बचपन बीता, जवानी बीती, बुढापे में छीन गया आशियान, अब कहां जाएं हम..
वेस्ट जुआं ड्रेन पर जैसे ही प्रशासन की टीम पूरे अमले के साथ कबीर बस्ती में पहुंची तो यहां के कब्जाधारियों में खलबली मच गई। दोनों तरफ से दो पोकलेन और दो जेसीबी ने तोड़फोड़ कार्रवाई की तो लोगों की भीड़ जमा हो गई। घरों में मौजूद महिलाओं ने अपना घरौंदा बचाने के लिए अधिकारियों के सामने खूब हाथ जोड़े मगर प्रशासन की टीम ड्रेन के इस प्रोजेक्ट में बाधा बने सभी अवैध कब्जों को हटाने के ही मूड में थी।
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:
वेस्ट जुआं ड्रेन पर जैसे ही प्रशासन की टीम पूरे अमले के साथ कबीर बस्ती में पहुंची तो यहां के कब्जाधारियों में खलबली मच गई। दोनों तरफ से दो पोकलेन और दो जेसीबी ने तोड़फोड़ कार्रवाई की तो लोगों की भीड़ जमा हो गई। घरों में मौजूद महिलाओं ने अपना घरौंदा बचाने के लिए अधिकारियों के सामने खूब हाथ जोड़े मगर प्रशासन की टीम ड्रेन के इस प्रोजेक्ट में बाधा बने सभी अवैध कब्जों को हटाने के ही मूड में थी। ऐसे में महिलाओं की मिन्नतों ने काम नहीं किया। प्रशासन की टीम के आगे महिलाओं की एक न चल रही थी लेकिन वे पूरी कार्रवाई के दौरान सरकार, प्रशासन और विधायक को कोसती रही।
महिलाओं ने बताया कि यहीं पर उनका बचपन बीता, जवानी बीत गई और अब बुढ़ापा आ गया। आशियाना न रहने की वजह से अब वे इस उम्र में अपने बच्चों को लेकर कहां जाएं। उन्होंने प्रशासन से दूसरी जगह जमीन देकर उन्हें बसाने की मांग की है। विधायक ने धर्मवीर वर्मा का साथ निभाने के लिए उजड़वा दिए म्हारे घर, अब उसी के घर पर देंगे धरना
लोगों ने तोड़फोड़ कार्रवाई के दौरान विधायक नरेश कौशिक के खिलाफ रोष जताया। लोगों का आरोप था था कि विधायक ने ही उनके घरों को तुड़वाने का काम किया है। उनका कहना था कि ड्रेन के दूसरी तरफ नप के पूर्व वाइस चेयरमैन धर्मवीर वर्मा के परिवार के भी मकान हैं लेकिन उन्हें बचाने के लिए हमारी तरफ पैमाइश ज्यादा निकाल दी जिससे उनके सारे मकान टूट गए और धर्मवीर वर्मा के परिवार के मकानों का कुछ हिस्सा ही टूटा है। उन्होंने कहा कि वे इस अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे और जल्द ही सभी लोगों को इकट्ठा करके विधायक के कार्यालय व घर के बाहर धरना देंगे। इस बार वोट मांगने आए तो होगा विरोध
ड्रेन किनारे झुग्गी बनाकर रह रही बेबी, शीला, निर्मला, धोली, काला आदि ने बताया कि वे कई सालों से यहां पर रह रहे हैं। यहां पर ही उनके राशन कार्ड व वोट भी बनी हुई हैं। चुनावों में तो नेताओं को उनकी याद आती है और वोट ले जाते हैं लेकिन अब उनके आशियाने उजड़ रहे हैं, उन्हें बचाने कोई नहीं आया। इस बार उनसे जो भी वोट मांगने आएगा उसे विरोध झेलना होगा।
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यूं बयान किया अपना दर्द
कई सालों से ड्रेन के किनारे टेलर की दुकान बनाकर अपना व परिवार का पालन-पोषण कर रहा था, मगर अब दुकान ढहा दी गई है। सारे सपने मिट्टी में मिल गए हैं। अब उसे कहीं दूसरी जगह अपना धंधा जमाना पड़ेगा।
सुरेश, स्थानीय निवासी।
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मेरी शादी यहीं पर हुई थी। पांच बच्चों का जन्म भी यहीं हुआ। अपने बच्चों का भी घर बनवाया लेकिन अब सारे घर टूट गए हैं। अब उन्हें कहीं दूसरी जगह किराये पर रहना पड़ेगा। उनके पास तो दूसरी जगह जमीन भी नहीं है। उन्होंने सरकार से जमीन देने की मांग की है ताकि वे अपना घर बना सके।
प्रेम, स्थानीय निवासी ----
कई सालों से यहां पर रह रहे हैं। अन्य लोगों के भी यहां मकान हैं। मगर उन्हें क्या पता था कि यह सरकार उनके मुंह से निवाला छीनने का काम करेगी। आज उनका पूरा घर टूट चुका है।
सीमा, स्थानीय निवासी
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वे करीब 40 साल से यहां पर मकान बनाकर रह रहे हैं। उस समय तो किसी ने कुछ नहीं कहा। जब उन्होंने पक्के मकान बना लिया और उनका गुजर-बसर होने लगा तो अब प्रशासन ने उन्हें उजाड़ दिया। अब उन्हें किराये पर रहना पड़ेगा।
-रमेश, स्थानीय निवासी।