गूगल से जुड़ाव पर सोशल मीडिया से दूरी बना बन गए देशभर के टॉपर
आखिरकार अंबाला शिक्षा विभाग पर पिछले कई साल से गंदे परिणाम के जो दाग लगे थे वह 10वीं कक्षा के सीबीएसई के होनहारों ने धो दिए।
By Edited By: Published: Tue, 07 May 2019 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 12:04 PM (IST)
उमेश भार्गव, अंबाला शहर आखिरकार अंबाला शिक्षा विभाग पर पिछले कई साल से गंदे परिणाम के जो दाग लगे थे वह 10वीं कक्षा के सीबीएसई के होनहारों ने धो दिए। एक साथ देश को पांच टॉपर देकर अंबाला शिक्षा विभाग ने नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। देशभर में टाप करने वाली दिवजोत कौर ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि उसने 499 अंक लेने के लिए एसएमएस का सर्वाधिक प्रयोग किया। यानी स्टडी, म्यूजिक एंड स्पोर्ट्स। इसी के बलबूते उसने इतने अंक लिए। दिवजोत जब पढ़ते-पढ़ते थक जाती थी तो वह म्यूजिक का सहारा लेती थी। इसके अलावा बोर होने पर भी अकसर संगीत ही सुनती। दैनिक जागरण को दिवजोत ने बताया कि वह थ्रो बॉल में जिलास्तर तक खेल चुकी है। वहीं क्रिकेट के साथ-साथ बास्केटबॉल और बैड¨मटन उसके फेवरेट खेल रहे हैं। सभी टॉपर से बातचीत में यह बात सामने आई कि किसी ने भी सोशल मीडिया का प्रयोग बातचीत के लिए नहीं किया। वाट्सएप का प्रयोग किया लेकिन केवल नोट्स के लिए वह भी माता-पिता के फोन से। जबकि गूगल को प्रयोग उन्होंने शब्दों के अर्थ व जिन चीजों का सोल्यूशन घर पर नहीं मिलता था उनके सोल्यूशन के लिए खूब प्रयोग किया। पिता ने बताया रिजल्ट तो रो पड़ी दिवजोत दैनिक जागरण संवाददाता से बातचीत में दिवजोत ने बताया कि जब वह को¨चग के लिए चंडीगढ़ जा रही थी तो उसके पिता स¨वद्र ¨सह ने उसे बताया कि 3 बजे तक रिजल्ट आ रहा है। इसके बाद उसके दोस्तों का फोन आया कि रिजल्ट आ चुका है। लेकिन घंटों तक उसके पिता को रोल नंबर नहीं मिला। क्योंकि रोल नंबर उसने अपने ड्रोर में रखा था। काफी देर के बाद उसके पिता को रोल नंबर मिला और उन्होंने उसे परिणाम बताया तो उसकी आंखें भर गई और वह खुशी से रो पड़ी। डर था रह न जाए कक्षा में किसी से पीछे दिवजोत ने कहा कि मन में डर सा था कि वह कक्षा में किसी से पीछे न रह जाए। आठवीं कक्षा तक तो वह कुछ कमजोर थी लेकिन 9वीं में सोच लिया था कि अब किसी से पीछे नहीं रहना है। तब से आज तक स्कूल में टाप कर रही थी। दिवजोत ने कहा कि मैथ के पेपर में थोड़ा सा डर लग रहा था क्योंकि वह पहला पेपर था। उसी में डर था शायद अंक कम आएं लेकिन मैथ में पूरे 100 अंक आए लेकिन एसएस में उम्मीद नहीं थी और उसमें एक नंबर कम रह गया। पिता ने कहा था स्कूल में टॉप किया ले दूंगा बुलेट दिवजोत ने बताया कि उसने एक दिन पिता से बाइक के लिए कहा था तो पिता ने कहा था कि यदि 10वीं स्कूल में टॉप करोगी तो बुलेट दिला दूंगा। हालांकि हंसते हुए दिवजोत कहती हैं कि वह तो काफी महंगी है। इसीलिए पापा ने मजाक-मजाक में ऐसा कहा था। फोटो: 22 माता-पिता के साथ पार्टी में नहीं जाता था 498 अंक लेने वाला रोहन छावनी के पल्लेदार मोहल्ले में रहने वाला रोहन एमएम इंटरनेशनल स्कूल सद्दोपुर का रहने वाला है। स्वभाव से शर्मिला और चंचल है। पिता मनोज बतरा रेलवे में सीनियर सेक्शन इंजीनियर और मां सुदेश बतरा दुखेड़ी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में ¨हदी टीचर हैं। