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डीएपी की कमी के चलते अगेती सरसों की बिजाई में हो रही देरी, किसानों की चिताएं बढ़ीं

उपमंडल क्षेत्र में अक्टूबर माह का तीसरा सप्ताह शुरु होने के बाद भी (डि अमोनियम फास्फेट) डीएपी की आपूर्ति न होने से क्षेत्र के अगेती सरसों बिजाई करने वाले किसानों की चिताएं बढ़ गई हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Oct 2021 07:32 AM (IST)Updated: Mon, 18 Oct 2021 07:32 AM (IST)
डीएपी की कमी के चलते अगेती सरसों की बिजाई में हो रही देरी, किसानों की चिताएं बढ़ीं
डीएपी की कमी के चलते अगेती सरसों की बिजाई में हो रही देरी, किसानों की चिताएं बढ़ीं

संवाद सहयोगी, बाढड़ा : उपमंडल क्षेत्र में अक्टूबर माह का तीसरा सप्ताह शुरु होने के बाद भी (डि अमोनियम फास्फेट) डीएपी की आपूर्ति न होने से क्षेत्र के अगेती सरसों बिजाई करने वाले किसानों की चिताएं बढ़ गई हैं। इन दो दिनों में बरसात का मौसम बना रहने के बाद सरसों की बिजाई के लिए अनुकूल वातावरण बनने से किसान बेसब्री से खाद का इंतजार कर रहे है लेकिन सहकारी समितियों में अभी तक डीएपी नहीं पहुंची है।

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बाढड़ा उपमंडल की रेतीले क्षेत्र की भूमि को सरसों व गेहूं बिजाई के समय डीएपी को सबसे अधिक जरूरी माना जाता है क्योंकि यह भूमि को अप्रैल माह तक शीतलता देती है। कृषि क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ भी देशी व जैविक खाद के बाद भूमि की गुणवता को बनाए रखने के लिए डीएपी प्रयोग करने की सलाह देते हैं। मौजूदा दौर में दस अक्टूबर के बाद क्षेत्र में अगेती सरसों की बिजाई शुरु हो जाती है। जिसके लिए किसान पहले ही ग्वार, बाजरे व कपास के पौधों की कटाई कर भूमि को खाली कर समतल कर देते हैं लेकिन अब की बार डीएपी की नाम मात्र आवक से किसानों की परेशानियां बढ़ गई है। क्षेत्र को सरकारी खाद बीज उपलब्ध करने वाली सहकारी समिति के भंडारण केंद्र भी वीरान नजर आ रहे हैं। कस्बे के केंद्रीय सहकारी बैंक की सहकारी समिति के अलावा कादमा, बेरला, नांधा, धनासरी, चांदवास व हुई की अलग-अलग संचालित सहकारी समितियों के प्रबंधकों ने गेहूं, सरसों की बिजाई को सिर पर देखते हुए सितंबर माह के प्रथम पखवाड़े में ही जिला मुख्यालय को प्रथम चरण में 28 हजार बैगों की डिमांड भेजी थी। सितंबर के अंतिम सप्ताह में आपूर्ति होनी थी लेकिन वह खेप अक्टूबर माह के दूसरे सप्ताह गुजरने के बाद भी नहीं पहुंची है। इससे सरसों की बिजाई करने वाले किसान प्रतिदिन सहकारी समितियों के कार्यालयों में चक्कर लगाने को मजबूर है। किसानों ने बताया कि उन्होंने मजबूरीवश पिछले वर्ष की बकाया डीएपी की बिजाई कर सरसों को बोना पड़ रहा है लेकिन सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है।

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क्षेत्र में डीएपी की आवक कम होने को लेकर कृषि विभाग के भिवानी व दादरी के उप निदेशकों को सारी स्थिति से अवगत करवा दिया गया है। उन्होंने सोमवार से क्षेत्र की सहकारी समितियों में डीएपी खाद की आपूर्ति करवाने का भरोसा दिया है।

- राजेन्द्र सिंह हुई, चेयरमैन, सहकारी समिति, हुई


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