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बड़ा मुद्दा : जिले में बड़े चुनावी मुद्दे में तबदील हो रहा है भूमि अधिग्रहण

सभी राजनीतिक मंचों पर उठाया जा रहा है किसानों का मुद्दा सुरेश गर्ग चरखी दादरी ल

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 12:30 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 12:30 AM (IST)
बड़ा मुद्दा : जिले में बड़े चुनावी मुद्दे में तबदील हो रहा है भूमि अधिग्रहण
बड़ा मुद्दा : जिले में बड़े चुनावी मुद्दे में तबदील हो रहा है भूमि अधिग्रहण

सभी राजनीतिक मंचों पर उठाया जा रहा है किसानों का मुद्दा

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सुरेश गर्ग, चरखी दादरी :

लोकसभा चुनाव के लिए चल रही सरगर्मियों के बीच भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दादरी जिले के 17 गांवों से गुजरने वाला 152 डी नेशनल हाईवे प्रस्तावित सड़क मार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए शुरू की गई प्रक्रिया एक यहां के बड़े चुनावी मुद्दे में तबदील होती नजर आने लगी है। भूमि अधिग्रहण के लिए घोषित अवार्ड को रद्द करने की मांग को लेकर जिले के 17 प्रभावित गांवों के किसान पिछले 51 दिनों से दादरी-चिड़िया रोड पर गांव रामनगर के करीब धरने पर बैठे है। इस दौरान किसान लगातार प्रदर्शन भी कर रहे है।

धरने पर बैठे किसानों को समर्थन देने के लिए सभी प्रमुख सियासी दलों के छोटे बड़े नेता, किसान, खाप संगठनों से जुड़े लोग लगातार सामने आ रहे है। जिले में विशेष गैर भाजपा दलों के मंचों से राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण के मामले को जोर शोर से उठाया जा रहा है तथा बाजार भाव से किसानों को मुआवजा देने की मांग की जा रही है। भूमि अधिग्रहण से प्रभावित 17 गांवों के किसानों के समर्थन में अन्य क्षेत्रों के लोगों के खुलकर आने से यह मामला एक बड़े चुनावी मुद्दे में सीधे तौर पर बदलता दिखाई देने लगा है। हालांकि दादरी जिले के विभिन्न गांवों से गुजरने वाली उक्त सड़क योजना को यहां के विकास से भी जोड़कर देखा जा रहा है लेकिन विरोधी दलों ने किसानों का समर्थन हासिल करने का इसे एक बेहतर अवसर मान कर इसे हाथों हाथ लिया है। धरने पर बैठे किसानों को समर्थन देने वालों की तादाद भी चुनावी प्रक्रिया के बढ़ने के साथ बढ़ती जा रही है।

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क्या है मुद्दा

आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता अनूप सिंह ने बताया कि कुरूक्षेत्र जिले से नारनौल बाईपास तक भारत माला योजना के तहत प्रस्तावित 152 डी राष्ट्रीय राजमार्ग को दादरी जिले के 17 गांवों से गुजरना है। इसके लिए नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया ने पिछले वर्ष 31 अगस्त 2018 को तीन के भूमि अधिग्रहण का सार्वजनिक नोटिस जारी किया था। नोटिस में राष्ट्रीय राजमार्ग की भूमि अधिग्रहण संबंधी सूचना के साथ-साथ जरूरी शर्ते भी शामिल हो गई थी।

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जिले के इन गांवों से गुजरना है हाईवे

किसान नेता विनोद मौड़ी के मुताबिक 152 डी राष्ट्रीय राजमार्ग दादरी जिले के गांव बौंद कलां, बौंद खुर्द, भागेश्वरी, रानीला, झिझर, खातीवास, समसपुर, दादरी शहर, ढाणी फौगाट, टिकान कलां, कपूरी, मौड़ी, बलकरा, मकड़ानी, मकड़ाना, चिड़िया व दांतौली से होकर गुजरना है। यहां के करीब 655 एकड़ भूमि का इस योजना के लिए अधिग्रहण होना है। हाईवे चार लाइन में बनेगा तथा इसकी भूमि से ऊंचाई 12 से 15 फुट तक रहेगी। इसके चलते खेतों के आवागमन के रास्ते बंद हो जाएंगे। किसान राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ एक सर्विस लेन बनाने की मांग कर रहे हैं।

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मुआवजा वृद्धि की मांग

किसानों के कानूनी सलाहकार रमेश दलाल एडवोकेट ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए जारी अधिसूचना के बाद किसानों की अधिग्रहित की गई भूमि के अलग-अलग गांवों के लिए मुआवजा राशि निर्धारित की गई है। जो औसत 24 से 40 लाख रुपये प्रति एकड़ के करीब है। आंदोलनरत किसानों का कहना है कि यहां की जमीनों की लगातार हो रही रजिस्ट्रियों व बाजार भाव को देखते हुए ये रेट काफी कम है। किसानों के धरने का संचालन कर रहे विनोद मौड़ी ने बताया कि कुरूक्षेत्र से लेकर नारनौल तक बनने वाला 152 डी हाईवे किसी भी शहर के पास से नहीं गुजरता है जबकि यहां यह दादरी शहर के साथ से निकलेगा। इसलिए यहां जमीनों की मुआवजा राशि का निर्धारण शहरी कीमत के आधार पर किया जाना चाहिए।

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सांसदों और विधायकों ने दिया समर्थन

अधिग्रहित की जाने वाली जमीनों की मुआवजा वृद्धि की मांग को लेकर पिछले 51 दिनों से धरना दे रहे किसानों के समर्थन में कई सांसद, विधायक, किसान, खाप संगठनों से जुड़े नेता अपना समर्थन दे चुके हैं। तीन बार किसान दादरी शहर में बड़ा प्रदर्शन भी कर चुके है। किसान मुआवजा राशि का अवार्ड रद्द करने तथा कम से कम 2 करोड़ रुपये प्रति एकड़ देने की मांग कर रहे हैं। चुनाव से ठीक पहले इस मामले में किसानों का यह आंदोलन अब एक बड़े चुनावी मुद्दे में तबदील होता दिखाई दे रहा है।


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