लॉकडाउन में बच्चों को गेम की लत, डाक्टर बोले-आदत अच्छी नहीं
मदन श्योराण ढिगावा मंडी छह महीने से ज्यादा समय से चल रहे लॉकडाउन के कारण बच्चों मे
मदन श्योराण, ढिगावा मंडी:
छह महीने से ज्यादा समय से चल रहे लॉकडाउन के कारण बच्चों में मोबाइल पर गेम खेलने की आदत हो गई है। अब ऑनलाइन क्लास शुरू हो चुकी है, लेकिन बच्चों के गेम खेलने की आदत नहीं छूट रही। उनकी यह आदत छुड़ाने में अभिभावक को भी दिक्कत आ रही है। ऑनलाइन क्लास के लिए उन्हें मोबाइल देना ही पड़ता है और कई बच्चे बीच-बीच में खेल खेलने लगते हैं।
अभिभावक विकास, राकेश श्योराण, नवीन नूनिया, राजेश जांगड़ा, रविद्र अमीरवास ने बताया कि दिन प्रतिदिन बच्चों का फोन के प्रति लगाव बढ़ता जा रहा है। बच्चों के व्यवहार में भी परिवर्तन देखने को मिला है। बच्चे ज्यादातर फोन और टीवी देखना पसंद कर रहे हैं।
मेडिकल ऑफिसर डा. गौरव चतुर्वेदी का कहना है स्वाभाविक बात है कि बच्चों के हाथ में अगर दिनभर मोबाइल रहेगा तो बच्चा पढ़ाई के बहाने अन्य चीजों की तरफ भी जाएंगे। इसमें देखने में आया है कि एंटरटेनमेंट के लिए बच्चे जब कुछ समय के लिए मोबाइल में कार्टून देखते हैं तो बच्चों की गेम्स खेलने की उत्सुकता बढ़ती है। कई बच्चे गेम्स खेलने की जिद करते हैं तो अभिभावक मोबाइल में गेम्स लगाकर भी दे देते हैं। इस तरह की आदत बाद में भारी पड़ जाती है। बच्चों की क्रिएटिव कार्यों में रुचि बढ़ाएं
डाक्टर का कहना है इन दिनों कई अभिभावक बच्चों की बदलती आदतों के कारण चितित हैं। जब स्कूल संचालित हो रहे थे तो बच्चे दिनभर के एक शेड्यूल में आ गए थे, लेकिन अब घर पर ज्यादा समय फ्री रहने के कारण इलेक्ट्रोनिक्स उपकरणों के बीच रह रहे हैं। आंखों के लिए नुकसानदायक
डा. सुनील धुंवा ने बताया कि मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा देर तक बने रहने के कारण कई तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियां बच्चों में देखने को मिलती है। सबसे ज्यादा असर आंखों पर पड़ रहा है। लगातार डिजिटल स्क्रीन देखने से आंखों के रेटिना पर गलत प्रभाव पड़ता है और मेमोरी कम होने की शिकायत भी होती है। बच्चों को मोबाइल देने के पहले इसकी डिस्प्ले सेटिग कम कर देना चाहिए।