बेटे की नहीं खलने दी तीन बेटियों ने कमी, पहले दो बड़ी तो अब छोटी बनी टापर
उमेश भार्गव, अंबाला शहर बेटे भाग्य से मिलते हैं लेकिन बेटियां सौभाग्य से। शहर की तीन बेटि
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
बेटे भाग्य से मिलते हैं लेकिन बेटियां सौभाग्य से। शहर की तीन बेटियों ने अपने माता-पिता का नाम रोशन कर इस पंक्ति को चरितार्थ कर दिया। इनके नाम हैं श्रुति, रिचा और संपदा। मां अलका शर्मा पीके आर जैन स्कूल में टीचर हैं, वहीं पिता डीएन शर्मा चंडीगढ़ में पीडब्ल्यूडी में एक्सईएन के पद पर कार्यरत हैं। बेटे की कमी तीनों बेटियों ने अपने माता-पिता को नहीं खलने दी। सबसे छोटी बेटी संपदा ने मंगलवार को जारी सीबीएसई की 10वीं कक्षा में पीकेआर जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में 97.2 फीसद अंक हासिल कर दूसरा व जिले में छठा स्थान हासिल किया। बड़ी बहन श्रेया व रिचा इसी स्कूल से पढ़कर जिला टापर रही हैं। संपदा इंजीनियर बनना चाहती है, जबकि बड़ी बहन श्रुति एनआइटी कुरुक्षेत्र और आइआइए इंदौर में टापर रही है। इसी तरह रिचा एमटेक कर चुकी है। अल्का शर्मा ने दैनिक जागरण को बताया कि कौन कहता है कि उनके बेटा नहीं है। उनकी बेटियां बेटों से बढ़कर हैं। दादा ओपी शर्मा भी आदर्श हैं। पिछले 10 वर्ष से निशुल्क होम्योपैथिक डिसपेंसरी चला रहे हैं।
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गोल्ड मेडलिस्ट मां ने बेटियों के लिए छोड़ दी नौकरी, बेटी ने भी रोशन कर दिया नाम
- 98.4 प्रतिशत अंकों के साथ जिले में दूसरा स्थान पाने वाली मनन की मां बनी बेटी के लिए प्रेरणा
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर
दो बेटियों की गोल्ड मेडलिस्ट मां ने बेटियों का भविष्य बचाने और बनाने के लिए अपनी नौकरी को छोड़ दी। बड़ी बेटी मनन ने मां के इस त्याग को जाया नहीं जाने दिया और 98.4 फीसद अंक हासिल कर जिले में दूसरा स्थान हासिल कर अपनी मां र¨जद्र कौर और पिता हरपाल ¨सह सहानी का नाम रोशन कर दिया। र¨जद्र कौर ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने 1996-97वें के सत्र में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में एमए पंजाबी में पूरे प्रदेश में टॉप किया था। इसीलिए गोल्ड मेडल से नवाजा गया। शादी के बाद वह लालडू में सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बतौर लेक्चरर रही। इसी बची जब उनकी बेटी मनन जन्म लेने वाली थी तो उन्होंने लीव ले ली। मनन के जन्म के बाद लगा कि उसकी देखभाल बिना उसके संभव नहीं क्योंकि पति काम पर से देरी से घर आते हैं। इसीलिए उन्होंने नौकरी छोड़ दी। इसके बाद जब दूसरी बेटी हुई तो कभी नौकरी करने की नहीं सोची।
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मजदूर पिता के बेटे ने चौड़ा किया पिता का सीना
- मजदूरी पर गए बेटे को खल रही थी जश्न में पिता की कमी
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। मजदूर पिता के होनहार बेटे ने 10वीं कक्षा के परिणाम में यह साबित कर दिया। शहर पुलिस डीएवी स्कूल में 94.6 फीसद अंक हासिल करने वाले विवेक के पिता मोती लाल मजदूरी व माता गौरी देवी घर पर ही काम करती हैं। दैनिक जागरण संवाददाता के सवाल के जवाब में विवेक ने बताया कि वह अपने पिता को अभी तक रिजल्ट के बारे में जानकारी नहीं दे पाया क्योंकि वह मजदूरी पर गए हैं। प्राइवेट स्कूल में मजदूर पिता ने कैसे दाखिला दिलाया के जवाब में विवेक बताते हैं कि उसकी बहन भी इसी स्कूल में पढ़ी है जोकि बीकॉम कर रही है। दाखिले में ¨प्रसिपल ने उन्हें छूट दी थी। विवेक ने बताया कि वह बीटेक करना चाहता है, लेकिन फीस कैसे भरी जाएगी यह उसे नहीं पिता।