जिन गांवों में बंद थे वैवाहिक रिश्ते, वहां खाप पंचायत ने बदली परंपरा
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जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : सदियों से बहादुरगढ़ के जिन गांवों में आपसी भाईचारा बनाकर वैवाहिक रिश्ते बंद किए गए थे वहां पर अब खाप पंचायत ने परंपरा बदल दी है। इस कड़ी में यहां के मांडौठी और भापड़ौदा के बीच अब वैवाहिक रिश्ते हो सकेंगे। अब तक इन दोनों गांव में एक दूसरे के यहां बेटा-बेटी नहीं ब्याहे जाते थे। इसके साथ ही खाप 84 ने कई और गांव के सामाजिक पंचायत प्रमुख को चिट्ठी लिखकर वहां के लिए भी वैवाहिक रिश्ते खोलने की पेशकश की गई है।
जिन गांवों के गौत्र और सीमाएं आपस में नहीं मिलते, उनमें यह रिश्ता जोड़ने का फैसला लिया गया है। दरअसल प्रदेश में ¨लगानुपात में तो सुधार हुआ है मगर पहले से जो कुवारों की फौज खड़ी है, उसके लिए रिश्ते कहां से आएं, यह बड़ा सवाल है। ¨लगानुपात में हुए इस सुधार का शादियों पर असर तो काफी सालों बाद जाकर दिखेगा। ऐसे में बहुत से गांव ऐसे हैं जो एक दूसरे की सीमा से नहीं जुड़े हैं और उनके गौत्र भी नहीं मिलते, मगर फिर भी वहां पर भाईचारा बनाकर आपस में शादियों को वर्जित रखा गया है। बताते हैं कि पुरखों ने एक साथ खेती और दूसरे कार्यो में मेलजोल होने के कारण आपसी भाईचारा बना लिया था। तब से एक दूसरे के यहां बेटा-बेटी की शादी न करके आपसी भाईचारा रखने की परंपरा शुरू की थी। मगर अब वक्त बदलने के साथ ही खाप पंचायत ने इस परंपरा को भी बदलना शुरू कर दिया है। -----पंचायत ने खोले मांडौठी और भापड़ौदा के रिश्ते क्षेत्र के मांडौठी और भापड़ौदा गाव के बीच सदियों से रिश्ते नहीं होते थे। जबकि दोनों में गौत्र अलग-अलग है और फासला भी काफी है। इनकी आपस में सीमाएं भी नहीं मिलती। जिन गांवों में गौत्र और सीमाएं मिलती हैं, वहां पर शादियों को सामाजिक अनुमति नहीं है। पुरखों ने मांडौठी और भापड़ौदा के बीच भाईचारा बना रखा था। इसलिए रिश्ते बंद थे। शनिवार को दोनों गांव की मांडौठी की चौपाल में खाप पंचायत हुई। इसमें आपसी सहमति से इन दोनों गांव में अब एक दूसरे के यहां रिश्ते शुरू करने का फैसला लिया गया। इस पर सभी ने सहमति जताई। इसके साथ ही मांडौठी गांव की ओर से लोवा खुर्द, नूना माजरा और देशलपुर में भी वैवाहिक रिश्ते बनाने के लिए इन गांवों के सामाजिक पंचायत प्रमुख को चिट्ठी लिखी गई है। यदि दोनों तरफ से सहमति बनती है तो इन तीनों गांवों में भी मांडौठी के रिश्ते हो सकेंगे, क्योंकि इन गांवों का भी गौत्र मांडौठी से मेल नहीं खाता। इससे पहले भी पंचायत की ओर से कई गांवों में इस तरह से परंपरा को बदला गया है ताकि वैवाहिक रिश्तों में मुश्किलें न आए। पंचायत में दलाल खाप 84 के प्रधान भूप ¨सह दलाल, उप प्रधान दयाराम, प्रवक्ता कैप्टन मान ¨सह दलाल, राठी-रूहल नौगामा प्रधान तस्वीर ¨सह राठी, भापड़ौदा से भरत ¨सह, राकेश कुमार, रमेश व अन्य मौजूद रहे। ----यह एक मुंहबोला भाईचारा था। सामाजिक व्यवस्थाओं में भी जायज परिवर्तन जरूरी है। गौत्र और सीमाएं जिन गांवो में नहीं मिलते, उनमें रिश्तों में कोई परहेज नहीं होता। इसलिए यह फैसला लिया गया।
--मान ¨सह दलाल, प्रवक्ता, दलाल खाप-84