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ठप सीवरेज सिस्टम को लेकर नगर पार्षदों ने खोला मोर्चा, आंदोलन की चेतावनी

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : दादरी में दम तोड़ रही सीवरेज व्यवस्था व बरसाती पानी की निक

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 11:59 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 11:59 PM (IST)
ठप सीवरेज सिस्टम को लेकर नगर पार्षदों ने खोला मोर्चा, आंदोलन की चेतावनी
ठप सीवरेज सिस्टम को लेकर नगर पार्षदों ने खोला मोर्चा, आंदोलन की चेतावनी

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :

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दादरी में दम तोड़ रही सीवरेज व्यवस्था व बरसाती पानी की निकासी न होने के कारण आधा दर्जन से अधिक नगर पार्षदों व प्रतिनिधियों ने सरकार व अफसरों पर समस्याओं की अनदेखी के आरोप लगाए है। जल्द समस्या का स्थाई समाधान न होने पर पार्षदों ने एक बड़ा जनआंदोलन करने की चेतावनी दी है।

पार्षदों व प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से प्रेस वार्ता कर अपनी बात कही। स्थानीय सुभाष चौक स्थित कार्यालय में पार्षद मनोज वर्मा, पार्षद कुलदीप गांधी, पार्षद आनंद महराणा, पार्षद प्रतिनिधि सुभाष स्वामी, प्रतिनिधि विरेंद्र सांगवान चरखी, प्रतिनिधि विक्रम श्योराण एडवोकेट, प्रतिनिधि जय¨सह लांबा ने पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि दादरी शहर में पिछले काफी समय से सीवरेज सिस्टम पूरी तरह फेल है। नगर में पिछले दो दिनों से हुई बरसात का पानी निकासी के भी कोई प्रबंध नहीं है। पानी निकासी के पुख्ता प्रबंध न होने की वजह से नगर में लगभग सभी गलियों, मोहल्लों में पानी भरा हुआ है। जिसके कारण शहर के लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन सरकार व प्रशासन का इस समस्या की तरफ कोई ध्यान नहीं है। पार्षदों ने कहा कि वे इस समस्या को लेकर जनस्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता, एसडीओ व जेई से भी कई बार बात करने का प्रयास कर चुके है। लेकिन कोई भी अधिकारी उनकी बात तक नहीं सुनता है। पार्षदों ने कहा कि जनस्वास्थ्य विभाग में कोई अधिकारी आता है तो सरकार द्वारा बहुत कम समय में ही उनका तबादला कर दिया जाता है। जिसके कारण समस्या का समाधान ही नहीं हो पा रहा है। पार्षदों ने बताया कि वे करीब एक माह पहले इन समस्याओं के समाधान के लिए जिला उपायुक्त से भी मिले थे। उस दौरान जिला उपायुक्त ने जनस्वास्थ्य विभाग के एसडीओ व जेई को बुलाया था। जिसमें उन्होंने 15 दिन में समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था। लेकिन अभी तक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। पार्षदों ने कहा कि सड़कों पर कई दिनों से जमा सीवरेज व बरसाती पानी के कारण उनमें मच्छर तक पनपने लगे है। जिसके कारण लोगों को बीमारियों की चपेट में आने का डर भी सताने लगा है। जिला बना लेकिन रूपरेखा नहीं

पार्षदों ने सरकार व प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि दादरी को दो साल पहले जिला तो बना दिया लेकिन अभी तक जिले के हिसाब से रूपरेखा ही तैयार नहीं की गई। उन्होंने कहा कि दादरी जिले के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। जिसका नतीजा यह है कि अभी तक दादरी में सीवरेज व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए सुपर सकर मशीन व अन्य उपकरण तक नहीं है। एमपी, एमएलए की भी है जिम्मेवारी

पार्षदों ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि नगर के लोगों को जो भी समस्या होती है तो वे पार्षदों से ही बात करते है। वोटर कार्ड, पेंशन, स्ट्रीट लाइट व अन्य कोई भी काम हो तो लोग उन्हें ही बताते है। लेकिन शहर में ठप सीवरेज व्यवस्था, पानी निकासी के प्रबंधों को दुरूस्त करवाने की जिम्मेवारी अकेले उनकी नहीं, बल्कि सांसद व विधायक की भी है। ऐसे में सांसद व विधायक को भी इन समस्याओं के समाधान के लिए आगे आना चाहिए। जल्द करेंगे जन आंदोलन

पार्षदों ने कहा कि वे इन समस्याओं के स्थाई समाधान के लिए एक बार फिर से जिला उपायुक्त, एसडीएम के माध्यम से सरकार को गुहार लगाएंगे। लेकिन फिर भी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो लोगों को साथ लेकर एक बड़े स्तर पर जन आंदोलन किया जाएगा। चेतावनी के बाद प्रबंध नहीं

आधा दर्जन से अधिक पार्षदों व प्रतिनिधियों ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा बरसात को लेकर पहले ही अलर्ट कर दिया गया था। उसके बावजूद भी दादरी में पानी निकासी के लिए कोई प्रबंध नहीं किए गए। पार्षदों ने कहा कि अभी तो केवल दो दिन ही हुए है, यदि और लंबे समय तक बारिश हो जाती है तो हालत बेहद विकट बन जाएंगे। जनता परेशान, पार्षद मजबूर

पार्षदों ने कहा कि सीवरेज व्यवस्था ठप होने तथा पानी निकासी न होने के कारण जनता बेहद परेशान है। नगर में जगह-जगह पर पानी भरा हुआ है। लेकिन अधिकारियों द्वारा पार्षदों की बातें ही नहीं सुनी जा रही है। ना ही समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। जिससे पार्षद खुद मजबूर है। पहले दी थी सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी

उल्लेखनीय है कि नगर पार्षदों ने गत 9 जुलाई को भी नगर के अधिकांश पार्षदों ने शहर में सीवरेज जाम के कारण जलभराव व अन्य समस्याओं के समाधान न होने तथा सरकारी विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा उनकी सुनवाई न करने के आरोप लगाते हुए सामूहिक इस्तीफे की चेतावनी भी दी थी।


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