जिस विवाद को सुलझाने के लिए सरकार को बनानी पड़ी पॉलिसी वह 15 साल बाद भी अनसुलझा
उमेश भार्गव, अंबाला शहर: अंबाला शहर हलके के अंतर्गत आने वाली कलावड़ और बालापुर की 104 एकड़ जमीन बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार को पॉलिसी बनानी पड़ी लेकिन 15 साल बाद भी विवाद जस का तस है।
उमेश भार्गव, अंबाला शहर: अंबाला शहर हलके के अंतर्गत आने वाली कलावड़ और बालापुर की 104 एकड़ जमीन बंटवारे के विवाद को सुलझाने के लिए हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार को पॉलिसी बनानी पड़ी लेकिन 15 साल बाद भी विवाद जस का तस है।
वर्ष 2005 तक कलावड़ और बालापुर पंचायतें अलग-अलग हुई। चूंकि जमीन कलावड़ पंचायत के नाम थी इसीलिए दोनों गांव की पंचायती जमीन का रेवेन्यु नंबर भी एक ही था। इसीलिए पंचायती जमीन से होने वाली आमदनी का पैसा भी कलावड़ को मिल रहा था। दोनों में जमीन और पंचायती जमीन की आमदनी का विवाद डीसी के पास पहुंचा। गांव बालापुर की पंचायत ने कहा कि पंचायती जमीन की बोली का हक उसे भी मिलना चाहिए। 5 जून 2008 को डीसी ने पंचायती जमीन की बोली से आने वाली 33-33 फीसद आमदनी दोनों पंचायतों को वितरित करने और शेष 34 फीसद हिस्सा फिक्स डिपोजिट कराने के आदेश दिए। 17 जून 2008 को बालापुर की पंचायत ने डीसी कोर्ट में जमीन के बंटवारे का केस डाल दिया। 3 जनवरी 2012 में डीसी ने आदेश जारी कर दिए कि जनसंख्या के हिसाब से पैसे और जमीन दोनों ग्राम पंचायतों में बांट दिया जाए। 2013 के बाद बनाए सरकार ने अपने रूल
डीसी के आदेशों को चैलेंज करते हुए ग्राम पंचायत कलावड़ ने हाईकोर्ट में रिट सीडब्ल्यूपी 5174-2012 डाल दी। कहा कि डीसी इस तरह के आदेश जारी नहीं कर सकते। क्योंकि डीसी ने पंजाब की तर्ज पर यह आदेश पारित किए हैं। हरियाणा में ऐसी पॉलिसी नहीं है। इसीलिए 23 दिसंबर 2013 को कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश देते हुए पालिसी बनाकर इसे पूरे प्रदेश में ऐसी पंचायतों पर लागू करने के आदेश दिए। हाईकोर्ट ने 2015 में फैसला देते हुए डीसी अंबाला को तीन माह के भीतर सरकार के नियमानुसार दोनों गांव में जमीन और पंचायती राशि का वितरण करने के आदेश दिए। डीसी ने इसके लिए डीडीपीओ से रिपोर्ट मांगी जिसमें डीडीपीओ ने दोनों गांव की आबादी लगभग एक जितनी बता दी। नियमानुसार डीसी ने 50-50 प्रतिशत जमीन और राशि बंटवारे के आदेश दे दिए।
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एक पक्ष हाईकोर्ट तो दूसरी मंडल आयुक्त कोर्ट में पहुंची
डीसी के फैसले के खिलाफ बालापुर पंचायत से ओमप्रकाश ने हाईकोर्ट में याचिका डाल दी। कहा, बीडीपीओ और डीडीपीओ की गलत रिपोर्ट पर डीसी ने बंटवारे के आदेश दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक बालापुर की वोट 1174 व कलावड़ की 1157 वोट बताई गई। जबकि रिकार्ड में बालापुर की आबादी 1530 और कलावड़ की 572 है। इसी बीच कलावड़ पंचायत अंबाला मंडलायुक्त के पास पहुंच गई। कहा, बालापुर तो डेरा है उसे 50 फीसद हिस्सा नहीं दिया जा सकता। साथ ही कलावड़ पंचायत ने बालापुर के सरपंच और इसी गांव के ओमप्रकाश को पार्टी बना लिया। लेकिन ओमप्रकाश को समन नहीं भेजे।
हाईकोर्ट ने ओमप्रकाश की रिट खारिज करते हुए उन्हें हरियाणा सचिव के पास भेज दिया। हरियाणा सचिव ने हाईकोर्ट के आदेशों की पालना करते हुए ग्राम पंचायत बालापुर और कलावड़ दोनों को तलब कर लिया। सचिव के आदेशों पर ओमप्रकाश भी कमिश्नर कोर्ट में चल रहे केस में शामिल हो गए। कमिश्नर ने डीसी के 2016 के आदेश को लागू करने के आदेश जारी कर दिए।
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तीसरी बार फिर हाईकोर्ट पहुंचा विवाद
2017 में बालापुर के ही ओमप्रकाश फिर हाईकोर्ट चले गए कहा कि वितरण गलत है। बालापुर गांव को 73 फीसद और कलावड़ पंचायत को 27 फीसद जमीन एक्ट के अनुसार मिलनी चाहिए। कलावड़ पंचायत ने इसमें शामिल होने के लिए कैवट डाल दी। इसकी अगली सुनवाई 22 फरवरी को होनी है। कैवट के साथ बालापुर और कलावड़ पंचायतों ने डीसी कोर्ट में याचिका लगाकर 2016 के फैसले पर सहमति जताते हुए उसे ही लागू कराने की मांग भी कर दी। जब ओमप्रकाश को इस मामले का पता चला तो वह भी इस केस में पार्टी बन गए। अब इसकी सुनवाई 29 जनवरी को होनी है।
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इस मामले की सुनवाई 22 फरवरी को हाईकोर्ट में होगी। ओमप्रकाश की ओर से हमने याचिका डाली है कि ग्राम पंचायत कलावड़ का 27 फीसद हिस्सा ही बनता है। साथ ही ग्राम पंचायत बालापुर का जो भी पिछला बकाया है वह उसे दिलाया जाए।
संदीप जटान, ओमप्रकाश के वकील।
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ओमप्रकाश के रिट कोर्ट में खारिज हो जाएगी क्योंकि जब दो पंचायतों ने 50-50 प्रतिशत पर समझौता कर लिया है। पहले डीसी और फिर कमिश्नर भी 50-50 फीसद पर सहमति जता चुके हैं। अब इसे कहीं भी चैलेज नहीं किया जा सकता। किसी भी तरह फिक्सड़ डिपोजिट फंड का दुरुपयोग नहीं हुआ। ओमप्रकाश शिकायतों का आदी है। वह चाहता है कि उसे कुछ मिल जाए। इसीलिए गलत शिकायतें कर रहा है।
- परमजीत ¨सह, सरपंच कलावड़।