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पर्यावरण में 21वीं शताब्दी पर भारी पिछली शताब्दी के पूर्वज

संवाद सहयोगी लोहारू पर्यावरण है तो जीवन है। विज्ञान के इस सिद्धांत को आज का अति शिक्षित इं

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 04:51 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 04:51 AM (IST)
पर्यावरण में 21वीं शताब्दी पर भारी पिछली शताब्दी के पूर्वज
पर्यावरण में 21वीं शताब्दी पर भारी पिछली शताब्दी के पूर्वज

संवाद सहयोगी, लोहारू:

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पर्यावरण है तो जीवन है। विज्ञान के इस सिद्धांत को आज का अति शिक्षित इंसान ज्यादा मानता है। इसे 100 साल पहले के व्यक्ति ज्यादा मान्यता देते थे। इस बात का जवाब लोहारू के पिलानी रोड पर 100 साल पहले बनाए गए तालाब, गोघाट तथा 1100 बीघा की गोचर भूमि साक्षात प्रमाण के तौर पर दे रहे हैं। ईको सिस्टम के महत्व को समझते हुए 100 साल पहले बनाए गए ये जलाशय सूखी हालत में हैं। आम आदमी पूर्वजों के इन जलाशयों का उपयोग तक नहीं कर पा रहा है।

आज से 105 वर्ष पूर्व लोहारू पिलानी रोड पर समाजसेवी लोगों ने पशु-पक्षियों के लिए जलाशय और गोचर भूमि तैयार करने का निर्णय लिया। इसके लिए तत्कालीन नवाब अमीनुद्दीन ने 1100 बीघा गोचर भूमि समाज को दी। इसी भूमि में नवाब विला के पास ही अनेक सामाजिक लोगों का साथ लेकर सीमावर्ती राजस्थान के नजदीकी गांव काजड़ा के सेठ हरनारायणदास ईश्वरदास ने संवत 1972 में विशाल गोघाट तथा तालाब बनाए। इन जलाशयों के शिलापट्ट इस बात के गवाह हैं कि एक शताब्दी पूर्व के हमारे पूर्वज अपने पर्यावरण और इको सिस्टम के लिए कितने जागरूक थे। करीब 50 फीट चौड़े और 100 फीट लंबे गोघाट को इस तरीके से बनवाया गया है कि छोटे से छोटा बछड़ा और बड़ा ऊंट भी इसमें आसानी से पानी पी सकता है। पक्षियों के लिए भी अलग से व्यवस्था बनाई है।

90 वर्षीय पूर्व नगरपालिका प्रधान सूबेदार रामजीलाल सैनी, रामकिशन महेंद्रगढिया, वैद्य दीपचंद्र शर्मा, बुद्धराम, लोहारू गोशाला के प्रधान महावीर प्रसाद जैन ने बताया कि यह 1100 बीघा गोचर भूमि बहुत घनी थी। यहां नीलगाय, ऊंट, हिरण, खरगोश, लोमड़ी और गाय वन्य जीव बहुत होते थे। ये सब वन्य जीव यहीं आकर पानी पीते थे, लेकिन पिछले कई सालों से इन जलाशयों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। सूखी हालत में इन जलाशयों को देखकर वन्य जीव-जंतु आज के इंसान की इंसानियत पर गहरा सवालिया निशान लगा रहे हैं। 1100 बीघा गोचर भूमि को इंसान ने नहीं छोड़ा। आसपास के लोगों ने इस पर कब्जे कर लिए। यहां के जाल, कैर, पीपल जैसे घने वृक्षों को इंसान ने नहीं छोड़ा। इस हालत में वन्य जीव जन्तु यहां से पलायन कर गए।

हालांकि कॉलेज विद्यार्थियों तथा समाजसेवी लोग अक्सर इन जलाशयों की साफ-सफाई कर देते हैं। लेकिन बिन बारिश ये सूखे ही रहते हैं। पानी के लिए नगरपालिका द्वारा इसके नजदीक बनवाया गया नलकूप खराब है। विजन क्लब के प्रधान मुकेश शर्मा, धनपत सैनी, संजय खंडेलवाल, जगदीश जायलवाल, डा. आलोक मिश्रा और महेंद्र सैनी ने मांग की कि इस जलाशय को नहरी पानी से जोड़ा जाए ताकि यह हमेशा कामयाब हो। नगरपालिका के प्रधान दौलतराम सोलंकी ने बताया कि इस तालाब के जीर्णोद्धार का पूरा प्लान सरकार को भेजा हुआ है। जल्द ही इसे बेहतरीन रमणीक स्थल बनाया जाएगा।


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