बिना एसएमएस वाली कंबाइन मालिक पर होगा मामला दर्ज
कृषि विभाग खेतों में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त रुख
राजेश कादियान, बवानीखेड़ा : कृषि विभाग खेतों में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने जा रहा है। इतना ही नहीं कंबाइन मशीन मालिकों को भी कंबाइन में एसएमएस (स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम) लगाने की सलाह दी गई। अगर कंबाइन में एसएमएस सिस्टम लागू नहीं होगा तो ऐसे कंबाइन मालिकों के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। फिलहाल जो क्षेत्र में कंबाइन मालिक हैं उन्हें इस बारे में नोटिस जारी कर दिए गए हैं ताकि समय रहते वे कंबाइनों में एसएमएस सिस्टम को लागू कर सकें। इतना ही नहीं खेतों में पराली जलाने के मामले में कुछ गांव रेड जोन में है तो कुछ गांव यलो जोन में भी शामिल किए गए हैं। इन गांवों में कृषि विभाग के अधिकारियों की स्वयं नजर रहेगी। साथ-साथ सैटेलाइट के माध्यम से भी पराली जलाने वाले किसानों का पता लगाया जाएगा। कृषि विभाग ने अभी से किसानों को जागरूक करने के लिए पराली प्रबंधन शिविर भी लगाने शुरू कर दिए हैं ताकि किसान समय रहते इसके प्रति जागरूक हो सके और पराली का प्रबंधन कर सकें। खंड के सात गांव रेड जोन में शामिल
बवानीखेड़ा खंड के सात गांवों को पराली जलाने के मामले में रेड जोन घोषित किया गया है। इनमें गांव पुर, सिवाड़ा, कुंगड़, जाटू लोहारी, सिवाना व बड़सी शामिल किए गए हैं। जबकि यलो जोन में बलियाली, सुई, तागा, जमालपुर व पपोसा को शामिल किया गया है। रेड जोन पर अधिकारियों की टीम की विशेष नजर रहेगी। इसके साथ-साथ सैटेलाइट के माध्यम से भी पराली जलाने वाले किसानों की जानकारी हासिल की जाएगी। अगर कोई किसान खेतों में पराली जलाता पाया गया तो उसके खिलाफ कृषि विभाग द्वारा अपने स्तर पर जुर्माना या थाने में मामला दर्ज करवाया जाएगा। यह होता है एसएमएस का काम
एसएमएस को कंबाइन के पीछे लगाई जाता है। यह मशीन पराली की कटाई काम करती है। इससे पराली के छोटे-छोटे टुकड़े हो जाते हैं। जिसे बाद में जमीन में मिलाने में आसानी होती है। क्षेत्र में 10 कंबाइन मशीन
बवानीखेड़ा में करीब 10 कंबाइन मशीन हैं। पहली नजर में सभी कंबाइनों पर एसएमएस सिस्टम लागू है। इसके बावजूद भी विभाग ने इन कंबाइन मालिकों को धान की फसल की कटाई के वक्त एसएमएस सिस्टम को पूरी तरह से चालू रखने के निर्देश दिए गए हैं। अगर कोई बाहरी क्षेत्र से बिना एसएमएस सिस्टम के धान की कटाई के लिए यहां पर आता है तो उस कंबाईन मालिक के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। किसानों को अनुदान का लाभ
पराली प्रबंधन के लिए किसानों को कृषि विभाग कृषि यंत्र भी व्यक्तिगत रूप से 50 फीसद अनुदान पर उपलब्ध करवा रहा है। अगर 10-11 किसान एकत्रित होकर कोमन हायर सेंटर का गठन करते हैं तो उन्हें 80 फीसद अनुदान पर ये कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि कामन हायर सेंटर के लोग किसानों को ये कृषि यंत्र किराए पर देकर अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं। बॉक्स:
कृषि विभाग किसानों को स्ट्राबेलर मशीन के द्वारा पराली की गांठें बनाने और उन गांठों को फैक्ट्रियों को बेचने पर हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी देने जा रहा है। इस मशीन से पराली को एकत्रित कर गांठे बनाने में आसानी होती है और किसान पराली की गाठें फैक्ट्रियों को बेच कर अपनी आमदनी भी बढ़ा सकता है। बॉक्स:
अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में धान की फसल की कटाई आरंभ हो जाती है। कई किसान खेतों में ही पराली जलाने का कार्य करते हैं। ये हमारे पर्यावरण को तो नुकसान पहुंचाता है साथ-साथ जमीन की उर्वरा शक्ति को भी कम करता है। इस बार जो किसान खेतों में पराली जलाता पाएगा उसके खिलाफ कृषि विभाग द्वारा जुर्माने या थाने में मामला दर्ज करवा कार्रवाई करवाई जाएगी। कंबाइन मशीनों में भी एसएमएस सिस्टम लागू होना आवश्यक है।
- डा. शमशेर सिंह ढुल, खंड कृषि अधिकारी।