पीडब्ल्यूडी कार्यकारी अभियंता की कोठी पर विधायक जून के बेटे ने लिया कब्जा
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कार्यकारी अभियंता केएस पठानिया के सरकारी आवास पर विधायक राजेंद्र जून के परिवार को कोर्ट के आदेश पर कब्जा मिल ही गया। 34 साल की कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें यह कब्जा मिला है। एक्सइएन के निवास पर अब राजेंद्र जून के बेटे विक्रम जून के नाम का बोर्ड लगा दिया गया है। हालांकि कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए बैलिफ ने विभाग के कार्यालय पर भी कब्जा दिलाना था लेकिन यहां पर विभाग का रिकार्ड होने की वजह से कर्मचारियों ने दो-तीन दिन की मोहलत मांगी है।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कार्यकारी अभियंता केएस पठानिया के सरकारी आवास पर विधायक राजेंद्र जून के परिवार को कोर्ट के आदेश पर कब्जा मिल ही गया। 34 साल की कानूनी लड़ाई के बाद उन्हें यह कब्जा मिला है। एक्सईएन के निवास पर अब राजेंद्र जून के बेटे विक्रम जून के नाम का बोर्ड लगा दिया गया है। हालांकि कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए बैलिफ ने विभाग के कार्यालय पर भी कब्जा दिलाना था लेकिन यहां पर विभाग का रिकार्ड होने की वजह से कर्मचारियों ने दो-तीन दिन की मोहलत मांगी है। बैलिफ को लिखित में दिए जाने के बाद कार्यालय पर कब्जा कार्रवाई नहीं हो सकी। यह कार्यालय राजेंद्र जून के भाई अशोक जून के हिस्से का है और एक्सईएन का निवास राजेंद्र जून के बेटे विक्रम जून के हिस्से में है। एक्सईएन केएस पठानिया का सामान अदालत द्वारा तैनात किए गए अधिकारियों के देखरेख में एक स्टोर में रखवा दिया गया। कब्जा कार्रवाई के दौरान एक्सईएन मौके पर मौजूद नहीं थे। कब्जा कार्रवाई के लिए बैलिफ के नेतृत्व में पुलिस बल व राजेंद्र जून समर्थक करीब 11 बजे ही पीडब्ल्यूडी के कार्यालय व निवास पर पहुंच गए थे, लेकिन यहां पर कोई भी अधिकारी नहीं मिला। अधिकारियों के इंतजार में दो बज गए। कोई भी अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा तो दो बजे के बाद कोर्ट की ओर से नियुक्त किए गए बैलिफ दिलबाग के नेतृत्व में कार्यकारी अभियंता के निवास खाली कराया गया और ताला लगाकर चाबी जून के बेटे विक्रम को सौंप दी गई। 1986 में लोअर कोर्ट से जमीन मालिकों के हक में आया था फैसला
लोक निर्माण विभाग और जमीन मालिकों के बीच करीब 2600 गज का विवाद 33 साल से भी ज्यादा समय से चला आ रहा है। 2 मई 1986 को लोअर कोर्ट ने जमीन मालिकों के हक में फैसला सुनाया था। उसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी जीत जमीन मालिकों की ही हुई। हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करवाने के लिए डिक्री धारकों ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिस पर फैसला करते हुए कोर्ट ने 3 जनवरी को डिक्री के क्रियान्वयन के आदेश जारी कर दिए। कोर्ट बैलिफ को आदेशों की पालना करवा कर 6 फरवरी तक कोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। यह फैसला अमीलाल वर्सेज स्टेट ऑफ हरियाणा केस में दिया गया है। अमीलाल राजेंद्र जून के ताऊ हैं और अब इस संपत्ति में से लोक निर्माण विभाग कार्यालय के मालिक राजेंद्र जून के भाई अशोक और निवास के मालिक राजेंद्र जून के बेटे विक्रम जून हैं। वर्जन..
सारी कार्रवाई कोर्ट के आदेशों के तहत की जा रही है। निचली अदालत ने साल 1986 में उनके हक में डिक्री का आदेश किया। हाईकोर्ट ने भी सरकार के खिलाफ उनके हक में फैसला दिया था। उसके बाद ही उन्होंने एडिशनल सिविल जज की अदालत में 1986 के फैसले को लागू करवाने की याचिका दायर की थी। 34 साल बाद उन्हें उनका हक मिला है।
विक्रम जून, पुत्र, विधायक राजेंद्र सिंह जून। वर्जन...
विभाग इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दे रहा है। वह गुरुग्राम में एक मामले में अदालत की तारीख पर गए थे।
---केएस पठानिया, एक्सईएन, लोक निर्माण विभाग।