थनैला रोग की चपेट में आ रहे दुधारू पशु
दीपक शर्मा, भिवानी इन दिनों दुधारू पशु थनैला बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। थनैला रोग क
दीपक शर्मा, भिवानी
इन दिनों दुधारू पशु थनैला बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। थनैला रोग का मुख्य कारण साफ-सफाई ही माना जा रहा है। भिवानी की डिजीज इन्वेस्टिगेशन लैब में हर रोज करीब 5 सैंपल थनैला रोग से ग्रस्त पशुओं के पहुंच रहे हैं।
पशु चिकित्सकों के अनुसार इन दिनों दुधारू पशु थनैला रोग की चपेट में आ रहे हैं। इससे पशुओं का दूध तो कम होता ही है साथ ही थन खराब होने की संभावना भी रहती है। ऐसे में पशुपालकों को सावधानी बरतते हुए पशुओं का ध्यान रखने की जरूरत हैं। पशुपालक पशु का दूध अधिक दिखाने या किसी प्रतियोगिता में जीतने के चक्कर में पशु का पूरा दूध नहीं निकालते और प्रतियोगिता के लिए रख लेते हैं। दूध का दबाव बढ़ने से भी पशुओं में थनैला रोग बढ़ सकता हैं।
पशु चिकित्सकों ने पशु पालकों को ये सलाह दी है कि वे थनैला बीमारी आने पर झोलाछाप चिकित्सक के चक्कर में न पड़ें। समय पर इसका उपचार करवाया जाए तो पशु को भी कम नुकसान होगा। वहीं पशुपालक अपने पशु के दूध का सैंपल स्वयं भी ला सकते हैं। इसके लिए वे डिजीज इन्वेस्टिगेशन लैब भिवानी से स्लाई बॉक्स ले सकते हैं या किसी मेडिकल स्टोर से इंजेक्शन में सैंपल लेकर आ सकते हैं। दूध के सैंपल को किसी बर्तन आदि में न डाले। इससे रिपोर्ट भी प्रभावित हो सकती है। ऐसे करें बचाव
* पक्के फर्श पर (पशु बांधने के स्थान) की लाल दवाई या फिनाइल से साफ करें।
* पशु पालक दूध मुट्ठी से निकालें, न कि अंगूठे की सहायता से।
* दूध निकालने के बाद पशु को करीब आधे घंटे तक बैठने न दें। इसके लिए पशु को चारा डालें।
* पशु पालक थनों में दूध न छोड़ें। यह हानिकारक होता हैं।
* पशुओं के बांधने का स्थान कच्चा है तो उसकी सफाई रखें। गोबर लंबे समय तक इकट्ठा न होने दें।
* दूध निकालने से पहले हाथ, थन को अच्छे से धोएं, ताकि बैक्टीरिया न रहें। थनैला के लक्षण
* थनों में सूजन आना।
* थन से मवाद आना।
* दूध कम होना।
* दूध के रंग में बदलाव होना।
* दूध के स्वाद में बदलाव होना।
* खून आना। 48 घंटे में आ जाती है रिपोर्ट
किसानों द्वारा लाए गए सैंपल की रिपोर्ट 48 घंटे में आ जाती है। जिसके बाद रिपोर्ट के आधार पर पशु पालक दवाई ले सकते हैं। इसके लिए पशुपालक भी सैंपल दे सकते हैं। दूध निकालने के तुरंत बाद न बैठने दे पशु को
पशु पालक ध्यान में रखें कि दुधारू पशु को दूध निकालने के तुरंत बाद न बैठने दें। करीब 30 मिनट तक पशु को खड़ा रखने के लिए उसके सामने चारा डाल दें। क्योंकि दूध निकालने के बाद आधा घंटे तक थन के छीद्र (छेद) खुले रहते हैं और बैक्टीरिया अधिक प्रभावी होने की संभावना बनी रहती है। वर्जन:::::::::
पशुओं में थनैला रोग सबसे अधिक बढ़ रहा है। इसका कारण पशु पालकों द्वारा सावधानी न बरतना भी माना जा रहा है। पशु पालक साफ सफाई का ध्यान रखें और इसके लक्षण दिखते ही तुरंत इसकी चिकित्सक से जांच करवाएं, ताकि समय पर इस बीमारी का इलाज किया जा सके।
डा. धर्मबीर ¨सह दहिया, ¨प्रसिपल एक्सटेंशन स्पेशलिस्ट
पशु विज्ञान केंद्र, भिवानी। वर्जन::::::
लैब में हर रोज करीब 8 सैंपल आ रहे हैं। इनमें से 5 सैंपल थनैला बीमारी से संबंधित जांच के लिए पहुंच रहे हैं। सैंपल की जांच के बाद ही रिपोर्ट के आधार पर पशुओं के लिए उचित दवाई दी जा सकती हैं।
डा. रमेश कुमार, एडीआइओ, डिजीज इन्वेटिगेशन लैब, भिवानी।