ठेकेदार ने संभाली पेयजल सप्लाई व्यवस्था, तीन साल के लिए साढ़े पांच करोड़ का मिला टेंडर
ठेकेदार ने संभाली पेयजल सप्लाई व्यवस्था तीन साल के लिए साढ़े पांच करोड़ का मिला टेंडर
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
शहर की पेयजल सप्लाई व्यवस्था सोमवार से ठेकेदार ने संभाल ली। इसके लिए विभाग ठेकेदार को तीन साल के अंदर साढ़े पांच करोड़ का भुगतान करेगा। पहले यह टेंडर साढ़े चार करोड़ के आसपास था। पूरी व्यवस्था में 1 अप्रैल से पहले जो कमियां मिली थी, उन्हें दूर करने की जिम्मेदारी विभाग की होगी।
अब तक तो शहर में पेयजल की वितरण व्यवस्था को जन स्वास्थ्य विभाग खुद ही संभाल रहा था। विभाग के कर्मचारी ही जलघर के रखरखाव से लेकर कालोनियों में वाल्व खोलने का कार्य करते रहे हैं। मगर सोमवार से ठेकेदार द्वारा इस व्यवस्था को संभाल लिया गया। खास बात यह है कि तीन साल की अवधि के लिए दिया गया यह टेंडर साढ़े पांच करोड़ का होगा। पहले यह साढ़े चार से पौने पांच करोड़ के बीच का था। अब पांच करोड़ 49 लाख का टेंडर होगा। पहले दिन पेयजल सप्लाई में किसी तरह की परेशानी नहीं आई। जल्द ही अधिकारियों की ओर से पूरी व्यवस्था का निरीक्षण भी किया जाएगा। इस बीच संयुक्त कमेटी ने 1 अप्रैल से पहले जो कमियां चिन्हित की थी, उन्हें दूर करने की जिम्मेदारी विभाग की होगी। अब मिलता है 35 क्यूसिक कच्चा पानी, जरूरत है 80 क्यूसिक की
शहर में पेयजल आपूर्ति के लिए जो माइनर है, उसमें निर्धारित अवधि में 35 क्यूसिक पानी ही मिल पाता है। जब आबादी दुगनी हो जाएगी तो स्वाभाविक तौर पर कच्चा पानी भी दुगुनी मात्रा में देना होगा। इसके लिए मौजूदा माइनर से काम नही चलेगा। इसका दोबारा से निर्माण किया जाना है। तभी पानी आपूर्ति की क्षमता को बढ़ाया जा सकेगा। इस प्लानिग पर काम करते हुए सिचाई विभाग की ओर से एचएसवीपी (हुडा) सेक्टरों और बाकी शहर के हिस्से की जरूरत को ध्यान में रखकर आंकलन किया गया था। जब आबादी दुगुनी हो जाएगी तो कम से कम शहर को 80 क्यूसिक पानी की दरकार होगी। इसी लिहाज से क्षमता बढ़ानी होगी। शहर में जन स्वास्थ्य विभाग के पास कच्चे पानी की स्टोरेज और फिल्ट्रेशन प्लांट की क्षमता तो पर्याप्त हैं, मगर दिक्कत कच्चे पानी की उपलब्धता पर आती है। इसको लेकर भी प्रक्रिया चल रही है और जल्द ही आपूर्ति माइनर की हालत में भी सुधार होगा।
यह है व्यवस्था :
फिलहाल जन स्वास्थ्य विभाग के पास 80 एमजीडी पानी की स्टोरेज की क्षमता है। अमूमन विभाग के पास 56 एमजीडी की उपलब्धता रहती है। एक बार में विभाग एक सप्ताह तक के पानी की स्टोरेज आसानी से कर सकता है। दूसरा, शहर में रोजाना 8 एमजीडी पानी की खपत होती है। लगभग डिमांड भी इतनी ही है, जो प्रति व्यक्ति प्रतिदिन की जरूरत के हिसाब से है। विभाग के पास रोजाना 11 एमजीडी पानी को साफ करने की व्यवस्था है। ऐसे में साफ है कि विभाग के पास व्यवस्था की कमी नही है।
वर्जन.
पेयजल वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में सौंप दिया गया है। ठेकेदार द्वारा काम संभाल लिया गया। पेयजल सप्लाई में कोई समस्या आती है तो उसके लिए ठेकेदार ही जिम्मेदार होगा।
--अनिल रोहिल्ला, एसडीओ, जनस्वास्थ्य विभाग