मधुमक्खी पालन अपना कर किसान आय कर सकते हैं दोगुणा
मदन श्योराण ढिगावा मंडी किसान या बेरोजगार युवक परंपरागत खेती के साथ ही मधुमक्खी पालन व्
मदन श्योराण, ढिगावा मंडी :
किसान या बेरोजगार युवक परंपरागत खेती के साथ ही मधुमक्खी पालन व्यवसाय अपनाकर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। किसानों को मधुमक्खी पालन केंद्रों पर 3 दिन का प्रशिक्षण दिया जाता है। खास बात है कि इस व्यवसाय की शुरूआत किसान 5 से 10 बक्से से भी कर सकते हैं। एक बक्से पर कम से कम 3 हजार रुपये की बचत आती है। इसमें एक बार बक्से खरीदने पड़ते हैं और उसके बाद मधुमक्खियां हर साल बढ़ जाएंगी।
कृषि अधिकारी डॉ चंद्रभान श्योराण ने बताया कि इन मधुमक्खियों से तैयार किया गया शहद बाजार में 90 रुपए से 100 रुपए किलोग्राम तक बिकता है। मधुमक्खी पालन के लिए इस समय उपयुक्त समय है। इसके लिए सभी कृषि विज्ञान केंद्रों पर प्रशिक्षण दिया जाता है। किसान तीन दिन की ट्रेनिग लेकर व्यवसाय शुरू कर सकते हैं। 100 बॉक्स पर 3 लाख तक की बचत
जानकारी देते हुए खंड कृषि अधिकारी डॉ चंद्रभान ने बताया कि मधुमक्खी पालन अक्टूबर माह से शुरू हो जाता है। इसमें एक बक्से से 15 से 30 किलोग्राम शहद मिल जाता है। ऐसे में अगर 100 बक्से रखे गए तो लगभग 3 हजार किलोग्राम शहद तैयार हो जाता है। जिससे 3 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है। मधुमक्खी की प्राप्त प्रजातियां:
एपीस मैलीफेटा : इसे इटेलियन मधुमक्खी कहते हैं, यह आकार व स्वभाव में भारतीय महाद्वीपीय प्रजाति है। इसका रंग भूरा, अधिक परिश्रमी आदत होने के कारण यह पालन के लिए सर्वोत्तम प्रजाति मानी जाती है। इसमें भगछूट की आदत कम होती है व यह पराग व मधु प्राप्ति हेतू 2-2.5 किमी की दूरी भी तय कर लेती है। मधुमक्खी के इस वंश से वर्षभर में औसतन 50-60 किग्रा. शहद प्राप्त हो जाता है। नर मधुमक्खी या ड्रोंस : नर मधुमक्खी गोल, काले उदर युक्त व डंक रहित होती हैं।यह प्रजनन कार्य सम्पन्न करती है व इस काल में बहुतायत में होती है। रानी मधुमक्खी से प्रजननोप्रांत नर मधुमक्खी मर जाती है, यह नपशियत ़फ्लाइट कहलाता है। इसके तीन दिन पश्चात रानी अंडे देने का कार्य प्रारंभ कर देती है। मादा मधुमक्खी या श्रमिक : पूर्णतया विकसित डंक वाली श्रमिक मक्खी मौनगृह का संचालित करती है। इनका जीवनकाल 40-45 दिन का होता है।श्रमिक मक्खी कोष से पैदा होने के तीसरे दिन से कार्य करना प्रारंभ कर देती है।