8 लाख मुआवजे और मृतक की पत्नी को नौकरी पर माना पीड़ित परिवार
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ : मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल एंबुलेंस की टक्कर से हुई ए
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़ :
मुख्यमंत्री के काफिले में शामिल एंबुलेंस की टक्कर से हुई एक युवक की मौत का मामला रविवार को तूल पकड़ गया। इसे बड़ी लापरवाही मानते हुए ग्रामीण भड़क गए। पीड़ित परिवार के लिए मुआवजे और मृतक की पत्नी को नौकरी देने से पहले ग्रामीण शव न लेने पर अड़ गए। तीन घटे तक इस मामले में पंचायत हुई। पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी पहुचे। आखिर में मृतक के परिवार को मुआवजा 11 की बजाय 8 लाख और पत्नी को चतुर्थ श्रेणी की योग्यता अनुसार नौकरी देने का प्रशासन की तरफ से आश्वासन दिया गया। इसके बाद ही ग्रामीण शात हुए और शव लेने के लिए रोहतक पीजीआइ रवाना हुए। पंचायत के बीच में ही कई बार सड़क जाम करने की चेतावनी दी गई, तो पुलिस भी चौकस रही।
शनिवार की शाम को मुख्यमंत्री मनोहर लाल का काफिला दिल्ली की तरफ गया था। इस काफिले में पीछे चल रही एंबुलेंस की टक्कर से जाखौदा गाव के बलजीत (44) की मौत हो गई थी। यह हादसा आसौदा मोड़ के नजदीक हुआ था। पहले तो पुलिस ने इस बात से इन्कार किया था कि बलजीत को सीएम काफिले की ही एंबुलेंस से टक्कर लगी, मगर बाद में परिजनों की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। इसमें यह बात लिखी गई कि सीएम काफिले की एंबुलेंस की टक्कर से बलजीत की जान गई। पंचायत में एसडीएम, डीएसपी, बीडीपीओ पहुंचे
रविवार सुबह यह मामला तूल पकड़ गया। परिजनों और ग्रामीणों ने बलजीत की मौत के लिए सीएम काफिले की लापरवाही को जिम्मेदार मानते हुए पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक मदद और नौकरी की माग उठाई। लोगों ने कहा कि मृतक बलजीत अनुसूचित जाति से था। उसकी मौत के बाद परिवार पर संकट आ पड़ा है। परिवार का अब कोई सहारा नहीं। इस मसले को लेकर गाव के आंबेडकर भवन में पंचायत हुई। इसमें इनेलो के नेता कर्मबीर राठी और संजय दलाल भी पहुचे। सामूहिक रूप से फैसला हुआ कि जब तक पीड़ित परिवार को मुआवजा और नौकरी की प्रशासन की तरफ से घोषणा नहीं होती, तब तक मृतक का अंतिम संस्कार नही होगा। ऐसे में परिवार का कोई सदस्य शव लेने नहीं पहुचा। इसकी सूचना पाकर एसडीएम जगनिवास, डीएसपी हसराज, बीडीपीओ रामफल सिंह भी पंचायत में पहुचे। एसडीएम ने बताया कि सरकार ने पीड़ित परिवार को पाच लाख मुआवजे और मृतक की पत्नी को चतुर्थ श्रेणी की नौकरी देने को आश्वस्त किया है। इस पर ग्रामीण भड़क गए। वे 11 लाख मुआवजे की माग कर रहे थे। सहमति न बनने पर रोड जाम करने की चेतावनी भी दी गई, मगर बुजुर्गो ने रोक दिया। उन्होंने कहा कि कानून तो हाथ में नहीं लिया जाएगा, लेकिन माग पूरी न होने तक वे शव भी नहीं लेंगे। इस पर खींचतान बनी रही। तीन घटे तक चली पंचायत के दौरान आखिर में 8 लाख मुआवजा और मृतक की पत्नी को नौकरी देने पर रजामंदी हुई। सरपंच को जिम्मेदारी दी गई कि दो माह के अंदर उन्हे ही परिवार को आठ लाख रुपये दिलाने होंगे। नौकरी के लिए भी पंचायत स्तर पर पहल होगी। इसके बाद परिजन व ग्रामीण शात हुए। पुलिस ने कर रखे थे चौकस इतजाम
इस मामले में किसी भी तरह की अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस ने चौकस इतजाम कर रखे थे। पंचायत स्थल पर खुद सदर एसएचओ जसबीर सिंह टीम के साथ मौजूद रहे। गाव के इर्द-गिर्द भी पुलिस तैनात की गई थी। वर्जन..
सीएम काफिले की एंबुलेंस की टक्कर से यह हादसा हुआ। पीड़ित परिवार के लिए 11 लाख मुआवजे और मृतक की पत्नी को नौकरी की माग थी। सरकार की तरफ से नौकरी और आठ लाख मुआवजे का आश्वासन दिया गया है। इससे पीड़ित परिवार संतुष्ट है।
--जगबीर सिंह, सरपंच जाखौदा।