जिंदगी में हमेशा रहो रोमांटिक, यह बेहद जरूरी : धर्मेंद्र
जानेमाने फिल्म अभिनेता व हिंदी फिल्मों के हीमैन धर्मेंद्र आज की पूरे जोशो-खरोश से भरे हैं। उनका कहना है कि क्रिकेट से बेहतर खेल कुश्ती है। यह अधिक रोमांच देता है। क्रिकेट की अपेक्षा कुश्ती अधिक मजेदार व रोमांचक खेल है।
भिवानी [बलवान शर्मा]। जानेमाने फिल्म अभिनेता व हिंदी फिल्मों के हीमैन धर्मेंद्र आज की पूरे जोशो-खरोश से भरे हैं। उनका कहना है कि क्रिकेट से बेहतर खेल कुश्ती है। यह अधिक रोमांच देता है। क्रिकेट की अपेक्षा कुश्ती अधिक मजेदार व रोमांचक खेल है। उनका कहना है कि जिंदगी को खुलकर जीना चाहिए। इसके लिए व्यक्ति का हमेशा रोमांटिक रहना चाहिए। बेहतर जिंदगी के लिए यह बेहद जरूरी है। जीवन को राेमांस के नजरिये से देखने पर यह बेहद खुशनुमा हो जाता है। धर्मेंद्र प्रो रेसलिंग लीग में पंजाब टीम के सह मालिक है।
पर्यटन ब्रांड अंबेसडर के बारे में हरियाणा सरकार ने चल रही है बातचीत
उन्हें हरियाणा सरकार उनकी पत्नी व सांसद हेमामालिनी के साथ राज्य का पर्यटन ब्रांड अंबेसडर बनाने की तैयारी में है। इस बारे में उनका कहना है कि अभी बात चली है। भविष्य की रणनीति क्या होगी अभी कुछ नहीं कह पाऊंगा।
एक बातचीत में धर्मेंद्र ने शायराना अंदाज में कहा-'खास-उल-खास होकर भी आम-उल-आम रहा मैं, शायद यही राज है मेरी कामयाबी का। किसी नाकामी के डर से कोई जश्न ए कामयाबी मना न सका मैं। शायद यही राज है मेरी कामयाबी का।'
एक अन्य सवाल के जवाब में धर्मेंद्र ने कहा, मैं सभी को मुहब्बत करता हूं। मुहब्बत ही मेरी ताकत है। यहीं वजह है कि मेरी नाकामी को मुझे चाहने वाले अपनी नाकामी व मेरी सफलता को वे अपनी सफलता महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि प्यार बांटने आया हूं और प्यार ही मेरी जिंदगी है। यही वजह है कि आज तीन पीढ़ियां मुझे पसंद करती हैं।
प्रशंसकों के साथ धर्मेंद्र।
300 से ज्यादा फिल्मों में जीवंत अभिनय कर चुके प्रो रेसलिंग लीग में सीडीआर पंजाब रायल्स के सह मालिक धर्मेंद्र कहते हैं कि वह पहलवानों के बीच खुद को पाकर खुशी महसूस कर रहे हैं। वह बचपन से ही कुश्ती, कबड्डी जैसे खेलों का शौकीन रहे हैं। बचपन में अपने गांव में खुद अखाड़े गोड़ता(खोदता) था। इसमें एक पीपा सरसों का तेल डालता और पहलवानों को अपने हाथ से रहट चलाकर नहलाता था।
उन्होंने कहा, मेरा पहला शौक पहलवानी रहा है और कबड्डी भी मैं खूब खेला हूं। जितना मजा कुश्ती में शुरू से ही आता है, उतना क्रिकेट में कभी नहीं आता है। कुश्ती में शुरू से ही हर दांव पर नजरें रखनी पड़ती है और कभी भी पहलवान बाजी पलट सकता है। क्रिकेट में अंतिम ओवर में मजा आता है।
धमेंद्र का कहना है कि यदि फिल्म कलाकार नहीं बनता तो एक बड़ा एथलीट जरूर बनता। तिरंगे को लेकर चलना बड़े गर्व की बात होती है। जब एक खिलाड़ी तिरंगा लेकर देश का प्रतिनिधित्व करता है तो वह दृश्य दिल का छू जाता है। असल हीरो तो देश की सीमाओं पर रक्षा करने वाले जवान व देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ी ही हैं।
गांव की बेटियों का आगे आना, मतलब देश का भविष्य उज्ज्वल
अपनी टीम द्वारा गीता व प्रियंका बलाली बहनों को आ खरीदने के बारे मेें उनका कहना है कि बड़ी गर्व की बात है कि हमारे गांव की बेटियों को आगे लाया जाने लगा है। इससे जाहिर होता है कि देश का भविष्य अच्छा है। बेटियां खेलों में आएंगी तो समाज में माहौल अच्छा होगा। युवा वर्ग नशे से बचा रहेगा। इन बेटियों ने पंजाब की टीम को सेमीफाइनल में पहुंचा दिया है और उम्मीद है कि प्रो-रेसलिंग लीग हमारी टीम ही जीतेगी।
उन्होंने कहा कि कुश्ती सभी खेलों की मां है। केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में कुश्ती सबसे पुराना खेल है। वैसे भी कसरत करने का सबसे अच्छा माध्यम कुश्ती ही है।
खुद के फिल्मों में जाने की चर्चा करते हुए सदाबहार अभिनेता ने कहा कि पिता शिक्षक थे और फिल्मों के खिलाफ थे। मैं बैलों को चारा डालने व हल चलाने काम का काम भी कतरा था। घर में सबसे बड़ा था। घर की जिम्मेदारी मुझ थी पर मैंने हीरो बनने का सपना देखा था और मेरी आत्मा मेरे साथ थी। मैं कामयाब हुआ। आज भी जमीन से उतना ही जुड़ा हूं, जितना की पहले था। भाई'बहनों और मेरे गांव व पंजाब से मेरा प्यार कभी कम नहीं हुआ।
धर्मेंद्र का कहना है कि जीवन के हर क्षेत्र में कामयाबी के लिए सेहतमंद होना जरूरी है। फिल्मों में आने के लिए सबसे पहले सेहतमंद होना जरूरी है। इसके साथ ही दूसरी योग्यताएं तो हैं ही।