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सरसों की खरीद एजेंसी बदली, नियमों के फेर में उलझे किसानों ने किया हंगामा, देरी से बिकी फसल

सरसों की खरीद एजेंसी बदली नियमों के फेर में उलझे किसानों ने किया हंगामा देरी से बिकी फसल

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 12:46 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 06:41 AM (IST)
सरसों की खरीद एजेंसी बदली, नियमों के फेर में उलझे किसानों ने किया हंगामा, देरी से बिकी फसल

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : सरसों की खरीद एजेंसी बदलने से किसान फिर से नियमों के फेर में उलझ गए हैं। अब तक नैफेड की ओर से हैफेड के माध्यम से ही खरीद की जा रही थी, मगर उसका खरीद लक्ष्य पूरा हो जाने के बाद अब खाद्य एवं पूर्ति विभाग को जिम्मा सौंपा गया है। इसी कारण सोमवार को यहां की अनाज मंडी में खरीद को लेकर अव्यवस्था बनी रही। सरसों की बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन में खामियां और गेट पास के चक्कर में मार्केट कमेटी कार्यालय में दिन भर किसानों का जमावड़ा लगा रहा। बीच-बीच में उन्होंने हंगामा भी किया। इधर, किसान परेशान रहे तो उधर खरीद नियमों को लेकर एजेंसी अधिकारियों के हाथ पांव फूले रहे। इसी कारण यहां सरसों की खरीद देर से हुई।

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दरअसल अब तक सरसों की खरीद नैफेड की ओर से हैफेड के माध्यम से की जा रही थी। 28 मार्च से खरीद शुरू हुई थी। रोजाना अलग-अलग गांवों के किसानों की सरसों खरीदी जा रही है, लेकिन नैफेड ने जितनी सरसों खरीदने का लक्ष्य तय किया था उतनी सरसों खरीदी जा चुकी है। इसके बाद एजेंसी ने खरीद से हाथ खींच लिए। इधर 15 से 20 फीसद किसानों की सरसों अभी बिकी नहीं है। ऐसे में किसी तरह की उलझन से बचने के लिए सरकार की ओर से आनन-फानन में खाद्य एवं पूर्ति विभाग को सरसों की खरीद का जिम्मा सौंप दिया। बहादुरगढ़ में गेहूं की खरीद भी हो रही है। इसका जिम्मा भी खाद्य एवं पूर्ति विभाग के पास है। सोमवार से जब सरसों की खरीद का भी जिम्मा इस एजेंसी को दिया गया तो अधिकारी उलझन में रहे। एक तो किसानों की सरसों तब खरीदी जा रही, जब उनका ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन दुरुस्त हो और उनके पास गेट पास हो। दूसरी तरफ नई खरीद एजेंसी ने आढ़तियों के माध्यम से खरीद शुरू करने का मन बनाया था लेकिन जीएसटी के भुगतान को लेकर उलझन रही। बाद में जब एजेंसी अधिकारियों ने आढ़तियों को स्पष्ट कर दिया कि जीएसटी का भार उन पर नहीं आएगा तब वे सरसों खरीदने को तैयार हुए। मगर जिस साइट के माध्यम से किसानों को रजिस्ट्रेशन दुरुस्त किया जाता है, वह बीच-बीच में बंद होती रही। गेट पास भी आसानी से नहीं मिल पाए। इसी कारण मार्केट कमेटी कार्यालय में दिनभर किसानों का जमावड़ा लगा रहा। कई बार किसानों ने हंगामा भी किया। सोमवार को जीतने किसान अपनी सरसों लेकर आए थे, वे कई घंटों तक इधर से उधर घूमते रहे। मुश्किल से उन्हें गेट पास मिल पाया। आखिरकार दोपहर बाद खाद्य एवं पूर्ति विभाग की ओर से सरसों की खरीद शुरू की जा सकी।

----किसान संगठनों ने जताया रोष खरीद एजेंसी बदलते ही सरसों की खरीद धीमी पड़ गई। जीएसटी भुगतान में साफ निर्देश नहीं होने के कारण आढ़तियों ने किसानों को पक्के बिल और जे फार्म देने से मना कर दिया। ऐसे में खरीद रुकी रही। इस पर किसान संगठनों ने रोष जताया। मंडियों में सरसों और गेहूं के ट्राली की लंबी कतारें लगी रही। किसान संगठनों का कहना है कि व्यापारी पहले किसान और सरकार के बीच सीधी खरीद पर आपत्ति करते रहे, लेकिन अब पांच फीसद कमीशन तय होने के बावजूद भी करदाता के तौर पर जे फार्म नहीं देकर टैक्स बचाने की कोशिश की जा रही है। तमाम तकनीकी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद कई दिन से मंडी के गेट पास लेकर घूम रहे किसानों ने मंडी अधिकारियों के दफ्तर के सामने सोमवार को नारेबाजी भी की। किसानों का कहना है कि खरीद के व्यापक बंदोबस्त नहीं होने के कारण अभी तक सरसों की बोरियों का उठान नहीं हो पाई। भारतीय किसान यूनियन से प्रताप सिंह छिल्लर, भूमि बचाओ संघर्ष समिति से डा शमशेर सिंह, जय किसान आंदोलन से अशोक, सुखबीर सिंह, मांगेराम छिल्लर ने मंडी सचिव उमेश दांगी, डीएफएससी से मुलाकात कर दोषी व्यापारियों पर लगाम लगाने की मांग की। साथ ही खरीद के सभी इंतजाम पूरे करवाने के लिए उपायुक्त के माध्यम से लिखित निर्देश भी पारित कराए। ---खाद्य एवं पूर्ति विभाग की ओर से सरसों की खरीद की जाएगी, इसके आदेश सोमवार को ही आए थे। इसके बाद आढ़तियों के साथ खरीद नियमों पर बातचीत हुई। उसके बाद खरीद शुरू की गई।

--सपना, इंस्पेकटर, खाद्य एवं पूर्ति विभाग


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