सांस्कृतिक मंच की व्याख्यान गोष्ठी में धर्म के मूल स्वरूप को लेकर हुआ मंथन
फोटो 04 बीड्ब्ल्यूएन 01 जागरण संवाददाता, भिवानी : जब से मानव ने आंखें खोली तब से धर्म की स्थापना
फोटो 04 बीड्ब्ल्यूएन 01
जागरण संवाददाता, भिवानी : जब से मानव ने आंखें खोली तब से धर्म की स्थापना हुई। राजा का अर्थ दीप्ति है। न्याय व्यवस्था से व्यक्ति में दीप्ति आती है और न्याय गत्यात्मकता से जुड़ा है। यह गति पदार्थ तथा चेतन दोनों से जुड़ी है। सांस्कृतिक मंच की संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में धर्म के मूल को लेकर मंथन हुआ। समारोह में समाज में सार्थक बदलाव की मुहिम में जुटे प्रबुद्धजनों को सम्मानित भी किया गया। हरियाणा संस्कृत अकादमी पंचकूला के सहयोग से सांस्कृतिक मंच द्वारा सांस्कृतिक सदन में आयोजित व्याख्यान गोष्ठी में संस्कृत के प्रख्यात विद्वान पंडित शिवनारायण शास्त्री ने कहा कि मनुष्य और धर्म एक दूसरे पूरक हैं। मनुष्य से धर्म है और धर्म के बिना मनुष्य भी अधूरा है।
कार्यक्रम में मंच संचालन कर रही अनीता नाथ ने कहा कि वरुण जगत का राजा है। प्राकृतिक न्याय को न्याय व्यवस्था का मूल आधार माना गया है। वर्ण व्यवस्था का स्थान आज जाति व्यवस्था ने ले लिया है जोकि एक प्राकृतिक व्यवस्था है। वर्ण व्यवस्था प्राकृतिक है। इस अवसर पर डा.रमाकांत शर्मा का अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश में चयन होने पर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आदर्श कालेज की प्राचार्या डा. माया यादव थी जबकि अध्यक्षता वरिष्ठ अधिवक्ता अविनाश सरदाना ने की। इस अवसर पर डा. वीबी दीक्षित, सेवानिवृत नगर योजनाकार होशियार ¨सह, कवि श्रीनिवास मयंक, सेवानिवृत बीडीपीओ राजकुमार शर्मा, शशि परमार, मंच के अध्यक्ष घनश्याम शर्मा, सचिव डा.संजय अत्रि, विजय सोलंकी, कल्पना शर्मा, रेखा तंवर, पूर्व प्राचार्या रत्नमाला आर्य समेत अनेक लोग मौजूद थे।