तिनका जेल रेडियो बदलेगा कैदी-बंदियों का ²ष्टिकोण, लिखे इमोशेनल सांग
बस अब कुछ और नहीं गम के अंधेरे और नहीं। तिनका ने दिया सहारा नया आसमां घर अब हमारा। यह इमोशेनल सोंग किसी फिल्म का नहीं बल्कि सेंट्रल जेल के कैदी-बंदियों द्वारा खुद लिखा गया है।
सुरेश सैनी, अंबाला शहर : बस अब कुछ और नहीं, गम के अंधेरे और नहीं। तिनका ने दिया सहारा, नया आसमां घर अब हमारा। यह इमोशेनल सोंग किसी फिल्म का नहीं बल्कि सेंट्रल जेल के कैदी-बंदियों द्वारा खुद लिखा गया है। कैदी-बंदियों का यह ²ष्टिकोण तिनका जेल रेडियो प्रोजेक्ट से जुड़ने से आया है। कैदी-बंदियों ने इस गीत के अलावा अन्य चार गीत और लिखे हैं जिन्हें प्रोजेक्ट टीम ने खूब सराहा है। दरअसल, तिनका जेल रेडियो की शुरूआत के लिए अंबाला सेंट्रल जेल से छह कैदी-बंदियों का चयन हुआ था। जिसमें उन्हें ट्रेनिग दी गई। इस ऑनलाइन ट्रेनिग में रोजाना बंदियों को एक टास्क (अपने जीवन से जुड़ी बातें या तिनका जेल रेडियो से क्या कुछ सीखा) दिया जाता था जिसे उन्हें पूरा करके दिखाया। जेल में प्रोजेक्ट की शुरूआत होने के बाद यह कैदी-बंदी दूसरे बंदियों को इसके बारे में मोटिवेट करेंगे। 21 दिसंबर को हुआ था चयन
बता दें तिनका जेल रेडियो का हिस्सा बनने के लिए 12 बंदियों का 21 दिसंबर को फरीदाबाद में ऑनलाइन ऑडिशन हुआ था। जिसमें छह बंदी सिलेक्ट हुए थे। इन्हें यह ट्रेनिग तिनका तिनका की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा द्वारा दी गई। ट्रेनिग का मकसद इन बंदियों को रेडियो की जरूरत और उसके महत्व को समझाते हुए रेडियो के मुताबिक कार्यक्रम बनाने के लिए तैयार करना था।
------ इस तरह स्थापित होगा रेडियो
तिनका जेल रेडियो के अनुसार इस प्रोजेक्ट से बाहर के लोग इससे जुड़ नहीं सकेंगे तथा बैरक के बाहर लगे स्पीकर के जरिए सभी रेडियो को सुना जाएगा। इसमें रोजाना एक घंटे का कार्यक्रम होगा, जिसमें कानून, सेहत और संगीत से जुड़े कार्यक्रम होंगे। बंदी अपनी कविताएं और कहानियां भी सुनाएंगे। बंदी अपनी फरमाइश या सवाल लिखकर दे सकेंगे जिसका जवाब अगले कार्यक्रम में दिया जाएगा। जेल में रेडियो के जरिए बंदी अपनी प्रतिभा को तराशेंगे। अंबाला सेंट्रल जेल में इस प्रोजेक्ट की शुरूआत 20 जनवरी को होगी जिसमें उच्च अधिकारियों के पहुंचने की संभावना है।
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20 जनवरी को इसकी शुरुआत हो सकती है। तिनका जेल रेडियो द्वारा चयनित बंदियों को काफी कुछ सीखने के लिए मिल रहा है। इससे उनके अंदर सकारात्मक सोच आएगी तथा चयनित बंदियों ने खुद कुछ गीत लिखे हैं जो काफी अच्छे हैं। प्रोजेक्ट की शुरुआत होने के बाद अन्य कैदी-बंदियों को काफी कुछ सीखने के लिए मिलेगा। -लखबीर सिंह बराड़, सुपरिटेंडेंट, सेंट्रल जेल।