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बालावाला आश्रम के महंत संत सच्चानाथ ने किया महाप्रयाण, अंतिम दर्शन को उमड़े हजारों श्रद्धालु

दादरी नगर आसपास व दूर दराज के लाखों लोगों की आस्था के कें

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 08:27 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 08:27 AM (IST)
बालावाला आश्रम के महंत संत सच्चानाथ ने किया महाप्रयाण, अंतिम दर्शन को उमड़े हजारों श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी: दादरी नगर, आसपास व दूर दराज के लाखों लोगों की आस्था के केंद्र श्री बालावाला आश्रम के महंत संत सच्चानाथ ने रविवार सुबह शरीर रूपी चोला छोड़कर महाप्रयाण किया। उनके शरीर त्यागने की खबर मिलते ही शहर, आसपास के गांवों के लोग व दूर-दराज क्षेत्र से हजारों श्रद्धालु वहां पहुंच गए। संत सच्चानाथ के पार्थिव शरीर को आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। महंत बिजेंद्र नाथ ने महंत सच्चानाथ को समाधी दी। इस दौरान आसपास व दूर दराज के क्षेत्रों से आए साधु, संतों कपूरी पहाड़ी के महंत कृष्णनाथ, राजू नाथ, श्यामनाथ, बाद्योत धाम के महंत रोशनुपरी, सेवानाथ मौजूद रहे।

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विधि विधान के साथ नाथ संप्रदाय की परंपरा के मुताबिक पहले महंत की पूजा अर्चना की गई। इसके बाद उन्हें आसन मुद्रा में समाधिलीन किया गया। नाथ संप्रदाय की परंपरा के मुताबिक महंत के पार्थिव शरीर की पूजा अर्चना की गई और बाद में चीनी के बीच करीब आठ फुट गहरे गड्ढ़े में आसन मुद्रा में स्थान दिया गया। इससे पहले नाथ संत परंपरा के अनुसार संत सच्चानाथ के पार्थिव शरीर को पालकी में बैठाकर मंदिर परिसर में फेरी लगवाई गई। हजारों की आखें हुए नम

महंत सच्चानाथ के देह त्यागने के बाद बालावाला आश्रम में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने जब तक सूरज चांद रहेगा बाबा तेरा नाम रहेगा, जय हो बाबा सच्चानाथ महाराज ध्वनि से गूंजता रहा। महंत के अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मंत्रोच्चारण के साथ विधि विधान से संत महात्माओं की मौजूदगी में शुभ मुहूर्त में महंत को समाधि दी गई। अंतिम यात्रा के दौरान महंत की एक झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु वृक्ष, छतों पर भी चढ़ गए। श्रद्धालुओं ने गुलाल व पुष्प वर्षा कर नम आंखों से महंत को विदा किया।

नाथ परंपराओं की गई पालना

महंत बिजेंद्र नाथ ने बताया कि नाथ संप्रदाय की परंपरा है कि जब उनके महंत शरीर त्यागते हैं तो उनका स्नान ध्यान करवाया जाता है। इसके बाद उन्हें समाधि स्थल में बैठाया जाता है। इससे पहले मान, पीर, महंत, मानधारी आते हैं विधि विधान से पूजा कर महंत की समाधि तैयार की जाती है। समाधि स्थल के लिए आठ से दस फुट का गड्ढा खोदा जाता है और धरातल को मजबूत किया जाता है। गड्ढे में लकड़ी रखकर उसे चीनी से भरा जाता है, इसी में आसन मुद्रा में महंत की देह को आसन दिया जाता है। बाद में इसे ऊपर से पक्का कर दिया जाता है और महंत की समाधि की पूजा अर्चना की जाती है।


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