नारी का पहला गुरु उसका पति परमेश्वर : महामण्डलेश्वर दयानंद
जयराम सेठी धर्मशाला में प्रवाहित ज्ञान गंगा के अष्टम दिवस पर रेणुका से आये महामण्डलेश्वर दयानंद भारती सत शिष्य ब्रह्मलीन प्यारानंद महाराज का स्वागत किया। महाराज ने कथा श्रवण करने वाले हर साधक से आह्वान किया कि जो कुछ भी आपने सुना है उसे अपने जीवन में जीने का प्रयास हर समय करे क्योंकि जो शब्द आपके जीवन की हर व्यथा को हर ले वही तो कथा है।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: जयराम सेठी धर्मशाला में प्रवाहित ज्ञान गंगा के अष्टम दिवस पर रेणुका से आये महामण्डलेश्वर दयानंद भारती सत शिष्य ब्रह्मलीन प्यारानंद महाराज का स्वागत किया। महाराज ने कथा श्रवण करने वाले हर साधक से आह्वान किया कि जो कुछ भी आपने सुना है उसे अपने जीवन में जीने का प्रयास हर समय करे, क्योंकि जो शब्द आपके जीवन की हर व्यथा को हर ले वही तो कथा है। स्वामी ने खास तौर पर माताओं से प्रार्थना की कलयुग के प्रभाव मे केवल सत्संग से ही मुक्ति का मार्ग है। इसमें कोई संशय नहीं। परन्तु आज के समय मे पाखंड, प्रपंच, झूठ, फरेब और धूर्तता का बोलबाला है। इसलिए हर किसी पर जल्द विश्वास मत करे अपने विवेक से ही काम ले। साधुओं के वेश मे अपना उल्लू सीधा करने करने वाले बगुले भक्तों, पाखंडी बाबाओं की परिक्रमा करने से बचे। अनादि काल से ही सनातन की रक्षा स्वयं शक्ति ही करती आ रही है। हमारे सनातन धर्म में नारी का गुरु तो केवल उसका पति ही है। वह अपने पति परमेश्वर की सम्मति से ही अन्य गुरु की शरण ले।
सत्संग मे जाकर पहले सुनना सीखे। कम बोले श्रवण अधिक करे और उसे मनन कर जीवन मे जीने का प्रयास करे। तत्पश्चात ही तो शुद्ध भाव उत्पन्न होगा। श्री कृष्णानंद महाराज, बलदेव सिंह, भारतभूषण गोयल, पवन गुप्ता, रामकुमार, भुवनेश्वर, नरेश गर्ग, जय सिंह, जरनैल सिंह, एनके गर्ग, रोशनलाल गर्ग ने गुरु का स्वागत किया। मौके पर चरणजीत मौहडी, योगेश गुप्ता, पीयूष गुप्ता, नीतिका गुप्ता, नीना गुप्ता एवं रमेश गुप्ता, दीपचंद गुप्ता, रजनीश जण्डली, बृज भूषण गोयल, कपिल गोयल, पुरूषोत्तम मौहडी, रशिम जण्ड़ली, हरनेक मौहडी, कृष्ण बलदेव, जगदीश, हाकम सिंह ने महाराज से आशीर्वाद ग्रहण किया।