आत्मनिर्भर भारत की ओर मुड़ी मेट्रो की परिचालन व्यवस्था, स्वदेशी एटीएस का हुआ फील्ड ट्रायल
राजधानी में मेट्रो के सबसे पहले कारिडोर का उद्घाटन किया था।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
मेट्रो की व्यवस्था अब आत्मनिर्भर भारत के रूट पर उतर आई है। शुक्रवार से इसकी शुरूआत की गई। देश में विकसित आटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन तकनीक का फील्ड ट्रायल किया गया। दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन के कारपोरेट कम्युनिकेशन के कार्यकारी निदेशक अनुज दयाल ने बताया कि प्रथम स्वदेशी आई-एटीएस एवं सिगनलिग टेक्नोलाजी के लिए फील्ड ट्रायल शुरू किया गया। साथ ही मेट्रो परिचालन के 20वें वर्ष की शुरूआत के उपलक्ष्य में कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर स्थायी प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस अवसर पर दिल्ली मेट्रो की रेड लाइन (शहीद स्थल से रिठाला) के लिए शुक्रवार को प्रथम स्वदेशी आई-एटीएस (देश में विकसित-आटोमेटिक ट्रेन सुपरविजन) टेक्नोलाजी के फील्ड ट्रायल का उद्घाटन आवासन व शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव एवं डीएमआरसी के अध्यक्ष्ज्ञ दुर्गा शंकर मिश्र द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिग के माध्यम से किया गया। इसके अलावा कश्मीरी गेट मेट्रो स्टेशन पर विकसित की गई दिल्ली मेट्रो की गौरवशाली यात्रा के चित्रण संबंधी प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। यह वही स्थल है, जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने वर्ष 2002 में 24 दिसंबर के दिन राष्ट्रीय
राजधानी में मेट्रो के सबसे पहले कारिडोर का उद्घाटन किया था। इसे एक पूर्ण प्रदर्शनी के रूप में रि-डेवलप किया गया है जो आगंतुकों को अमूल्य फोटोग्राफ एवं कहानियों के माध्यम से
भारत में जन पारवहन के क्षेत्र में नई क्रांति का सूत्रपात करने वाले उस ऐतिहासिक दिन को याद कराती हैं। यह प्रदर्शनी स्थायी तौर पर लगाई गई है और दिल्ली मेट्रो के सबसे बड़ी
इंटरचेंज सुविधा का उपयोग करने वाले यात्री किसी अतिरिक्त खर्च के बिना यह प्रदर्शनी देख सकेंगे। इस समारोह के दौरान डीएमआरसी के प्रबंध निदेशक डा. मंगू सिंह, भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (बीईएल) से मुख्य प्रबंध निदेशक आनंदी रामलिगम और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। इस आई-एटीएस टेक्नोलाजी का विकास डीएमआरसी और बीईएल द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। इसे रेड लाइन पर क्रियान्वित किया जा रहा है। इस उपलब्धि के साथ, भारत विश्व के उन चुनिदा देशों में शामिल हो जाएगा जिनका अपना एटीएस उत्पाद है जिसे मेट्रो के साथ अन्य रेल प्रणालियों पर भी क्रियान्वित किया जा सकता है। यह है सिस्टम :
उन्होंने बताया कि आइ-एटीएस सिस्टम का विकास मेट्रो रेलवे के लिए देश में ही निर्मित सीबीटीसी (कम्यूनिकेशंस बेस्ड ट्रेन कंट्रोल) आधारित सिगनलिग टेक्नोलाजी के विकास की ओर एक बड़ा कदम है क्योंकि आइ-एटीएस सीबीटीसी सिगनलिग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण सब-सिस्टम है। एटीएस एक कंप्यूटर आधारित सिस्टम है, जो ट्रेन परिचालन को नियंत्रित करता है। यह सिस्टम मेट्रो जैसे उच्च सघनता वाले आपरेशन के लिए अनिवार्य है जहां प्रत्येक कुछ मिनट में सेवाएं निर्धारित होती हैं। आइ-एटीएस स्वदेशी टेक्नोलाजी है जो भारतीय मेट्रो की ऐसी टेक्नोलाजी डील करने वाले विदेशी वेंडरों पर निर्भरता को महत्वपूर्ण रूप से कम करेगी। सीबीटीसी जैसे टेक्नोलाजी सिस्टम मुख्यत: यूरोपीय देशों और जापान द्वारा नियंत्रित किए जाते
हैं। भारत सरकार के मेक इन इंडिया पहल के भाग के रूप में आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सीबीटीसी टेक्नोलाजी का स्वदेशीकरण निश्चित किया। डीएमआरसी के साथ नीति
आयोग, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय, भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (बीईएल), आरडीएसओ और सी-डेक इस विकास में भागीदार हैं। इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए डीएमआरसी और बीईएल ने पिछले वर्ष एक समझौता किया था। डीएमआरसी और बीईएल गाजियाबाद की एक समर्पित टीम ने आत्मनिर्भर भारत की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने के लिए दिन-रात कार्य किया है। आइ-एटीएस सिस्टम का आगामी फेज-चार के कारिडोर में भी उपयोग किया जाएगा। फेज-चार कारिडोर में आइ-एटीएस सिस्टम का उपयोग करते हुए भावी (प्रेडिक्टिव) मेंटनेंस माडल की भी शुरूआत की जाएगी।