दवा के लिए भीड़ करेंगे कम, नए ब्लॉक में बनेंगे काउंटर : डॉ. सतीश
अंबाला छावनी का नागरिक अस्पताल की ओपीडी जो कभी दो सौ से ढाई सौ हुआ करती थी वह अब करीब दो हजार तक पहुंच चुकी है। मरीजों की संख्या बढ़ी तो परेशानियां भी बढ़ीं।
अंबाला छावनी का नागरिक अस्पताल की ओपीडी जो कभी दो सौ से ढाई सौ हुआ करती थी वह अब करीब दो हजार तक पहुंच चुकी है। मरीजों की संख्या बढ़ी, तो परेशानियां भी बढ़ीं। व्यवस्थाओं को लेकर कई बार सवाल उठाए गए, तो कई बार डाक्टरों ने ऐसे मरीजों को भी जीवनदान दिया, जो मायूस हो चुके थे। सुविधाएं धीरे-धीरे और बढ़ रही हैं, जबकि दवा लेने के लिए मरीजों की मारामारी अभी कम होने का नाम नहीं ले रही है। यह नागरिक अस्पताल अंबाला ही नहीं पूरे प्रदेश सहित उत्तर प्रदेश, पंजाब से भी मरीजों को संभाल रहा है। इसका कारण यहां का पीपीपी मोड पर कैथलैब है। यहां पर मरीजों को आने वाली परेशानियों, आने वाली सुविधाओं आदि पर जागरण संवाददाता कुलदीप चहल ने नागरिक अस्पताल के सीनियर मेडिकल आफिसर (एसएमओ) डा. सतीश कुमार से बातचीत की। पेश हैं मुख्य अंश: सवाल : सबसे बड़ी परेशानियां मरीजों को दवा लेने में उठानी पड़ती है, इसका समाधान क्या है?
जवाब : ओपीडी में मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण दवा काउंटरों पर भीड़ तो हैं। इस में समय भी लग जाता है। लेकिन जल्द ही कैंसर विग, गायनी, जच्चा-बच्चा विग अलग हो जाएगा। इन ब्लॉक में ही इन मरीजों से संबंधित दवाएं मिलेंगी। ऐसे में काउंटरों पर भीड़ कम हो जाएगी और दवा लेने में भी ज्यादा समय नहीं लगेगा। अभी तो सभी मरीजों को इन काउंटरों से दवा देनी पड़ती है, जिस कारण भीड़ लगी रहती है। जल्द ही राहत मिल जाएगी। सवाल : एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन के डाक्टर अवकाश पर होने के कारण दिक्कतें आती हैं, इसको लेकर क्या कर रहे हैं?
जवाब : हां, यह सही है कि दिक्कत आती थी, लेकिन इसका समाधान निकाला गया है कि यदि एक्सरे करने वाला अधिकारी अवकाश पर है, तो डीसी रेट पर हायर कर लेते हैं ताकि मरीजों को दिक्कतें न हों। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड दो शिफ्टों में किया गया है और निर्देश हैं कि दिन में जितने भी अल्ट्रासाउंड के मरीज आएंगे, उनकी रिपोर्ट तैयार उसी दिन करनी है। इसके लिए दो शिफ्टों में ड्यूटी लगाई है। सवाल : आरोप लगते हैं कि मरीजों को तुरंत रेफर कर दिया जाता है, इसका समाधान क्या है?
जवाब : मरीज को रेफर तभी तक किया जाता है, जब उसकी हालत नाजुक है। यह एक डॉक्टर पर ही निर्भर करता है कि उसने क्या निर्णय लेना है। जहां भी रेफर किया जाता है, वहां ऐसे गंभीर मरीजों को चेक करने के लिए पूरी टीम रहती है, जो उसे संभाल लेती है। फिर भी कोशिश यही रहती है कि नागरिक अस्पताल छावनी में ही उपचार हो जाए। सवाल : अंबाला में बर्न यूनिट तक नहीं है, जबकि ऐसे मरीजों को खास देखभाल की जरूरत होती है?
जवाब : नए बन रहे ब्लाक में यदि जगह बच जाती है तो छह बेड की बर्न यूनिट को स्थापित करने पर विचार चल रहा है। इसको लेकर प्रारंभिक स्तर पर विचार है, जबकि ब्लाक बनने के बाद जैसी भी स्थिति होगी, उसके अनुसार ही काम किया जाएगा। संक्षिप्त परिचय
नाम : डाक्टर सतीश कुमार (एमबीबीएस)
पहली पोस्टिग : पीएचसी डीग (कुरुक्षेत्र) में बतौर मेडिकल आफिसर
कहां पर तैनात रहे : सीएचसी मुलाना में बतौर एसएमओ, अंबाला शहर में डिप्टी सीएमओ का कार्यभार भी संभाला
मौजूदा तैनाती : अंबाला छावनी नागरिक अस्पताल में में एसएमओ