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राष्ट्रीय लोक अदालत में 445 विवादों का आपसी सहमति से किया निपटारा, एक करोड़ 5 लाख जुर्माना लगाया

चरखी दादरी : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में शनिवार को न्यायिक

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Dec 2018 11:41 PM (IST)Updated: Sat, 08 Dec 2018 11:41 PM (IST)
राष्ट्रीय लोक अदालत में 445 विवादों का आपसी सहमति से किया निपटारा, एक करोड़ 5 लाख जुर्माना लगाया
राष्ट्रीय लोक अदालत में 445 विवादों का आपसी सहमति से किया निपटारा, एक करोड़ 5 लाख जुर्माना लगाया

जागरण संवाददाता, चरखी दादरी : जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में शनिवार को न्यायिक परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसमें 445 मामलों का निपटारा किया गया और 975 मामले सुनवाई के लिए रखे गए थे। अदालत में रखे गए मामलों में एक करोड़ 4 लाख, 74 हजार एक सौ तीन रुपये की राशि का जुर्माना, मुआवजा व वसूली के तौर पर निर्धारण किया गया।

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प्राधिकरण चेयरमैन व अतिरिक्त एवं जिला सत्र न्यायाधीश आरके यादव की अध्यक्षता में आयोजित हुई लोक अदालत के प्रति अधिवक्ताओं तथा मुवक्किलों में विशेष उत्साह दिखाई दिया। लोक अदालत में दीवानी व फौजदारी दोनों तरह के मामलों का निपटारा किया गया। अधिकांश मामले वित्तीय, लेन-देन, चेक बाउं¨सग, यातायात चालान, आरपीएफ चालान, मोटर वाहन दुर्घटना अधिनियम और बीमा राशि से संबंधित थे। एडीजे सीनियर आरके यादव, एडीजे अर¨वद नसियर, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अमित सहरावत, सिविल जज वरिष्ठ सुमित गर्ग व सिविल जज कनिष्ठ देवेंद्र ¨सह ने लोक अदालत में रखे गए मामलों की सुनवाई की व आपसी समझौते के आधार पर दोनों पक्षों की सहमति से 445 मुकदमों का समाधान किया।

सीजेएम सुनील यादव ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के आयोजन में पैनल अधिवक्ताओं, पैरा लीगल वॉलंटियर, न्यायिक कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने सराहनीय योगदान दिया। अधिवक्ता अविनाश सरदाना, राजेंद्र वर्मा, लाल ¨सह, कर्मबीर छिक्कारा, बलबीर शर्मा, गौतम श्योराण, मोहित शर्मा, विनोद चाहर, बलवान ¨सह श्योराण सहित बार के सदस्यों व पीएलवी रोहतास शर्मा, आशु इत्यादि का इस आयोजन में विशेष सहयोग रहा।

उन्होंने कहा कि लोक अदालत में सुनाया गया फैसला अंतिम माना जाता है। इसमें न किसी की हार होती है और न ही किसी की जीत। दोनों पक्षों की सहमति से निर्णय होने के कारण दोनों ही विजयी माने जाते हैं और उनका मुकदमे की वजह से अनावश्यक खर्च भी बच जाता है। सुनील यादव ने बताया कि लोक अदालत में एक बार निर्णय हो जाने के बाद उसकी आगे कहीं अपील नहीं की जा सकती।


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