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श्रीमद्भागवद गीता में जितने गोते लगाए जाएं उतने रहस्य बाहर आते हैं

शिव मंदिर रामबाग मैदान में चल रहे दिव्य गीता सत्संग के पांचवें एवं अतिम दिन स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि सभी ग्रंथों व धर्मों का सार श्रीमद्भागवद गीता में है। जिसने मन से श्रीमद्भागवद गीता तथा ज्ञान की एक भी बात मन में धारण कर ली और उसका अनुसरण कर लिया तो समझो वह व्यक्ति भवसागर से पार हो गया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवद गीता ऐसा ग्रंथ है जिसमें जितने गोते लगाए जाएं उतने रहस्य बाहर आते हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 08 Apr 2019 06:33 AM (IST)Updated: Mon, 08 Apr 2019 06:33 AM (IST)
श्रीमद्भागवद गीता में जितने गोते लगाए जाएं उतने रहस्य बाहर आते हैं

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : शिव मंदिर रामबाग मैदान में चल रहे दिव्य गीता सत्संग के पांचवें एवं अतिम दिन स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाती है। उन्होंने कहा कि सभी ग्रंथों व धर्मों का सार श्रीमद्भागवद गीता में है। जिसने मन से श्रीमद्भागवद गीता तथा ज्ञान की एक भी बात मन में धारण कर ली और उसका अनुसरण कर लिया तो समझो वह व्यक्ति भवसागर से पार हो गया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवद गीता ऐसा ग्रंथ है जिसमें जितने गोते लगाए जाएं उतने रहस्य बाहर आते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन के हर पड़ाव में गीता का सहारा लिया जा सकता है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने मानव जीवन में आने वाले सभी सवालों का जवाब दिया है। बिना तत्व ज्ञान के मानव की मुक्ति सम्भव नहीं हो सकती। इससे पूर्व प्रात: की बेला में ध्यान साधना करवाते हुए गीता मनीषी ने कहा कि ध्यान का अभ्यास हर दृष्टि से बहुत ही आवश्यक है क्योंकि इससे चित्त को स्थिर करने में मदद मिलती है। ध्यान विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में हमारी मदद करता है तथा हमें मानसिक रूप से मजबूती देता है, एकाग्रता लाता है। ध्यान से भौतिक वस्तुओं से लगाव कम होता है, मन परमात्मा से जुड़ता है। प्राणायाम, अनुलोम, विलोम ध्यान लगाने से पहले की क्रिया है। इससे ध्यान में एकाग्रता आती है। परम शांति, परम आनन्द की प्राप्ति केवल ध्यान से ही हो सकती है। उन्होंने कहा कि ध्यान की इस प्रक्रिया को लगातार जारी रखना होगा तभी आशातीत लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि मंत्र-जाप की इस प्रकिया को अपनाने के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं है इसे कहीं भी चलते-फिरते किया जा सकता है। इस अवसर पर दिनेश, हरीश सचदेवा, गुलशर रॉय, अश्विनी, मुनीष शर्मा बलटाना, अशोक ग्रोवर, सुभाष मनचंदा, सुभाष शर्मा, केवल कृष्ण, मनमोहन कपूर, सतीश चावला, अशोक बजाज मौजूद रहे।

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