वाहन चोरी की वारदातों से लोगों में दहशत, गाड़ियों में लगाए जा रहे व्हील लॉक
वाहन चोरी के बढ़ते मामलों से लोगों में दहशत बन रही है। कहीं भी वाहन खड़ा करना अब सुरक्षित नही है। नतीजा यह हो रहा है कि लोग कहीं पर भी वाहन खड़ा करके जाते हैं तो ज्यादातर में व्हील लॉक लगाए जा रहें हैं। ताकि वारदात से बचा सके। हर तीसरे दिन एक वाहन चोरी होने से पुलिस पर भी मुकदमों का बोझ इतना बढ़ रहा है कि ज्यादातर मामले अनसुलझे पड़े हैं। चोरी हो रहे वाहनों में दुपहिया की संख्या ज्यादा है, मगर जहां पर भी मौका
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : वाहन चोरी के बढ़ते मामलों से लोगों में दहशत बन रही है। कहीं भी वाहन खड़ा करना अब सुरक्षित नही है। नतीजा यह हो रहा है कि लोग कहीं पर भी वाहन खड़ा करके जाते हैं तो ज्यादातर में व्हील लॉक लगाए जा रहें हैं। ताकि वारदात से बचा सके। हर तीसरे दिन एक वाहन चोरी होने से पुलिस पर भी मुकदमों का बोझ इतना बढ़ रहा है कि ज्यादातर मामले अनसुलझे पड़े हैं।
चोरी हो रहे वाहनों में दुपहिया की संख्या ज्यादा है, मगर जहां पर भी मौका मिलता है, वहीं पर चौपहिया वाहन भी चोरी किए जा रहें हैं। ज्यादातर मामले सुलझ नहीं पाते। ऐसे में बहुत से वाहन मालिक अब सुरक्षा का जिम्मा भी खुद ही संभाल रहें हैं। ताकि वाहन के चोरी होने की ही नौबत न आए। वाहन को पार्किंग मे खड़ा करते ही लॉक लगा दिया जाता है। एक-दूसरे के देखादेखी अब काफी वाहन चालक इस तकनीक को अपना रहें हैं। इस तरह हो रही हैं वारदात :
इन दिनों समूचे क्षेत्र में वाहन चोर गिरोह सक्रिय है। दुपहिया वाहन तो जहां-तहां से चोरी किए ही जा रहें हैं बीच-बीच में चौपहिया वाहनों पर भी हाथ साफ कर दिया जाता है। मेट्रो स्टेशनों पर अभी तक पार्किंग की व्यवस्था न होने के कारण मजबूरी में लोग स्टेशनों के आसपास ही बाइक और कार खड़ी कर देते हैं, मगर इन पर चोरों की नजर है। हर तीसरे दिन किसी न किसी मेट्रो स्टेशन से एक बाइक चोरी हो रही है। वहीं सेक्टरों, कालोनियों और यहां तक कि गांवों और खेतों के रास्तों पर भी खड़े किए जा रहे वाहन सुरक्षित नही हैं। पल भर में ही वहां से चोरी हो रहें हैं। सभी थानों में मिलाकर हर महीने 10 से 15 वाहन चोरी की वारदातें दर्ज हो रही हैं।
वाहनों में जीपीआरएस का भी इस्तेमाल :
वैसे तो चौपहिया वाहनों में चोरी की वारदात के बाद उसका पता लगाने के लिए जीपीआरएस सिस्टम भी लगवाया जाता है, मगर एक तो यह व्हील लॉक के मुकाबले महंगा है और दूसरा यह चोरी की वारदात को रोकने में नहीं बल्कि चोरी के बाद वाहन की लोकेशन का पता लगाने में ही मददगार है। हालांकि इस तकनीक से भी कुछ मामले सुलझे हैं, मगर सभी नहीं। इसी कारण अब काफी लोग व्हील लॉक का इस्तेमाल कर रहें हैं। नेहरू पार्क निवासी मनोज बताया कि वे अपनी गाड़ी में काफी दिनों से इसी तरह लॉक लगा रहें हैं। इससे गाड़ी चोरी होने की टेंशन नही रहती। अन्य गाड़ी मालिक प्रवीण कुमार ने बताया कि एक बार वाहन चोरी होने के बाद उसका पता लगना मुश्किल हो जाता है। पुलिस से भी उम्मीद कम ही होती है। ऐसे में अपने स्तर पर ही जो इंतजाम हो सकता है, उसे करने मे क्या परेशानी है। पुलिस नही सुलझा पा रही मामले :
पुलिस की ओर से वाहन चोरी के मामलों को सुलझाने की रफ्तार बेहद धीमी है। ऐसे में ज्यादातर मामले अनसुलझे पड़े हैं। विभिन्न थाना क्षेत्रों में अभी तक कुल मिलाकर कई सौ मामले ऐसे हैं, जो सुलझ ही नहीं पाए। एक निश्चित अवधि के बाद पुलिस की ओर से ऐसे मामलों में अनट्रेस रिपोर्ट भेज दी जाती है। उसके बाद मामला फाइलों में दब जाता है। काफी लोगों को तो यह तक शिकायत होती है कि वाहन चोरी की एफआइआर भी पुलिस काफी दिनों बाद दर्ज करती है। ------------------
वाहन चोरी के मामलों को सुलझाने के लिए पुलिस जुटी है। इसके लिए अलग से टीम भी है। काफी मामले सुलझाए भी गए हैं। कुछ ऐसे आरोपित भी पकड़े गए है, जिन्होंने किसी और क्षेत्र से वाहन चोरी कर रखा था।
--शशांक सावन, एएसपी, झज्जर