नर्स ने निभाया मानवता का धर्म, साढ़े नौ साल की बेटी को भी रखा अपने से दूर
कोरोना पॉजीटिव नर्स ने अस्पताल में रहने के दौरान जहां अपने पेशे का धर्म निभाया वहीं होम क्वारंटाइन होने और रिपोर्ट के पॉजिटिव आने के बाद भी वह मानवता धर्म निभाना नहीं भूली। 30 मार्च को होम क्वारंटाइन होने के बाद इसी धर्म को निभाने के लिए इस नर्स ने एक मां की ममता को भी खुद पर हावी नहीं होने दिया। करीब 10 दिन तक वह अपने परिजनों से तो दूर रही ही साथ में अपनी साढ़े नौ वर्षीय बेटी को भी अपने नजदीक नहीं आने दिया। पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी जब भी अपनी मां के बारे में पूछती तो उसके नाना कहते कि बेटी तुम्हारी मां ड्यूटी पर हैं। दिन में तो वह ड्यूटी का नाम लेने से चुप हो जाती लेकिन ज्यों-ज्यों शाम ढलती और नातिन जब भी मां से मिलने की जिद करती तो उसके नाना के पास भी कोई जवाब नहीं होता था। बार-बार दबाव डालने पर उसके नाना यह कहकर उसे रोकते कि बेटी प्रशासन ने लॉकडाउन कर रखा है।
कोरोना पॉजिटिव नर्स की कहानी... - बेटी बार-बार अपने नाना से पूछती रही मेरी मां कहां है, तो नाना कहते रहे कि वो गई है ड्यूटी पर - लॉकडाउन का बहाना बनाकर नातिन को अपने साथ रखे हुए है नर्स के पिता - नर्स ने एंबुलेंस में बैठने के बाद अपने पिता को फोन करके दी जानकारी, बोली-पापा मैं ठीक हूं...मेरी बेटी का ख्याल रखना कृष्ण वशिष्ठ, बहादुरगढ़:
कोरोना पॉजीटिव नर्स ने अस्पताल में रहने के दौरान जहां अपने पेशे का धर्म निभाया वहीं होम क्वारंटाइन होने और रिपोर्ट के पॉजिटिव आने के बाद भी वह मानवता धर्म निभाना नहीं भूली। 30 मार्च को होम क्वारंटाइन होने के बाद इसी धर्म को निभाने के लिए इस नर्स ने एक मां की ममता को भी खुद पर हावी नहीं होने दिया। करीब 10 दिन तक वह अपने परिजनों से तो दूर रही ही, साथ में अपनी साढ़े नौ वर्षीय बेटी को भी अपने नजदीक नहीं आने दिया। पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली बेटी जब भी अपनी मां के बारे में पूछती तो उसके नाना कहते कि बेटी तुम्हारी मां ड्यूटी पर हैं। दिन में तो वह ड्यूटी का नाम लेने से चुप हो जाती लेकिन ज्यों-ज्यों शाम ढलती और नातिन जब भी मां से मिलने की जिद करती तो उसके नाना के पास भी कोई जवाब नहीं होता था। बार-बार दबाव डालने पर उसके नाना यह कहकर उसे रोकते कि बेटी प्रशासन ने लॉकडाउन कर रखा है। घर से बाहर निकलना मना है। कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद नर्स के परिजनों के साथ-साथ उसकी बेटी का भी सैंपल लिया गया है। लेकिन सभी परिजन उससे यह बात छुपाए हुए हैं कि उसकी मां कोरोना पॉजिटिव है। नर्स के पिता ने फोन पर बताया कि 30 मार्च की सुबह ड्यूटी पर जाते समय वह अपनी बेटी से मिलकर गई थी। उसके बाद शाम को आई तो अपने अस्पताल प्रशासन के दिशा-निर्देश पर खुद को होम क्वारंटाइन कर लिया। 6 अप्रैल को तबीयत खराब हुई तो एंबुलेंस बुलाकर दिल्ली अस्पताल में उसका सैंपल लिया गया। 8 अप्रैल को जब उसकी कोविड-19 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो उसने पहले प्रशासन को सूचित कर एंबुलेंस बुलाई और जाते समय रास्ते में फोन करके मुझे जानकारी दी कि वह कोरोना पॉजिटिव है। फिर बोली कि पापा..मेरी बेटी को अभी इस बारे में कुछ नहीं बताना और उसका ख्याल रखना। इधर, हमें बेटी की चिता सता रही है और उधर दिल्ली अस्पताल में दाखिल मेरी बेटी हमारे लिए चितित है। पूरा परिवार घबराए हुए है, मगर बेटी बार-बार हमें उम्मीद बंधा रही है कि वह बिल्कुल ठीक है और उसे कुछ नहीं होगा। बस.. मेरी बेटी का ध्यान रखना।