डीएपी की जगह भेजे एनपीए बैग, तीन सोसाइटियों ने बिक्री से किया इन्कार
बाढड़ा: रबी सीजन की बीजाई के समय क्षेत्र की आठ सहकारी समिति के भंडार अभ
संवाद सहयोगी, बाढड़ा: रबी सीजन की बीजाई के समय क्षेत्र की आठ सहकारी समिति के भंडार अभी भी डीएपी बैगों की जगह खाली नजर आ रहे हैं। तीन हजार एनपीए खाद पहुंचने पर किसानों को कुछ राहत मिली है। डीएपी की जगह दूसरी किस्म एनपीए खाद पहुंचने से इसके प्रयोग करने से पहले ही क्षेत्र की तीन सोसाइटियों ने खाद बिक्री करने से मना कर दिया है।
रबी सीजन की शुरुआत के साथ ही रेतीले क्षेत्र में सरसों की अगेती बीजाई शुरू हो गई है। भूमि की ऊर्वरा शक्ति को बनाए रखने के लिए क्षेत्र का किसान सरसों व गेहूं की बीजाई में डीएपी खाद का प्रयोग करता है लेकिन पिछले एक माह से आठ सोसाइटियों के पास एक बैग भी नहीं होने से किसानों को सरकारी समिति की बजाए निजी दुकानों से महंगे भाव की खाद खरीदनी पड़ रही है। प्रदेश सरकार ने जिले में डीएपी की जगह पर एनपीए खाद भेजने से पहले सभी सोसाइटियों से डिमांड मांगी जिस पर कस्बे की बाढड़ा, नांधा, धनासरी, बेरला ने ही मात्र तीन हजार बैगों की आपूर्ति करने का पत्र भेजा जबकि शेष चार सोसाइटियों ने एनपीए की बजाए डीएपी खाद की डिमांड की है।
जिस पर बाढड़ा सोसाइटी पर 1500 बैग, नांधा सोसायटी पर 500 बैग, धनासरी व बेरला सोसाइटी पर 1000 बैग पहुंचे है। इसके अलावा धनासरी बिक्री केंद्र पर एक हजार यूरिया की खेप भेजी गई है। बाढड़ा के गांव कारी, चांदवास, कादमा इत्यादि सोसाइटियों में अभी तक एक बैग भी नहीं पहुंचा है। बताया जा रहा है इन केंद्रों के प्रबंधकों ने किसानों द्वारा एनपीए खरीद में कम रूचि दिखाने पर यह निर्णय लेना पड़ा।
कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि दक्षिणी हरियाणा की रेतीली भूमि को देखते हुए डीएपी को अधिक कारगर माना जाता है लेकिन मौजूदा समय में भूमिगत जलस्तर के ज्यादा प्रयोग से भूमि को एनपीए की भी आवश्यकता बन गई है। डीएपी में जहां नाईट्रोजन 18 प्रतिशत, फास्फोरस 46 फीसद पाई जाती है वहीं एनपीए में नाईट्रोजन 12 फीसद, पोटाश 16 प्रतिशत व फास्फोरस की गुणवता पाई जाती है। भाकियू अध्यक्ष धर्मपल बाढड़ा, महासचिव हरपाल भांडवा ने कहा कि रबी सीजन की बीजाई का समय देखते हुए जिला प्रशासन को प्रत्येक गांवों में डीएपी व यूरिया का विशेष प्रबंध करना चाहिए।