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खेती में विविधता अपनाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान : डा. बलवंत

कृषि पद्धति व परंपरा में परिवर्तन कर किसान अपनी आमदनी में और अधिक वृद्धि कर सकते हैं। खेती के अलावा किसानों को बागवानी या पशुपालन इत्यादि पर भी काम शुरू करना चाहिए। यह बात दादरी के कृषि उपनिदेशक डा. बलवंत सहारण ने सोमवार को कही।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Nov 2021 06:29 PM (IST)Updated: Mon, 29 Nov 2021 06:29 PM (IST)
खेती में विविधता अपनाकर आमदनी बढ़ा सकते हैं किसान : डा. बलवंत

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : कृषि पद्धति व परंपरा में परिवर्तन कर किसान अपनी आमदनी में और अधिक वृद्धि कर सकते हैं। खेती के अलावा किसानों को बागवानी या पशुपालन इत्यादि पर भी काम शुरू करना चाहिए। यह बात दादरी के कृषि उपनिदेशक डा. बलवंत सहारण ने सोमवार को कही।

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उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए विविधीकरण को अपनाना चाहिए। ऐसा करके वे जोखिम कारकों को कम कर सकते हैं। कृषि विविधिकरण अपनाने से मौसम फसल उत्पादन के अनुकूल नहीं रहता है तो किसान अपने अन्य संसाधनों से इसकी पूर्ति कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कई फसलों को एक छोटे से खेत से काटा जा सकता है। इसलिए उत्पादन में वृद्धि होनी लाजमी है। जिससे पर्याप्त आय सुनिश्चित होती है। कृषि विविधीकरण से ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार सर्जित होते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है तथा कीट भी नियंत्रित होते हैं।

उन्होंने बताया कि कृषि विविधिकरण मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। प्रथम क्षैतिज विविधीकरण के अंतर्गत एक ही फसल की खेती के बजाय फसलों के मिश्रण से संबंधित है। मिश्रित मौसमी सब्जियों की काश्त करना छोटे किसानों के लिए उपयोगी है। यह उन्हें फसल की तीव्रता में वृद्घि करके अधिक आय उत्पन्न करने में मदद करता है। दूसरे वर्टिकल विविधीकरण में कई फसलों के साथ साथ औद्योगिकीकरण के समावेश को दर्शाया जाता है। इसमें किसान फसल उत्पादन के साथ-साथ उनसे संबंधित औद्योगिकीकरण में भी निवेश करते हैं। बागवानी फसलों में फल, सब्जी, फूल, खुंभी, शहद उत्पादन के साथ इनसे संबंधित छोटे उद्योग धंधे जैसे फल, सब्जी से संबंधित प्रसंस्करण इकाई जैम, जैली, मुरब्बा, चटनी, आचार इत्यादि में निवेश कर किसान अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं।


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