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पंजीकरण कराए दो सप्ताह बीते, नहीं शुरू हो पाई बाजरे की खरीद

प्रदेश सरकार द्वारा आनलाइन पंजीकरण करवाने वाले किसानों की बाजरा की फसल की खरीद एक अक्टूबर से करवाने के दो सप्ताह बाद भी खरीद कार्य शुरू न होने से किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। किसान अपना अनाज ग्रामीण क्षेत्र के छोटे व्यापारियों को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 11:17 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 11:17 PM (IST)
पंजीकरण कराए दो सप्ताह बीते, नहीं शुरू हो पाई बाजरे की खरीद

पवन शर्मा, बाढड़ा :

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प्रदेश सरकार द्वारा आनलाइन पंजीकरण करवाने वाले किसानों की बाजरा की फसल की खरीद एक अक्टूबर से करवाने के दो सप्ताह बाद भी खरीद कार्य शुरू न होने से किसानों में रोष बढ़ता जा रहा है। किसान अपना अनाज ग्रामीण क्षेत्र के छोटे व्यापारियों को औने-पौने दामों में बेचने को मजबूर हैं। सरकार की महत्वाकांक्षी भावांतर योजना के द्वारा भी एक चौथाई फसल खरीद न होने तथा किसानों के खातों में खातों में छह सौ रुपये प्रति क्विंटल छह सौ रुपये की राशि न आने से किसानों व आढ़तियों की चिताएं बढ़ गई हैं। किसान संगठनों ने पहले ही मौसम की मार झेल रही फसलों की तुरंत खरीद शुरू करवाने की मांग की है।

बाढड़ा उपमंडल में खरीफ सीजन में सबसे अधिक बाजरे का उत्पादन किया जाता है वहीं पिछले पांच साल पहले मामूली भाव में बिकने वाला बाजरा आज गेहूं जैसे खाद्यान से आगे बढ़कर आज 2250 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी पर पहुंच गया है। सरकार ने पिछले सत्र की तरह मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर आनलाइन पंजीकरण करने वाले किसानों की ही फसल खरीद करने का दावा किया है। जिससे भाव की अधिकता को देखते हुए पुराने भिवानी जिले में प्रदेश में सबसे अधिक 77 हजार एकड़ के बड़े रकबे जिसमें दादरी में भी 27 हजार एकड़ पर अकेले बाजरे की बिजाई की गई है।

अधिक बारिश से पहले ही बर्बाद हो गई फसलें मानसून की अधिक वर्षा के चलते खेतों में खड़ी बाजरे की फसलें व कपास खराबे की भेंट भी चढ़ चुकी हैं। किसान हवासिंह काकड़ौली, सतपाल सिंह, समुंद्र सिंह, संदीप धनखड़ इत्यादि ने बताया कि एक अक्टूबर से शुरू होने खरीद के 17 दिन गुजरने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाने पर वे असमंजस में है कि खरीद किस पैटर्न पर होगी। सरकार चाहती है कि भावांतर योजना पर खरीद की जाए जिसमें मार्केट रेट पर खरीद के बाद बचे लाभ को सरकार द्वारा वसूल किया जाए लेकिन इसे कब अमलीजामा पहनाया जाएगा यह अभी तक निश्चित नहीं हो पाया है। जिस कारण किसानों को बाजरे का ओपन मार्केट में भाव भी नहीं मिल रहा है। किसान मजबूरीवश एक हजार से 12 सौ रुपये प्रति क्विंटल बाजरा बेच रहे है। ----

प्रदेश सरकार बाजरा खरीद न करने के लिए कभी भावांतर तो कभी अन्य योजना के नाम पर किसानों को भ्रमित कर रही है। भावांतर योजना के लागू होने से किसानों का अनाज बेचने के लिए पहले व्यापारी की खोज करनी पड़ेगी तथा बिक्री के बाद सरकार के समक्ष बकाया राशि के लिए चक्कर लगाने पड़ेंगे। आढ़तियों का भविष्य क्या होगा इस पर अभी संशय बना हुआ है। उन्होंने पिछले पैटर्न के तहत ही किसानों का बाजरा की खरीद करवा कर उनको तुरंत भुगतान राशि का लाभ देने की मांग की। हनुमान शर्मा, आढ़ती एसोसिएशन अध्यक्ष, बाढड़ा


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