ही आपकी भावना औरों के लिए होगी। जो खुद ठग है वो गुरु को भी ठग ही मानता है। चोरी की भावना वाला चोर और कपट की भावना रखने वाला गुरु को भी कपटी ही मानता है। इंसान गलत नहीं होता, उसकी बुद्धि गलत होती है। अगर आपके ख्याल ठीक हैं तो आप हर जगह ठीक हैं।