नहरी पानी चोरी रोकने, धान रोपाई पर रोक लगाने की मांग, डीसी दफ्तर पहुंचे बिरहीं कलां के ग्रामीण
गांव बिरही कलां में भूमिगत जलस्तर ऊपर होने के कारण बा
जागरण संवाददाता, चरखी दादरी :
गांव बिरही कलां में भूमिगत जलस्तर ऊपर होने के कारण बारिश के दौरान चव्वे की समस्या का सामना करना पड़ता हैं। जिससे गांव में बाढ़ के हालात बन जाते हैं। इसी को मद्देनजर रखते हुए ग्राम पंचायत ने प्रशासनिक अधिकारियों को अवगत करवाकर गांव में धान रोपाई पर बैन लगा रखा हैं। लेकिन कुछ किसानों द्वारा इस सीजन धान की रोपाई की जा रही है। जिसके चलते भविष्य में बाढ़ व दूसरी परेशानियों को देखते हुए दर्जनों ग्रामीण सोमवार को दादरी जिला उपायुक्त शिव प्रसाद शर्मा से मिले और नहरी पानी चोरी रोकने व गांव में धान रोपाई पर रोक लगवाने की मांग की।
जिला उपायुक्त से मिलने डीसी से मिलने पहुंचे गांव बिरहीं निवासी सुरेंद्र नंबरदार, कुलदीप सांगवान, शमशेर, जगबीर, सुभाष, वंसपाल, आशीष, धर्म सिंह, सूरजमल, उमेद सिंह इत्यादि ने कहा कि धान की खेती के लिए खेतों में पानी जमा रहता है जिसके लिए पानी की काफी अधिक आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि पानी की पूर्ति न होने पर धान लगाने वाले किसान नहरी पानी की चोरी करते है। जिससे जलघरों तक पानी नहीं पहुंच पाने के कारण गर्मी के मौसम में लोगों को पेयजल समस्या का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि गांव का भूमिगत जलस्तर काफी ऊपर होने व धान उत्पादक किसानों द्वारा अधिक उत्पादन के चक्कर पर अंधाधुंध डाले जाने वाले उर्वरकों, कीटनाशकों के कारण पानी की गुववत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि बीते वर्षों के दौरान धान लगाने के कारण गांव की करीब 400 एकड़ जमीन खराब हो चुकी हैं और बंजर होने की कगार पर हैं। इसके अलावा लगातार जलभराव होने के कारण सैकड़ों पेड़-पौधे नष्ट हो चुके हैं। जिसके चलते ग्राम पंचायत ने सर्वसम्मति से धान नहीं लगाने का निर्णय लिया हुआ है।
ग्रामीणों ने कहा कि इसके लिए ग्राम पंचायत व प्रशासन की ओर से दो माह पहले गांव में मुनादी भी करवाई गई थी। डीसी से मिलने पहुंचे लोगों का आरोप है कि कुछ लोग नहरी पानी की चोरी कर खेतों में धान लगाकर गांव के लोगों के लिए समस्याएं खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने जिला उपायुक्त व एसडीएम को पूरे मामले से अवगत करवाते हुए नहरी पानी की चोरी व धान रोपाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई। बीमारी फैलने का रहता है डर
ग्रामीणों ने बताया कि धान लगाने के कारण बारिश के दिनों में गांव के तीन ओर पानी जमा हो जाता है। जिसके कारण लोगों में बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि धान लगाने के लिए गांव में दर्जनों प्रवासी श्रमिक बुलाए गए हैं लेकिन उनका कोरोना टेस्ट नहीं करवाया गया है। जिसके कारण गांव में कोरोना फैलने का भी डर बना हुआ है।