अफरा-तफरी, बेबसी और उलझनों भरा रहा आलम
किसानों के दिल्ली कूच को लेकर किए गए सुरक्षा इंतजामों ने सड़कें रोक दीं। वाहन थम गए। जिदगी की रफ्तार बेबसी और अफरा-तफरी में उलझ गई। कोई नौकरी के लिए निकला था।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : किसानों के दिल्ली कूच को लेकर किए गए सुरक्षा इंतजामों ने सड़कें रोक दीं। वाहन थम गए। जिदगी की रफ्तार बेबसी और अफरा-तफरी में उलझ गई। कोई नौकरी के लिए निकला था। कोई शादी में। कोई वापस आ रहा था। किसी को लंबी दूरी तय करके गंतव्य की ओर जाना था, लेकिन दिल्ली सीमा पर सब कुछ थमा था। इधर के वाहन इधर और उधर के वाहन उधर। न बस, न कार, न मेट्रो सब कुछ रुका हुआ था। ऐसे में पैदल ही हर कोई आगे बढ़ा। जहां से रास्ता मिला, मजबूरी में दीवार फांदी। इधर-उधर से निकले। सुबह से शुरू हुआ यह दौर घड़ी की सुईयों के साथ आगे बढ़ा। शहर के अंदर तो स्थिति सामान्य थी। कुछ वाहन दौड़ रहे थे। मगर सेक्टर-9 मोड़ से आगे दिल्ली दूर हो रही थी। बच्चों के हाथ थामे, सिर पर सामान रखकर पैदल आगे बढ़े
वैसे तो नेशनल हाईवे-9 का सफर मुकम्मल नहीं हो पाया, लेकिन जिनको दिल्ली सीमा के इस पार या उस पार जाना था, उनके लिए मुश्किलें और भी ज्यादा थी। कुछ समय तक तो बॉर्डर से पैदल राहगीरों को भी रास्ता नहीं मिला। जब किसानों ने बेरियर तोड़ डाले तब कुछ रास्ता बना। लोग इधर से उधर निकले। रोहतक से पत्नी के साथ शादी से लौट रहे दिल्ली के पीरागढ़ी के मंजीत ने बताया कि मुश्किल से यहां तक पहुंचे। वहीं पत्नी व बच्चों के साथ निकले मनोज ने बताया कि घर से निकले तब इस परेशानी का आभास नहीं था। ऐसे ही बहुत से लोग थे, जो किसी तरह इधर से उधर गए। मगर जिनके पास अपने चौपहिया वाहन थे, उन्हें तो रास्ता मिल ही नहीं पाया। घर व ऑफिस में कर रहे थे फोन, कैसे आएं
दिल्ली सीमा पर तनातनी के कारण रास्ता बंद था। ऐसे में जो दिल्ली में ड्यूटी पर जा रहे थे या फिर यहां से वापस घर जा रहे थे, वे घर पर फोन और वीडियो कॉल करके यहां के हालात बता रहे थे। बहुत से लोग परिवार समेत शादी में जाने के लिए निकले थे, मगर रास्ते में ही फंसे रहे।