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बिना एससीआर और फर्जी हस्ताक्षर के पीयून से क्लर्क पदोन्नत हुए कर्मियों पर गिरेगी गाज

उमेश भार्गव, अंबाला शहर नगर निगम में बिना एससीआर और फर्जी हस्ताक्षर से नगर निगम में बिना एससीआर और फर्जी हस्ताक्षर से पीयून से क्लर्क पदोन्नत होने वाले 8 कर्मचारियों पर अब कभी भी गाज गिर सकती है। पूरे मामले की जांच के लिए चीफ इंजीनियर कम चीफ विजिलेंस अधिकारी ने एक सप्ताह के भीतर जांच करने के निर्देश जारी किए हैं। इन्हीं निर्देशों की अनुपालना करते हुए आयुक्त नगर निगम ने इस मामले में ज्वाइंट कमिश्नर सतेंद्र दूहन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट आयुक्त को भेजनी है। ऐसे में इन कर्मचारियों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 01:55 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 01:55 AM (IST)
बिना एससीआर और फर्जी हस्ताक्षर के पीयून से क्लर्क पदोन्नत हुए कर्मियों पर गिरेगी गाज
बिना एससीआर और फर्जी हस्ताक्षर के पीयून से क्लर्क पदोन्नत हुए कर्मियों पर गिरेगी गाज

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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नगर निगम में बिना एससीआर और फर्जी हस्ताक्षर से पीयून से क्लर्क पदोन्नत होने वाले 8 कर्मचारियों पर अब कभी भी गाज गिर सकती है। पूरे मामले की जांच के लिए चीफ इंजीनियर कम चीफ विजिलेंस अधिकारी ने एक सप्ताह के भीतर जांच करने के निर्देश जारी किए हैं। इन्हीं निर्देशों की अनुपालना करते हुए आयुक्त नगर निगम ने इस मामले में ज्वाइंट कमिश्नर सतेंद्र दूहन की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट आयुक्त को भेजनी है। ऐसे में इन कर्मचारियों पर गाज गिरनी तय मानी जा रही है।

दरअसल 16 अप्रैल 2018 को दैनिक जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके पांच माह बाद इस मामले में 28 अगस्त को निदेशालय ने रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन निदेशालय को इस बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल सका। इसीलिए इस मामले को निदेशालय ने स्टेट विजिलेंस के सुपुर्द कर दिया। अब इस पर कार्रवाई करते हुए अब चीफ इंजीनियर कम चीफ विजिलेंस अधिकारी ने पूरे मामले में रिपोर्ट तलब करते हुए जांच करने के निर्देश निगम आयुक्त को दिए हैं। इन कर्मचारियों को पदोन्नत करने में अधिकारियों ने भी इतना उतावलापन दिखाया कि दो वरिष्ठ कर्मचारियों की वरिष्ठता को भी दरकिनार कर दिया गया। प्रमोशन पाने वाले आठ कर्मचारियों में से चार तो अलग-अलग मामलों में क्लर्क बनने के बाद भी कई बार सस्पेंड भी हो चुके हैं। इसे भी अनदेखा कर दिया गया।

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कैसे हुआ पदोन्नति में फर्जीवाड़ा

बिना वार्षिक आंकलन रिपोर्ट (एसीआर) के आठ चपरासी को नगर निगम अंबाला में प्रमोट कर क्लर्क बना दिया गया। इनमें से एक या दो कर्मचारियों की ही केवल आधी-अधूरी एसीआर बनी थी। लेकिन प्रमोशन के लिए इन सभी ने अपनी एसीआर पर ईओ के फर्जी हस्ताक्षर खुद ही कर डाले। अधिकारी के इन फर्जी हस्ताक्षरों पर इन सभी चपरासियों को नगर निगम अंबाला में पदोन्नत कर दिया गया। हैरत की बात है कि तीन कर्मचारियों को एसीआर तक में छूट दे दी गई। मामला मई 2016 का है।

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ऐसे खुली पोल, निगम कर्मी ने ही खोली पोल:-

दो साल तक मामला दबा रहा। इसके बाद निगम में ही कार्यरत सफाई दरोगा विकास कुमार ने मामले की पोल खोली। 13 जनवरी 2018 को विकास कुमार ने स्थापना शाखा में कार्यरत सुरेंद्र कुमार व अन्य के खिलाफ लिखित रूप से आयुक्त नगर निगम, डीसी और डायरेक्टर अर्बन लोकल बॉडी को शिकायत कर मामले की जांच की गुहार लगाई। लेकिन मामला दबा रहा।

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कैथल नगर परिषद में बनती थी वरिष्ठता अंबाला निगम में कर दी प्रमोशन

इनमें से एक कर्मी कैथल नगर परिषद से ट्रांसफर कर अंबाला नगर निगम में भेजा गया था। नियमानुसार उसकी वरिष्ठता नगर परिषद में ही बनती है। लेकिन उसे अंबाला में निगम में पदोन्नत कर दिया गया। नियमानुसार यह नहीं हो सकता। परिषद के कर्मी की पदोन्नति परिषद में ही हो सकती है निगम में नहीं।

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शिकायत के बाद भी नहीं बदली ब्रांच..

बता दें कि मामला सामने आने के एक साल बाद भी मुख्य आरोपित क्लर्क सुरेंद्र को स्थापना शाखा में ही रखा गया। इसी शाखा में कर्मचारियों का सारा रिकार्ड होता है। शिकायतकर्ता विकास कुमार ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है था कि जब तक जांच नहीं होती सुरेंद्र कुमार को स्थापना शाखा से बदल दिया जाए। लेकिन उसे नहीं बदला गया। जब मामला स्टेट विजिलेंस तक जाने की नौबत आई तब सुरेंद्र को स्थापना शाखा से बदलकर अधिकारियों ने अपनी खाल बचाने का प्रयास किया।


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