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छारा के किसान बोले, कौड़ियों के भाव नहीं होने देंगे जमीन का अधिग्रहण

बहादुरगढ़ : सांपला-झज्जर मार्ग के फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण की अलग-अलग दरों का विरोध तेज हो रहा है। इस मार्ग पर आने वाले गांवों की जमीनों की अधिग्रहण दर एक समान न होने से ही ग्रामीण खफा हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 12:49 AM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2019 12:49 AM (IST)
छारा के किसान बोले, कौड़ियों के भाव नहीं होने देंगे जमीन का अधिग्रहण

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : सांपला-झज्जर मार्ग के फोरलेन के लिए जमीन अधिग्रहण की अलग-अलग दरों का विरोध तेज हो रहा है। इस मार्ग पर आने वाले गांवों की जमीनों की अधिग्रहण दर एक समान न होने से ही ग्रामीण खफा हैं। इस मसले पर रविवार को छारा के ग्रामीण एक बार फिर एकजुट हुए। उन्होंने साफ कहा कि मौजूदा दर पर जमीनों का अधिग्रहण नही होने दिया जाएगा।

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गांव छारा के किसानों ने जमीन का अधिग्रहण मौजूदा दरों के हिसाब से रोकने का फैसले लिया है और इस पर कायम हैं। उनका कहना है की जमीन से ही उनकी रोजी-रोटी चल रही है। ऐसे में यदि इसे कौड़ियों के भाव ले लिया जाएगा तो किसान भूखा मर जाएगा। सरकार ने मुआवजे की जो राशि निर्धारित की है वह भी बेहद कम है। पहली बात तो जमीनों का अधिग्रहण किसान की मर्जी के बिना होना ही नहीं चाहिए। यदि किसान अपनी जमीन देने के लिए तैयार होते हैं, तो उनको वाजिब मुआवजा मिलना चाहिए। छारा के भू मालिकों का कहना है कि साथ लगते गावों में जौंधी एक करोड़ पांच लाख, भापड़ौदा में एक करोड़ दो लाख, गिरावड़ में 66 लाख, आसंडा में 80 लाख प्रति एकड़ की दर है। जबकि छारा में 40 लाख रूपये है।

जो इन सब गावों से कम है। सरकार के इस भेदभाव से पूरे छारा गांव में रोष है। यह छारा गाव के साथ अन्याय है। सभी का यह फैसला है की 29 जनवरीको सुबह 10 बजे सभी मिलकर उपायुक्त झज्जर को ज्ञापन सौंपेंगे। फिर भी कोई समाधान नहीं हुआ तो आगे की रणनीति बनाई जाएगी। लोगों ने कहा कि सरकार हमें बांटने का काम कर रही है। किसानों ने तो शुरू से ही संघर्ष किया है। किसान की मेहनत के हिसाब से उसको मजदूरी भी नहीं मिलती। ऊपर से किसान की फसल खराब होने की मार और उसके बाद जमीन का अधिग्रहण। छारा गांव के सभी संगठनों ने मिलकर किसानों का साथ देने का आश्वासन दिया और कहा कि यह किसी एक किसान का संघर्ष नहीं है इसमें हम सभी को मिलकर प्रयास करना है।


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