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गर्भवती महिलाओं में पौष्टिक तत्व की कमी के साथ तनाव आम बात

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : गुरुग्राम जिला नगारिक अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य जांच व डिलीवरी के लिए पहुंचती हैं जिसमें

By JagranEdited By: Published: Wed, 05 Sep 2018 06:33 PM (IST)Updated: Wed, 05 Sep 2018 06:33 PM (IST)
गर्भवती महिलाओं में पौष्टिक तत्व की कमी के साथ तनाव आम बात
गर्भवती महिलाओं में पौष्टिक तत्व की कमी के साथ तनाव आम बात

जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : गुरुग्राम जिला नागरिक अस्पताल में आने वाली गर्भवती महिलाएं स्वास्थ्य जांच व डिलीवरी के लिए पहुंचती हैं जिसमें 80 प्रतिशत महिलाओं में खून की कमी के साथ ही पौष्टिक तत्वों का अभाव होता है। गर्भावस्था में ज्यादातर महिलाएं मानसिक तनाव से ग्रस्त होती हैं, जिससे जच्चा व बच्चा को खतरा रहता है।

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जिला नागरिक अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. स्वाति ¨सह का कहना है कि गर्भवती महिलाओं में पौष्टिक तत्वों की कमी अक्सर खतरनाक साबित होती है। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर का विकास रुक जाता है। बच्चे के जन्म के बाद भी इसके खतरनाक असर देखने को मिल सकते हैं। असंतुलित आहार से बच्चे का शरीर कमजोर होता चला जाता है। बच्चे के शरीर में स्ट्रोक के खतरे पैदा होने लगते हैं, साथ ही हाइपरटेंशन (उच्च रक्तचाप )और मधुमेह होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

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मानसिक तनाव का दुष्प्रभाव

बच्चा मां के गर्भ में होता है तो मां द्वारा कि जाने वाली सभी प्रतिक्रियाओं का असर उस पर पड़ता है। ऐसे समय में हर मां को अपने आसपास के वातावरण को स्वस्थ बनाना चाहिए। हमेशा खुश रहना चाहिए। जो मां जितने तनाव में रहती है उसका असर सीधे उसके बच्चे के स्वास्थ्य के साथ ही उसके विकास पर भी पड़ता है। इसका असर बच्चे के जन्म के बाद देखा जा सकता है। मां के तनाव से बच्चे का जीवन भी तनाव में रहने वाली प्रवृत्ति का बन जाता है। बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। इसलिए ऐसे समय में तनाव से बचना चाहिए।

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कम मिलती है हीमोग्लोबिन की मात्रा

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक गर्भवती महिला के शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम होनी चाहिए। डॉ स्वाति ¨सह का कहना है कि अक्सर गर्भवती महिलाएं डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंचती हैं तो किसी में भी हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम नहीं होती। कुछ में बहुत कम होगा और कुछ में मात्र 8 ग्राम मात्रा होती है। जो महिलाएं तीन से चार बच्चों को जन्म देती हैं उनमें हीमोग्लोबिन कम होने का खतरा ज्यादा होता है।

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क्या खाएं गर्भावस्था में :

हरी सब्जी, पनीर, सरसों व बथुआ के साग के अलावा गुड़ खाएं। गुड़ में आयरन की मात्रा ज्यादा होती है। हरी सब्जी अन्य पौष्टिक तत्वों की पूर्ति करते हैं लेकिन गुड़ आयरन की कमी पूरी करने के अलावा अन्य कई पौष्टिक तत्वों की पूर्ति करता है। विटामिन डी की कमी होने के बाद डॉक्टर की सलाह पर दवा लेनी चाहिए और धूप में ज्यादा से ज्यादा समय रहें।

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बाक्स में :

वर्ष 2015 में 6,786 गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी अस्पताल में हुई। इनमें 276 महिलाओं में खून के साथ अन्य पोषक तत्व की कमी थी।

2016 में 7,876 महिलाओं की डिलीवरी हुई, जिनमें 200 में खून और पोषक तत्वों की कमी थी

2017 में 7,870 महिलाओं की डिलीवरी हुई, जिसमें 347 में खून और पोषक तत्वों की कमी थी

2018 में अभी तक 4,415 महिलाओं की डिलीवरी हुई, जिसमें 290 महिलाएं ऐसी मिलीं, जिनमें खून के साथ पोषक तत्व की कमी थी।

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जब गर्भवती महिलाएं पहली बार ओपीडी में हमारे पास पहुंचती हैं उनमें खून की कमी, बीपी, व तनाव मिलता है। ऐसे में महिला से ज्यादा गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर पड़ता है। हम दवा से खून की पूर्ति व तनाव कम करने का प्रयास करते हैं।

-डॉ. स्वाति ¨सह, महिला रोग विशेषज्ञ


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