अब पटरी पर आने लगा अंडरपास निर्माण, डीसी के दौरे के बाद खाली किए जाने लगे खोखे
दादरी के बंद पड़े सीसीआइ फाटक पर अंडरपास तक पहुंचने क
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : दादरी के बंद पड़े सीसीआइ फाटक पर अंडरपास तक पहुंचने के लिए बनने वाले रास्तों के बीच आ रहे अवैध खोखे, स्टालों, अतिक्रमण इत्यादि को हटाने का काम शुरू किया गया है। गौरतलब है कि बुधवार को जिला उपायुक्त धर्मवीर सिंह ने मौके पर जाकर सार्वजनिक भूमि पर खोखा, स्टाल इत्यादि यहां से शिफ्ट करने की बात कही थी। जिसके बाद खोखा धारकों ने यहां से सामान शिफ्ट करना शुरू कर दिया है।
सीसीआइ फाटक पर बनने वाले अंडरपास का एक रास्ता पुरानी अनाज मंडी के बैक साइड स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर की तरफ जाएगा। इस रास्ते पर रैंप की लंबाई करीब 100 मीटर होगी। 100 मीटर की लंबाई में फिलहाल करीब 10 खोखे व अस्थाई दुकानें है। करीब आधा दर्जन खोखे व अस्थाई दुकानें पिछले काफी समय से बंद रहती है। लेकिन अब इन्हें खाली करना शुरू कर दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि दादरी में वर्ष 2012 में सीसीआइ फाटक को बंद किया गया था। उसके बाद से ही यहां पर अंडरपास बनाए जाने की मांग की जा रही थी। जिसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने यहां पर अंडरपास बनाने की घोषणा की थी। जिसके बाद रेलवे द्वारा बीते दिसंबर माह में रेलवे लाइनों के नीचे अपने अधिकार क्षेत्र में अंडरपास के लिए ब्लाक्स लगवा दिए गए। जबकि अंडरपास तक पहुंचने के लिए रास्तों का निर्माण लोक निर्माण विभाग द्वारा करवाया जाना है। लेकिन एक महीने से भी अधिक समय बीतने के बावजूद लोक निर्माण विभाग द्वारा रास्तों का निर्माण कार्य शुरू नहीं करवाया गया। जिसके चलते एक दिन पहले ही जिला उपायुक्त धर्मवीर सिंह लोक निर्माण विभाग व नगर परिषद के अधिकारियों के साथ मौके का मुआयना करने पहुंचे थे।
इस दौरान जिला उपायुक्त ने अधिकारियों को जल्द से जल्द रास्तों का निर्माण कार्य शुरू करवाने के आदेश दिए थे। साथ ही उन्होंने अंडरपास के रास्ते में आने वाले खोखा धारकों से भी बात कर जल्द सामान शिफ्ट करने की बात भी कही थी। इस दौरान खोखा धारकों को कहा गया था कि यदि एक-दो दिन में वे खोखे व सामान को शिफ्ट नहीं करते हैं तो नगर परिषद द्वारा इन्हें हटाया जाएगा। जिसके चलते खोखा धारकों ने सामान शिफ्ट करना शुरू कर दिया है। तीन करोड़ है प्रोजेक्ट की लागत
उल्लेखनीय है कि सीसीआइ फाटक पर अंडरपास निर्माण के लिए करीब तीन करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया था। यह सारी राशि हरियाणा सरकार द्वारा वहन की गई है। इस राशि में से करीब दो करोड़ 20 लाख रुपये की लागत से रेलवे द्वारा ब्लाक्स बनवा कर रेल लाइनों के नीचे शिफ्ट करवा दिए गए। साथ ही लोक निर्माण विभाग द्वारा अंडरपास तक पहुंचने के लिए बनने वाले रास्तों के 80 लाख रुपये के टेंडर जारी किए जा चुके हैं।