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बहादुरगढ़ में खूब हो रहा बाल श्रम, श्रम विभाग निष्क्रिय

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़: बहादुरगढ़ में श्रम विभाग व जिला बाल संरक्षण अधिकारी की निष्क्रियत

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 03:00 AM (IST)
बहादुरगढ़ में खूब हो रहा बाल श्रम, श्रम विभाग निष्क्रिय
बहादुरगढ़ में खूब हो रहा बाल श्रम, श्रम विभाग निष्क्रिय

जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़:

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बहादुरगढ़ में श्रम विभाग व जिला बाल संरक्षण अधिकारी की निष्क्रियता की वजह से बाल श्रम चरम पर है। अधिकाश ढाबों व चाय की दुकानों पर बाल मजदूरी हो रही है। साथ ही ईट भट्ठों पर भी बचपन मजदूरी करता हुआ देखा जा सकता है। दोनों विभागों के अधिकारियों की ओर से निष्क्रियता और शिक्षा विभाग की ओर से बाल पाठशालाएं न खोलने की वजह से बचपन कूड़ा बीनता देखा जा सकता है। चाय की दुकानों पर तथा भट्ठों पर बच्चे परिवार का काम में हाथ बंटाते हैं लेकिन उनकी पढ़ाई की तरफ कोई ध्यान नहीं देता। ऐसे में यह भी एक अपराध की श्रेणी में आता है।

बहादुरगढ़ में करीब 30 ढाबे व 100 से ज्यादा चाय की दुकान

बहादुरगढ़ में करीब 10 रेस्टोरेंट, आधा दर्जन होटल हैं। इनमें तो बाल मजदूरी नहीं होती है। मगर यहा पर करीब 30 ढाबे हैं तथा 100 से ज्यादा चाय की दुकान। इनमें जमकर बाल मजदूरी होती है। साथ ही आसपास के गावों में बने ईट भट्ठों पर भी बच्चे परिवार के साथ काम करते देखे जा सकते हैं। हालाकि इस समय कुछ ईट भट्टे बंद पड़े हैं।

यह है कानून

14 साल से कम उम्र के बच्चों से मजदूरी कराना गैरकानूनी है। हालाकि इस नियम के कुछ अपवाद हैं जैसे की पारिवारिक व्यवसायों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या गर्मी की छुट्टियों में काम कर सकते हैं। इसी तरह फिल्मों में बाल कलाकारों को काम करने की अनुमति है। खेल से जुड़ी गतिविधियों में भी वह भाग ले सकते हैं। 14-18 वर्ष की आयु के बच्चों को काम पर रखा जा सकता है (जो किशोर/किशोरी की श्रेणी में आते हैं)। यदि कार्यस्थल सूची में शामिल खतरनाक व्यवसाय या प्रक्त्रिया से न जुड़ा हो।

उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान:

कोई भी व्यक्ति जो 14 साल से कम उम्र के बच्चे से काम करवाता है अथवा 14-18 वर्ष के बच्चे को किसी खतरनाक व्यवसाय या प्रक्रिया में काम देता है तो उसे 6 महीने से 2 साल तक की जेल की सजा हो सकती है और साथ ही 20000 से 50000 रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है। रजिस्टर न रखना, काम करवाने की समय-सीमा न तय करना और स्वास्थ्य व सुरक्षा संबंधी अन्य उल्लंघनों के लिए भी इस कानून के तहत 1 महीने तक की जेल और साथ ही 10000 रुपये तक का जुर्माना भरने की सजा हो सकती है। यदि आरोपी ने पहली बार इस कानून के तहत कोई अपराध किया है तो केस का समाधान तय किया गया जुर्माना अदा करने से भी किया जा सकता है। इस कानून के अलावा और भी ऐसे अधिनियम हैं (जैसे की फैक्ट्रीज अधिनियम, खान अधिनियम, शिपिंग अधिनियम , मोटर परिवहन श्रमिक अधिनियम इत्यादि) जिनके तहत बच्चों को काम पर रखने के लिए सजा का प्रावधान है, पर बाल मजदूरी करवाने के अपराध के लिए अभियोजन बाल मजदूर कानून के तहत ही होगा।

श्रम विभाग नहीं कर रहा कोई कार्रवाई: गोयल

बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य बाल कृष्ण गोयल ने बताया कि हर जगह बाल मजदूरी चरम पर है। कहीं अज्ञानतावश या फिर कहीं मजबूरी में बच्चे मजदूरी करने को विवश हैं। आयोग की ओर से समय-समय पर संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए जाते हैं लेकिन श्रम विभाग व बाल संरक्षण अधिकारी इस दिशा में पूरी तरह निष्कि्त्रय हैं। उनकी तरफ से कोई कार्रवाई न किए जाने से बाल मजदूरी बढ़ी है। वे बहुत जल्द ही रोहतक व सोनीपत में बाल मजदूरी को लेकर एक अभियान चलाएंगे।

बाल मजदूरी रोकने की बजाय अधिकारी अपने कायरें में व्यस्त

बाल श्रम को लेकर श्रम विभाग व बाल संरक्षण अधिकारी अपने-अपने कार्य में व्यस्त हैं। श्रम विभाग के अधिकारी ईश्वर हुड्डा ने बताया कि वे शादी में हैं। दो-तीन दिन बाद कार्यालय में आने के बाद बात करेंगे तो जिला बाल संरक्षण अधिकारी लतिका दहिया ने बताया कि वे फिलहाल व्यस्त हैं।


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