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जरूरी नहीं कि इंसान की इच्छा प्रभु को मंजूर हो: संत कंवर

फोटो 29बीडब्ल्यूएन 2 जेपीजी जागरण संवाददाता भिवानी इंसान जो चाहता है वो परमात्मा को मंजू

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Nov 2020 05:55 AM (IST)Updated: Mon, 30 Nov 2020 05:55 AM (IST)
जरूरी नहीं कि इंसान की इच्छा प्रभु को मंजूर हो: संत कंवर

जागरण संवाददाता, भिवानी: इंसान जो चाहता है वो परमात्मा को मंजूर हो ये जरूरी नहीं। इंसान को मालिक की रजा और हुक्म में रहना चाहिए इंसान की चतुराई कभी नहीं चलती, केवल परमात्मा की चलती है। इंसान की चेती और चाही नहीं होती बल्कि होता वही है जो परमात्मा की चाहना है। यह सत्संग वाणी परमसन्त सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने भिवानी के रोहतक रोड पर स्थित राधास्वामी आश्रम में फरमाई। गुरु महाराज गुरु नानक जयंती के अवसर पर सत्संग फरमा रहे थे। हुजूर महाराज ने कहा कि यह बड़ा मुबारक दिन है। इस दिन की महत्ता तीन तरीकों से है। गुरु नानक जयंती, गुरु पूर्णिमा और गंगा स्नान। नानक साहब बहुत आला संत थे जिन्होंने सच्चे सौदे की असल महता को समझा था। नानक साहब के पिता ने नानक साहब को छोटी उम्र में रुपयों का थैला देते हुए कहा कि इनसे व्यापार करो और व्यापार ऐसा करना जिसमे सच्चा सौदा हो। नानक साहब ने उन रुपयों को परोपकार में लगा दिया। पिता ने पूछा कि इतने रुपये कहां बर्बाद कर दिए तो नानक साहब ने कहा कि आपने ही कहा था कि सौदा सच्चा ही करना सो मैंने जरूरतमंदों की मदद करके सच्चा सौदा ही किया है।

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हुजूर महाराज ने कहा कि परमात्मा को कभी मत भूलो क्या पता कब कैसा व़क्त आ जाये। किसे पता था कि इन परिस्थितियों से भी इंसान को गुजरना पड़ेगा। एक पल में ही पूरे विश्व की योजनाएं धरी की धरी रह गई। कोई अपने ज्ञान से कोई बुद्धि से अपने आपको सर्वेसर्वा मानने लगा था। ये परमात्मा का इंसान को सन्देश है कि बुरे कर्मो का नतीजा बुरा ही होता है।

इंसान पीड़ा दुख की घड़ी में ही परमात्मा को याद करता है। उसी परमात्मा को हम सुख में भी हाजिर नाजिर मान ले तो दुख आये ही ना। हुजूर महाराज ने कहा कि इस विकट घड़ी में सत्संग से जुड़े जीवो ने जो अनुशाशन दिखाया, जो धैर्य दिखाया वो देखने काबिल था। इस तरह की विकट घड़ी में आपका समर्पण ये दिखाता है कि सत्संग सतनाम और सतगुरु को आपने कितना समझा है। कलयुग में नाम से बढ़ कर कोई चीज नहीं। कलयुग में केवल नाम का ही आधार है जिसको सुमर कर आप पार उतर सकते हो। विपरीत परिस्थितियों में यदि कोई सच्चा सहारा है तो वह नाम का सहारा है। जो समझदार है वो जानते हैं कि नाम से बढ़ कर आपका कोई मीत नहीं है। नाम के दीवाने हो जाओ नाम ही है जो आपको परमात्मा की संगति करवाता है।

उन्होंने कहा कि राम नाम की महिमा गाई नहीं जा सकती उसे तो केवल महसूस किया जा सकता है। नाम तो सब गुणों से भरपूर है। वो तो हर सुख समृद्धि को देने वाला है। अपने विचारों को एकचित करके नाममय हो जाओ। इस दुनिया के भोग पदार्थो को केवल इतना ही भोगों जितने की आवश्यकता है। गुरु महाराज ने फरमाया कि स्वस्थ तन में स्वस्थ मन रहेगा इसलिए सबसे पहले अपने तन को स्वस्थ रखने का प्रयास करो। तन प्रबल रहेगा तभी भक्ति कर पाओगे। उन्होंने कहा कि जीते जी की भक्ति ही भक्ति है। जीते जी भक्ति होगी जिदा मत अपनाने से और जिदा मत सन्तमत ही है। गुरु की शिक्षाओं को भुनाओ और उनको आत्मसात करके अपने अंतर में पूर्णिमा मनाओ


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