अनूठी पहल : राजनीतिक संस्कार के लिए नन्हीं पहल
उम्मीद तो नहीं है ये पर हां एक अहसास है कि जीत हो न हो हमारी पर, हार भी मिसाल से कम न होगी। जिला युवा विकास संगठन ने कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है। संगठन की महिला ¨वग महासचिव एवं चाइल्ड लाइन निदेशक डॉ. प्रतिभा ¨सह ने लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए नन्ही चौपाल की शुरुआत की है।
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
उम्मीद तो नहीं है ये पर हां एक अहसास है कि जीत हो न हो हमारी पर, हार भी मिसाल से कम न होगी। जिला युवा विकास संगठन ने कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है। संगठन की महिला ¨वग महासचिव एवं चाइल्ड लाइन निदेशक डॉ. प्रतिभा ¨सह ने लोकतांत्रिक ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए नन्ही चौपाल की शुरुआत की है। ग्रामीण बच्चों को बेहतरीन मंच उपलब्ध कराने और उनमें शुरू से ही राजनीतिक संस्कार घोलने के लिए नन्ही चौपाल के तहत गांव सौंडा में बाल पंचायत का गठन कर दिया गया है।
यह पंचायत प्रदेश की पहली बाल पंचायत होगी जो स्वतंत्र कार्य केवल बच्चों के लिए ही करेगी। इस पंचायत में 10 वर्ष से 18 साल से कम उम्र के बच्चों को शामिल किया गया है। नन्ही चौपाल के तहत पंचायत की हर रविवार को चाइल्ड लाइन कार्यालय सोंडा में चौपाल लगेगी। साल 2019 में 2 जनवरी को इस मुहिम की शुरुआत की गई। हालांकि इसके लिए तैयारी करीब एक माह पहले से कर ली गई थी। बाल पंचायत गांव के बच्चों की समस्याएं और शिकायतें नन्हीं चौपाल में रखेगी। इस चौपाल की मिनट्स तैयार होंगी। इन मिनट्स के आधार पर चाइल्ड लाइन डायरेक्टर और जिला युवा विकास संगठन की टीम काम करते हुए बच्चों की शिकायतों का निवारण करेगी।
तीन माह के लिए होगा पंचायत का कार्यकाल
नन्ही चौपाल के तहत बनाई गई बाल पंचायत का कार्यकाल 3 माह का होगा। इसके बाद पूरी पंचायत को बदल दिया जाएगा। जो बच्चे इस चौपाल कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे उन्हीं में से सरपंच और पंचों का गठन किया जाएगा। इस तरह एक साल में चार बार पंचायत बदलने से हर बच्चे की प्रतिभा में निखार आएगा। साथ ही वह सिस्टम में भी ढलेंगे। इस तरह 50 गांव में इस तरह की बाल पंचायतें गठित करने का लक्ष्य संगठन ने रखा है।
14 साल की सिमरन बनी पहली बाल सरपंच
14 साल की सिमरन बाल पंचायत की पहली सरपंच बनी। सिमरन अंबाला शहर के सेंट सावन स्कूल में 8वीं छात्रा है। इसके अलावा सोंडा राजकीय स्कूल में पढ़ने वाली 14 साल की गुनगुन व छठी कक्षा की वंशिका, आठवीं के अखिलेंद्र व सेंट सावन में 7वीं कक्षा के यशमन को पंच बनाया गया है। इस बाल पंचायत को चलाने के लिए जो भी खर्च होगा उसे संगठन ही वहन करेगा। बच्चों को नन्हीं चौपाल में बुलाने के लिए उनकी प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी और उन्हें सम्मानित किया जाएगा। चौपाल से एक दिन पहले यानी हर शनिवार बच्चे खुद गांव में जाकर बच्चों की समस्याएं और शिकायतें सुनेंगे।
यह हैं नन्ही चौपाल के उद्देश्य
-लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए बचपन में ही राजनीतिक संस्कार डालना।
-ग्रामीण बच्चों को मंच उपलब्ध कराना ताकि उनका शारीरिक और मानसिक विकास हो सके।
- ग्रामीण अंचल के बच्चों की समस्याएं और शिकायतें बच्चों के माध्यम से ही सामने लाकर उनका समाधान किया जा सके।
- यौन शोषण का स्कूल व घर में शिकार हुए बच्चों का पता कर उन्हें सामाजिक धारा से जोड़ना।
- आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों का पता कर उन्हें स्कूल तक पहुंचाना। इसी तरह ड्रॉप आउट और आउट आफ स्कूल बच्चों को वापस स्कूल तक पहुंचाना। ऐसे आया आइडिया
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डॉ. प्रतिभा ¨सह ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में जब वह बच्चों को गुड टच बेड टच की जानकारी देने जाती या फिर लापता व लावारिस बच्चे मिलते तो ज्यादातर केस में बच्चे कुछ भी नहीं बता पाते। बाल यौन शोषण केस भी अंबाला में इस साल 100 से ज्यादा मिले। इन बच्चें से कुछ भी उगलवाना सबसे मुश्किल काम रहा। अधिकतर गांव में बच्चों के माता-पिता तक को ग्राम पंचायत के कार्यों तक की जानकारी नहीं होती। न यह पता होता कि शिकायत के निवारण के लिए कहां जाएं? डॉ. प्रतिभा ने बताया कि इस समस्या को कैसे खत्म किया जाए। यह मंथन छह माह चला। एक दिन घर में बैठे कुछ बच्चे मोबाइल पर लगे थे। वहीं से आइडिया आया क्यों न इनके इस समय का सदुपयोग हो। एक जगह बुलाकर इनकी समस्याएं, शिकायत सुनने के अलावा इनसे आइडिया भी मांगे जाएं। इसी को नाम दिया गया नन्हीं चौपाल। अब यही बच्चे अपने माता-पिता के शिक्षक भी बनेंगे। इससे यह पूरी सरकारी कार्यप्रणाली से खुद तो जागरूक होंगे ही अपने माता-पिता को भी जागरूक करेंगे। इस तरह सभी योजना हर गांव तक आसानी से पहुंच जाएंगी। न केवल संस्कारवान राजनेता तैयार होंगे बल्कि लोकतंत्र भी मजबूत होगा।