नीतू बंसल ने जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा देने को जीवन का बनाया मकसद
वर्तमान में व्यक्ति केवल मैं और परिवार की भावना तक सिमटता जा
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : वर्तमान में व्यक्ति केवल मैं और परिवार की भावना तक सिमटता जा रहा है। ऐसे माहौल में ऐसे भी कुछ नजर आ रहे है जिन्होंने समाज सेवा, जरूरतमंदों की सहायता को अपने जीवन का मकसद बनाया हुआ है। इन्हीं में से एक है दादरी नगर की पुरानी अनाजमंडी के व्यवसायी सुशील बंसल की पत्नी नीतू बंसल।
नीतू बंसल नियमित रूप से रोजाना अपने घर पर जरूरतमंद छोटे बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाती है। वे उन बालकों में संस्कार उत्पन्न करने, उन्हें भविष्य में आगे बढ़ने की भी प्रेरणा देती है। इसी के साथ साथ उन्होंने जरूरतमंद बच्चों को पाठ्य सामग्री, पुस्तकें मुहैया करवाने के लिए बुक बैंक बनाया हुआ है। वे अपने द्वारा पढ़ाए गए व आसपास के पास आउट छात्र, छात्राओं से पुस्तक एकत्रित कर उन्हें दूसरे बच्चों को उपलब्ध करवाती है। इसके साथ साथ नीतू बंसल ने दादरी नगर की झुग्गी झोपड़ियों में बच्चों, महिलाओं के लिए लगातार वस्त्र व साड़ी वितरण मुहिम चलाई है। पर्यावरण संरक्षण अभियान से जुड़कर वे विशेषकर बच्चों व महिलाओं को अधिक से अधिक पौधे लगाने के लिए प्रेरित करती रहती है। नीतू बंसल का कहना है कि शिक्षा, चिकित्सा क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले सेवा कार्यों का सर्वाधिक महत्व है। इसी के साथ समाज को दिशा देने के लिए बच्चों में संस्कार जगाना जरूरी है। महिला विग का बनाया जिलाध्यक्ष
दादरी निवासी नीतू बंसल के सेवा कार्यो, भावनाओं व समर्पण को देखते हुए सामाजिक संस्था अग्रवाल वैश्य समाज ने उन्हें चार माह पूर्व अपनी दादरी जिला महिला शाखा का अध्यक्ष नियुक्त किया था। इस मंच के माध्यम से वे दूसरी महिलाओं को साथ जोड़कर समाज सेवा कार्यों में लगातार सक्रिय है। केवल चार माह के दौरान ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, जरूरतमंदों की सहायता के लिए कई शिविर आयोजित किए है। भारत विकास परिषद में भी भागीदारी
दादरी नगर की पुरानी अनाजमंडी निवासी नीतू बंसल पिछले काफी समय से समाज सेवा कार्यों में सक्रिय संस्था भारत विकास परिषद से भी जुड़ी रही है। इस संस्था द्वारा चिकित्सा, पर्यावरण, गोशालाओं में किए जाने वाले सेवा कार्यों इत्यादि में नीतू बंसल लगातार भागेदारी करती रही है। खास बात यह भी है कि वे किसी भी प्रकार के दिखावे, दम्भ से काफी दूर हैं। उनका कहना है कि स्वस्थ, सबल सक्षम समाज के निर्माण के लिए हम सबको अपने जीवन के लिए कुछ सेवा नियम बनाने चाहिए। यहीं मानव के जीवन का लक्ष्य भी है।