प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना होगी अब स्वैच्छिक, बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या घटने के आसार
प्राकृतिक आपदा की मार से फसलों को होने वाले नुकसान की भर
संदीप श्योराण, चरखी दादरी :
प्राकृतिक आपदा की मार से फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई थी। जिसका लाभ लेने के लिए किसानों द्वारा बोई गई फसलों के लिए निर्धारित प्रीमियम राशि का वहन करना होता है। बैंकों से किसान क्रेडिट कार्ड या किसी दूसरे जरिए कृषि ऋण लेने वाले किसानों के लिए अपनी फसलों का बीमा करवाना अनिवार्य था। जिसके तहत किसानों के बैंकों खातों से फसल बीमा की प्रीमियम राशि को काट लिया जाता था। जिसको लेकर शुरुआत में किसानों व किसान संगठनों ने काफी विरोध भी किया। इसके बावजूद भी बैंक से कृषि ऋण लेने वाले किसानों के लिए इसे अनिवार्य रखा गया। लेकिन अब इसे स्वैच्छिक कर दिया गया है। जिससे दादरी जिले में फसलों का बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या में काफी कमी आने की संभावना नजर आ रही है।
करीब चार वर्ष पहले शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना शुरुआत में किसानों को इसकी अधिक जानकारी नहीं थी। इसे केवल ऋण लेने वाले किसानों से जोड़कर ही देखा गया। ऋणी किसानों के अनुसार न चाहते हुए भी उनसे प्रीमियम राशि वसूल कर इसे कृषि ऋण के बदले उन पर थोपा गया। इसको लेकर जिले में किसानों द्वारा कई बार रोष प्रदर्शन भी किए गए व किसान संगठनों ने भी इसके खिलाफ अभियान चलाया। लेकिन बाद में किसान व संगठन योजना के महत्व को समझने लगे और धीरे-धीरे उन्होंने विरोध कम कर दिया यहां तक ऋण नहीं लेने वाले किसानों ने भी अपनी फसलों का बीमा करवाने लगे। बीते करीब दो वर्षो के दौरान रबी सीजन के दौरान ओलावृष्टि व खरीफ सीजन के दौरान कपास में सफेद मक्खी के प्रकोप के कारण हुए नुकसान के बदले किसानों को मुआवजा राशि के तौर पर जो आर्थिक सहायता प्राप्त हुई उसके बाद किसानों ने योजना का विरोध करना तो बंद कर दिया है। लेकिन बिना ऋणी किसानों द्वारा बीमा करवाने में अधिक रुचि नहीं दिखाई गई है। बीते सीजन के आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो योजना को स्वैच्छिक किए जाने के बाद अब फसल बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या पहले से काफी कम होने की संभावना है। स्वेच्छा से बीमा करवाने वाले थे कम : सुशील
दादरी कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के साख्यिकी सहायक सुशील शर्मा ने कहा कि ऋण लेने वाले किसानों की अपेक्षा स्वेच्छा से बीमा करवाने वाले किसानों की संख्या काफी कम है। रबी सीजन 2019-20 में ऋण लेने वाले जिले के 15 हजार 196 किसानों की फसलों का बीमा हुआ था जबकि अपनी इच्छा से केवल 3 हजार 193 किसानों ने फसल बीमा करवाया था। इसी प्रकार खरीफ सीजन 2019 में ऋण लेने वाले 25 हजार 183 किसानों की फसलों का बीमा किया गया जबकि मर्जी से महज 12 सौ 54 किसानों ने फसलों का बीमा करवाया था जो बीमा करवाने वाले ऋणी किसानों की तुलना में महज 4.97 प्रतिशत हैं। वहीं खरीफ सीजन के दौरान योजना के तहत जिले के 11297 किसानों को 24.26 करोड़ की मुआवजा राशि दी गई थी। योजना को किया स्वैच्छिक : सौरभ
दादरी में पीएम फसल बीमा योजना के प्रोजेक्ट आफिसर सौरभ फौगाट ने कहा कि योजना को अब स्वैच्छिक कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि किसान ने बैंक से ऋण तो ले रखा है लेकिन वह अपनी फसलों को बीमा नहीं करवाना चाहता तो इसके लिए उसे बैंक में संबंधित एक प्रफोर्मा भरकर जमा करवाना होगा। उसके बाद उसके खाते से प्रीमियम राशि नहीं काटी जाएगी।