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हरियाणा में किस्मत ने साथ नहीं दिया, रास से संसद में गई थी सुषमा

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अंबाला की बेटी हैं। गृह सीट आरक्षित होने के बाद करनाल से तीन बार चुनाव लड़ा लेकिन तीनों बार हार गई।

By Edited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 09:15 AM (IST)Updated: Fri, 12 Apr 2019 09:03 PM (IST)
हरियाणा में किस्मत ने साथ नहीं दिया, रास से संसद में गई थी सुषमा
हरियाणा में किस्मत ने साथ नहीं दिया, रास से संसद में गई थी सुषमा

अंबाला, [दीपक बहल]। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अंबाला की बेटी हैं। गृह सीट आरक्षित होने के कारण उन्होंने संसद में जाने के लिए करनाल से तीन चुनाव लड़े, लेकिन राह नहीं खुल पाई। वर्ष 1984 में करनाल लोकसभा सीट से हार मिलने के बाद सुषमा ने 1987 में अंबाला छावनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। विधायक रहते ही 1989 में फिर से करनाल लोकसभा सीट से फिर से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गई। भाजपा ने उन्हें 1990 में राज्य सभा की सदस्या बनाकर संसद भेज दिया। उनके विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद अनिल विज को चुनाव मैदान में उतारा गया। तब भाजपा से जुड़े बड़े नेता भगवादास सहगल के पक्ष में थे, लेकिन सुषमा स्वराज ने विज को समर्थन दिया। इसका परिणाम यह रहा कि विज ने पहला विधानसभा चुनाव जीता।

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वर्ष 1996 तक राज्यसभा सदस्य रहने के बाद सुषमा स्वराज देश के सियासी पटल पर छा गई। वह दक्षिण दिल्ली से चुनाव जीतकर सांसद बनीं। 13 दिन और 13 महीने की वाजपेयी सरकार में रहीं मंत्री वर्ष 1996 में सुषमा स्वराज को अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनाया गया। यह पहला मौका था, जब सुषमा को केंद्र में मंत्री पद मिला। हालांकि यह सरकार 13 दिन ही चल सकी। इसके बाद 1998 में फिर से लोकसभा चुनाव हुए और केंद्र में एनडीए सत्ता में आया। इस बार सुषमा स्वराज मंत्री बनीं और पहले के मुकाबले दो मंत्रालयों की कमान सौंपी गई। इस सरकार में उनको सूचना एवं प्रसारण के अलावा दूरसंचार मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी गई। यह सरकार भी 13 महीने चल पाई।

देवी लाल की सरकार में सबसे कम उम्र में केबिनेट मंत्री बनीं
अंबाला छावनी विधानसभा से वर्ष 1977 और 1987 में विधायक बनी सुषमा स्वराज को राज्य सरकार में मंत्री बनाया गया था। खास बात यह रही कि राज्य सरकार में सबसे कम उम्र में सुषमा स्वराज मंत्री रहीं। सुषमा स्वराज के राजनीतिक करियर में ऐसा मौका भी आया जब वे 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री भी बनीं। उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाईं। सुषमा स्वराज राज्य सभा में विपक्ष की उपनेता, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहीं, जबकि भाजपा में भी विभिन्न पदों पर अपनी जिम्मेदारी निभाई।


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