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सियासी सरर्गिमयां : अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले जिले में बढ़ा सियासी पारा

चरखी दादरी। अधिकतर टिकटाíथयों ने पार्टी के बड़े नेताओं के यहां डाला डेरा सुरेश गर्ग चरखी दादर

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 08:17 AM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 08:17 AM (IST)
सियासी सरर्गिमयां : अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले जिले में बढ़ा सियासी पारा
सियासी सरर्गिमयां : अधिसूचना जारी होने से ठीक पहले जिले में बढ़ा सियासी पारा

अधिकतर टिकटाíथयों ने पार्टी के बड़े नेताओं के यहां डाला डेरा

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सुरेश गर्ग, चरखी दादरी :

अधिसूचना जारी होने से चंद घंटे पहले दादरी जिले में सियासी तापमान बढ़ा दिखाई दे रहा है। सत्ताधारी भाजपा में टिकटों को लेकर मंथन शुरू होने, जेजेपी के प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के साथ साथ जिले के बाढड़ा, दादरी दोनों विधानसभा क्षेत्रों में विभिन्न राजनैतिक दलों के दावेदारों को लेकर चर्चाओं का सिलसिला जारी है। सुबह, सांय, दोपहर व सांय को मौसम बदलने के साथ विभिन्न दलों के संभावित उम्मीदवारों के अनुमान बदल रहे है वहीं कई नए व पुराने चेहरे भी सामने आ रहे हैं। माना जा रहा है कि अधिसूचना जारी होने के बाद सभी राजनीतिक पाíटयों के प्रत्याशियों की सूचियां सामने आने तक यह दौर जारी रहेगा। बताया गया है कि पिछले दो तीन दिनों से भाजपा के अधिकतर टिकटाíथयों ने पार्टी के बड़े नेताओं के यहां डेरे डाल रखे हैं। प्रत्याशियों के पैनल बनाने को लेकर प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला के बयान के बाद स्थानीय नेताओं की सक्रियता ओर भी बढ़ गई है। इसे लेकर अगले एक सप्ताह तक स्थिति स्पष्ट होने के कयास लगाए जा रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन के बाद जिले में कांग्रेस के कई दावेदार जोर शोर से चुनावी तैयारियों में जुटे दिखाई दे रहे हैं। भाजपा, कांग्रेस की अपेक्षा जेजेपी, इनेलो के कैम्पों में फिलहाल खामोशी नजर आ रही है। इन दोनों पाíटयों में टिकटों को लेकर कहीं कोई मारमारी दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि बाढड़ा हलके में जेजेपी, इनेलो के चुनावी मैदान में उतने के दर्जन भर दावेदार बताए जा रहे हैं लेकिन उनमें भाजपा, कांग्रेस की तरह अपनी प्रतिस्पर्धा नजर नहीं आ रही है।

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बढ़ेगी निर्दलीयों की संख्या

बढ़ती सरर्गिमयों के साथ जिले के बाढड़ा व दादरी विधानसभा क्षेत्रों में इस बार पिछले तीन चार चुनावों की अपेक्षा निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या अधिक हो सकती है। दोनों हलकों से सभी दलों से ऐसे कई स्थानीय नेताओं के नाम चर्चाओं में है जो टिकटें न मिलने पर हर सूरत में चुनाव लड़ने की बात सार्वजनिक रूप से कह रहे है। जाहिर है एक पार्टी टिकट तो एक हलके से एक को ही दे सकती है। ऐसे में कई प्रभावी व स्थानीय सियासत में असरदार सामने जाने वाले स्थानीय नेताओं के मैदान में उतरने पर नए समीकरण बन सकते है।


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