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एमएसपी कानून की मांग को लेकर धरनारत रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ की मौत

जागरण संवाददाता बहादुरगढ़ तीन कृषि कानूनों के खिलाफ टीकरी बार्डर पर चले आंदोलन में

By JagranEdited By: Published: Tue, 17 May 2022 11:09 PM (IST)Updated: Tue, 17 May 2022 11:09 PM (IST)
एमएसपी कानून की मांग को लेकर धरनारत रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ की मौत
एमएसपी कानून की मांग को लेकर धरनारत रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ की मौत

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ टीकरी बार्डर पर चले आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानून की मांग को लेकर यहां के सेक्टर नौ मोड़ पर धरना दे रहे किसान नेता प्रदीप धनखड़ की मौत हो गई। पेट में इंफेक्शन और आंत में ब्लाकेज की वजह से सोमवार को उन्हें रोहतक पीजीआइ में भर्ती कराया गया था, जहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। इससे पहले वे दो दिन शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे। गंभीर हालत के चलते उन्हें रेफर कर दिया गया था। 52 वर्षीय प्रदीप धनखड़ न्यूनतम समर्थन मूल्य संघर्ष समिति के अध्यक्ष थे। एमएसपी व किसानों की अन्य मांगों को लेकर वे कई बार धरना व भूख हड़ताल कर चुके थे। शहर के नजफगढ़ रोड स्थित बैंक कालोनी के रहने वाले प्रदीप धनखड़ की मौत से कई राज्यों के किसान नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई। सेक्टर नौ मोड़ पर एमएसपी की मांग को लेकर धरना अब भी जारी है। वही धरने पर ही तीन दिन पहले उनको पेट में दर्द हुआ था। इलाज करवाया मगर तकलीफ बढ़ती चली गई। उनकी अनुपस्थिति में पंजाब के पटियाला निवासी सरदार सतनाम सिंह व बहादुरगढ़ के गांव कानौंदा निवासी सुमित छिकारा के नेतृत्व में सत्याग्रह आंदोलन चला हुआ है। प्रदीप धनखड़ की किसान आंदोलन में सक्रियता को देखते हुए उन्हें टीकरी बार्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की नौ सदस्यीय कमेटी का सदस्य भी बनाया गया था लेकिन मोर्चा की कमेटी से विचार मेल न खाने की वजह से उन्होंने मोर्चा पर ही कई तरह के संगीन आरोप लगाए थे। इस पर उन्हें मोर्चा से निष्कासित कर दिया था। किसान आंदोलन खत्म होने के बाद उन्होंने सेक्टर नौ मोड़ से अपना तंबू नहीं उखाड़ा था। वे यहीं पर एमएसपी की मांग को लेकर खुद को जंजीरों में जकड़कर भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। करीब 10 दिन तक भूख हड़ताल पर रहने के बाद साथी किसान नेताओं के आग्रह पर उन्होंने भूख हड़ताल समाप्त कर दी थी और उसे सत्याग्रह आंदोलन में तब्दील कर लिया था। शहर के रामबाग श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

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