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पति को लकवा हुआ तो मंजू ने संभाली जिम्‍मेदारी, बन गई मिसाल

भिवानी की मंजू महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई हैं। पति को लकवा हो गया तो उन्‍होंने परिवार की जिम्‍मेदारी संभाल ली।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 01:41 PM (IST)Updated: Tue, 08 May 2018 08:53 PM (IST)
पति को लकवा हुआ तो मंजू ने संभाली जिम्‍मेदारी, बन गई मिसाल

भिवानी, [सुरेश मेहरा]। पति-पत्‍नी जीवन में एक-दूसरे के पूर‍क होते हैं। वे मुश्किल घड़ी में एक-दूसरे को सहारा देते हैं। भिवानी की मंजू ने अपने कमाल के जज्‍बे से इस रिश्‍ते की मजबूती को साबित किया है। पति को अचानक लकवा हो गया तो उसने हिम्मत नहीं हारी और पति की जिम्‍मेदारी संभाल ली। पति आैर परिवार की देखभाल करने के संग मंजू अब ऑटो चलाएगी। वह बुधवार से शहर की सड़कों पर ऑटो दौड़ाएगी। उसका ऑटो स्पेशल महिलाओं के लिए चलेगा। शहर में सवारी ऑटो चलाने वाली मंजू पहली महिला है।

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मंजू का गुलाबी रंग का ऑटो शहर में स्पेशल महिलाओं के लिए दौड़ेगा

मंजू के मुताबिक, 2013 में वह अपने पति के साथ भिवानी आई थी। उसका 11 साल का बेटा है। कपड़े की सेल का काम उनका सही चल रहा था। अचानक पति बीमार हो गए और उनके सामने संकट आ खड़ा हुआ। मगर हार मान कर बैठने से कैसे काम चलेगा। इसलिए कुछ दिन तो कपड़े की सेल लगाई, लेकिन पति की सेवा और सेल का काम संभालना उसके लिए मुश्किल हो रहा था। ऐसे में ऑटो चला कर गुजारा करने का निर्णय लिया। ऑटो चलाने की ट्रेनिंग ली और अब वह तैयार हैं। लाइसेंस भी बनवा लिया है।

स्पेशल महिलाओं के लिए ही होगा गुलाबी रंग का ऑटो

मंजू कहती है कि वह महिलाओं और लडि़कयों के लिए ही ऑटो चलाएगी। ऑटो चलाने में सुरक्षा को लेकर आने वाली दिक्कतों के बारे में वह कहती हैं कि खुद इंसान ठीक हो तो उसे दिक्कतें नहीं आती। उनके लिए यह आजीविका का साधन है। इस कार्य में वह पति व बेटे की सेवा का समय भी दे सकेगी। घर का काम भी संभाल लेगी।।

दूसरी महिलाएं भी आगे आएं और स्वावलंबी बनें

मंजू कहती हैं कि काम कोई छोटा बड़ा नहीं होता। ऑटो पुरुष ही चलाएं ऐसी कोई बात नहीं है। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। वह भले ही कम पढ़ी लिखी हों लेकिन खुद कमा कर खाने में कोई हर्ज नहीं है। वह तो महिलाओं को यह कहेगी कि हिम्मत से काम लें और अपना रोजगार कर स्वावलंबी बने और दुनिया में मिसाल पेश करें।

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'' महिलाएं ऑटो चलाने के लिए शहर में आगे आकर इसे आजीविका का साधन बनाती हैं तो वह उन्हें ऑटो चलाने की ट्रेनिंग फ्री में देंगे। इतना ही नहीं उनका लाइसेंस बनवाने के लिए उनकी मदद करेंगे। इसके लिए जो फीस लगेगी उसे वह खुद वहन करेंगे।

                                                                      - रामनिवास शर्मा, प्रधान, रेहड़ी एवं फुटपाथ एसोसिएशन।


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