पूर्व मंत्री के खिलाफ लामंबद ग्रामीण, निर्मल सिंह बोले झूठे हैं आरोप
साहा के गोला पंचायत से ग्रामीण सरपंच की अगुवाई में बुधवार को डीसी से मिलकर पंचायत के पेड़ काटकर लकड़ी ले जाने वालों पर पूर्व मंत्री निर्मल सिंह का संरक्षण होने का आरोप लगाया।
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: साहा के गोला पंचायत से ग्रामीण सरपंच की अगुवाई में बुधवार को डीसी से मिलकर पंचायत के पेड़ काटकर लकड़ी ले जाने वालों पर पूर्व मंत्री निर्मल सिंह का संरक्षण होने का आरोप लगाया। ग्रामीणों ने पूर्व मंत्री के खिलाफ नारेबाजी भी की। इससे पहले ग्रामीण सोमवार को सरपंच गुरदयाल सिंह के नेतृत्व में गांववासी का प्रतिनिधिमंडल डीसी से मिला था। बुधवार को इस मामले में डीसी ने एसडीएम बराड़ा की अध्यक्षता में चार सदस्यों की टीम गठित करके रिकार्ड चेक कर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है।
गोला के सरपंच गुरदयाल सिंह ने बताया कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन पूर्व मंत्री निर्मल सिंह के संरक्षण में ग्रामपंचायत की जमीन पर लगे लाखों के सफेदे के पेड़ काटकर गिरा दिया गया। जब ग्रामीणों ने विरोध किया पेड़ काटने वालों ने हाथापाई करने की कोशिश की। इस पर पहुंची पुलिस ने सात ट्रालों और 6 ट्रैक्टर ट्रालियों पर लदी लकड़ी को अपने कब्जे में ले लिया। फिर भी जिम्मेदार अधिकारी आरोपियों पर कोई कार्रवाई करने से कतराते रहे। दो दिन बीतने के बाद बुधवार को हम सभी डीसी आफिस पहुंचकर पूर्वमंत्री व उनके गुर्गो पर कार्रवाई करने की मांग की। कमेटी के अध्यक्ष एसडीएम बराड़ा
डीसी अशोक कुमार शर्मा ने सरपंच और ग्रामीणों के रुख को देखते हुए एसडीएम बाराड़ा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। कमेटी में एडीपीओ, बीडीओ और तहसीलदार को शामिल किया गया है। यह कमेटी ग्राम पंचायत की भूमि से संबंधित रिकार्ड की जांच करके आख्या उपायुक्त को सौंपेगी। इसके बाद प्रशासन बनती कार्रवाई को अमल में लगाएगा। फोटो: 70
गोला पंचायत के खसरा नंबर एक में 38 एकड़ जमीन का मामला है। सरपंच कह रहे हैं कि 2013 में पंचायत के प्रस्ताव पर पेड़ लगाए गए थे। जबकि इस मामले में शिकायत के साथ हाईकोर्ट के आदेश की कापी भी दी गई है। अब रिकार्ड की जांच पूरा हुए बिना कुछ कह पाना संभव नहीं है।
- प्रताप सिंह, जिला पंचायत अधिकारी अंबाला। मेरे पर सरपंच न जाने किस लालच में बेवजह आरोप लगा रहा है। जबकि इस जमीन को मेरे जानकार बलकार सिंह ने उत्तम कौर से खरीदी थी और 1994 से काबिज है। हां पूर्व की चौटाला सरकार में इसे निरस्त कर दिया था, फिर इस जमीन के बारे में कोर्ट से फैसला हुआ है। इसमें मेरे संरक्षण जैसी कोई बात नहीं है।
- निर्मल सिंह, पूर्व मंत्री