आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को 20 को देंगे श्रद्धांजलि, आजकल में बनेगी अगली रणनीति
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को लेकर सरकार और किसानों के बीच बने गतिरोध में अब किसान भी सांसत में हैं। सरकार की ओर से भेजा गया प्रस्ताव एक सप्ताह पहले किसानों द्वारा ठुकराया जा चुका है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को लेकर सरकार और किसानों के बीच बने गतिरोध में अब किसान भी सांसत में हैं। सरकार की ओर से भेजा गया प्रस्ताव एक सप्ताह पहले किसानों द्वारा ठुकराया जा चुका है। उसके बाद न तो सरकार की तरफ से हलचल है और न ही न ही किसानों ने कोई प्रस्ताव रखा है। किसान तो इन कानूनों को रद करने की मांग पर केवल हां या न सुनने पर अड़े हुए हैं। किसान अब आंदोलन को नई दिशा देकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
जब तक सरकार कोई प्रभावी पेशकश नहीं करती, तब तक किसानों का जोर सिर्फ आंदोलन तेज करने पर है। इसी कड़ी में अब अगले एक सप्ताह की गतिविधियों की रणनीति बनाई जा रही है। आजकल में इस बारे में फैसले लिए जाएंगे। अभी तक तो यही तय हुआ है कि 20 दिसंबर को आंदोलन में अब तक जिन किसानों की जान गई है, उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद किया जाएगा। इसके साथ ही यह संकल्प भी लिया जाएगा कि इन किसानों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जाएगी। इस आंदोलन के अगुवा पंजाब के किसान ही बने हुए हैं और दिसंबर का महीना पंजाब के लिए काफी अहम होता है। ऐसे में संभावना है कि तीसरे सप्ताह में बहादुरगढ़ मे पंजाब से और जत्थे आ सकते हैं। यदि मामला जल्द नहीं सुलझता है तो फिर आंदोलन को और तरीकों से धार देने की तैयारी है। इस आंदोलन के तमाम फैसले सिघु बॉर्डर पर किसान संगठनों की बैठक में ही लिए जा रहे हैं। बहादुरगढ़ में जिन किसान संगठनों के नेता डटे हुए हैं वे इन बैठकों में शामिल हो रहे हैं। आंदोलन के संचालन के लिए 15 सदस्यों की किसान कमेटी बनाई
टीकरी बॉर्डर पर आंदोलन का संचालन करने के लिए 15 सदस्यों की किसान कमेटी बनाई गई है। यहां पर रोजाना नए-नए संगठन समर्थन देने के लिए पहुंच रहे हैं और किसानों में जोश भर रहे हैं। मंगलवार को भी कई संगठनों के पदाधिकारी आ पहुंचे। कमेटी के सदस्य राजेंद्र सिंह ने बताया कि अभी अगले सप्ताह की रणनीति पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही इस बारे में फैसला लिया जाएगा। अभी तक तो यही तय हुआ है कि 20 दिसंबर को आंदोलन के दौरान जिन किसानों की जान गई है उन सभी को श्रद्धांजलि दी जाएगी।