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में सुदेश ने बताया कि बेटा रोहन जब उनके साथ पार्टी में नहीं जाता था तो उन्हें बहुत फील होता था क्योंकि एक ही बच्चा है और वही साथ नहीं होता। रोहन ने कहा कि दोस्त और रिश्तेदार अब पार्टी की डिमांड कर रहे हैं तो सबसे पहले उन्हें पार्टी ही देनी है। इससे ज्यादा माता-पिता से कोई डिमांड नहीं की। रोहन इंजीनियर बनना चाहता है। मां के बिना नहीं देखा रिजल्ट रोहन की मां सुदेश को पता चला था कि दोपहर तीन बजे तक रिजल्ट आएगा। लेकिन रिजल्ट उससे पहले ही जारी हो गया। जब उसने रोहन को रिजल्ट के बारे में कहा तो रोहन ने रिजल्ट नहीं देखा कहा कि मम्मी जब तक आप घर नहीं आओगे मैं रिजल्ट नहीं देखूंगा। करीब सवा तीन बजे मां घर आई तब जाकर परिणाम देखा। लेकिन उन्हें भी यह करीब साढ़े तीन बजे ही पता चला कि उनका बेटा देशभर के टॉपर की सूची में शामिल है। स्कूल ¨प्रसिपल ने फोन पर यह जानकारी दी थी। फोटो: 21 रो पड़ी ओजस्वनी क्योंकि देश की टॉपर से रह गया एक अंक कम दैनिक जागरण की टीम जब कान्वेंट आफ जेसीस एंड मेरी स्कूल में पढ़ने वाली ओजस्वनी के घर पहुंची और उससे बातचीत की तो उसकी आंखे नम हो गई क्योंकि देश की टॉपर और उसकी क्लासमेट दिवजोत से उसका एक अंक कम रह गया। उसे दर्द इस बात का भी था कि देशभर के टॉपर की जो लिस्ट जारी हुई है उसमें भी उसका नाम नहीं है जबकि नंबर उसके भी 498 ही हैं। ओजस्वनी के पिता अतुल बक्शी साइंस इंस्ट्रूमेंट का कारोबार करते हैं जबकि नीतिका बक्शी हाउस वाइफ हैं। ओजस्वनी इंटीरियर डिजाइनर बनना चाहती है और गूगल के सीईओ उसे रोल मॉडल हैं। उसकी चाची म¨नद्र बक्शी, दादा एएस बक्शी एमएसी हैं। इन्हीं की प्ररेणा से इस मुकाम तक पहुंच सकी। ओजस्वनी ने कहा कि ट्यूशन की जरूरत इसीलिए पड़ती थी ताकि स्कूल के अलावा एक्स्ट्रा कुछ सीख सके और जो अनसुलझे सवाल हैं उन्हें मौके पर ही सुलझा सके। ओजस्वनि ने बताया कि उसके एसएस में एक अंक कम रह गया जिसकी उसे उम्मीद नहीं थी। फोटो: 25 पिछले साल बेटे ने स्कूल टॉप इस बार बेटी ने देश में रोशन किया नाम पीकेआर जैन वाटिका स्कूल की कारवी ने भी देशभर में अपने माता-पिता का नाम रोशन कर दिया। कारवी के भी 498 अंक आए। पिछले साल इसी स्कूल से पढ़ते हुए कारवी के भाई अभिषेक जैन ने स्कूल में टॉप किया था। पिता पंकज जैन अंबाला शहर में वे¨डग वुड्स का बिजनेस करते हैं और मां रूपाली जैन इसी बिजनेस में उनका साथ देती हैं। सेक्टर सात में रहने वाली कारवी इंजीनियर बनना चाहती है। स्कूल से लौटने के बाद वह रोजाना 4-5 घंटे पढ़ाई करती है। कारवी ने बताया कि वह गूगल का प्रयोग जरूर करती हैं लेकिन फेसबुक पर उसका कोई अकाउंट नहीं है। गूगल का प्रयोग भी केवल पढ़ाई के लिए ही करती है। कारवी बास्केट बॉल खेलती है लेकिन ड्राइंग में सबसे ज्यादा दिलचस्पी है। कारवी ने कहा कि इस मुकाम तक पहुंचने में उसके माता-पिता और शिक्षकों का सबसे ज्यादा योगदान रहा। फोटो: 23 बड़ी बहन 12वीं में थी टॉपर, खुद देशभर में टॉप कर दिया सरपराइज कान्वेंट ऑफ जीसेस एंड मेरी की छात्रा प्रियंका ने 498 अंक हासिल किए। प्रियंका ने बताया कि बड़ी बहन आस्था ने भी इसी स्कूल से 12वीं में 96 प्रतिशत अंक हासिल किए थे। मन में था कि बहन से अधिक अंक लाने हैं और इसमें बहन ने पूरा सहयोग दिया। अपनी सफलता के तरीके बताकर मुझे भी स्कूल और देश के दूसरे टॉपर की लिस्ट में शामिल किया। प्रियंका ने कहा कि 20 मिनट के बाद थोड़ा रेस्ट करके स्टडी करती थी। कुछ नंबर कम आने का मुझे मलाल नहीं है। आईएएस बनना चाहती हूं। पिता रोहताश वालिया जोकि रेलवे में चीफ कंट्रोलर आप्रेशन के पद पर कार्यरत है और माता ऋतु वालिया गृहिणी हैं। मगर पढ़ाई में उन्होंने हमेशा मेरा साथ दिया। प्रियंका ने बताया कि रोजाना रूटीन पढ़ाई करती थी, कुछ समय पढ़ने के बाद फिर आराम करके बिना स्ट्रेस लिए हेल्दी फूड लेकर लगातार स्टडी की।
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